सरस्वती विद्या मन्दिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, विवेकानन्दनगर, सुलतानपुर में अवकाश के पूर्व आज धनतेरस को विद्यालय में दीपावली उत्सव का कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें दीपों की रंगोली प्रतियोगिता भी हुई। विद्यालय के दशम एच की छात्राओं को प्रथम स्थान के लिए पुरस्कृत किया गया।
विद्यालय के वन्दना सभा में आयोजित दीपावली उत्सव को सम्बोधित करते हुए विद्यालय के प्रधानाचार्य डाॅ. लालता प्रसाद पाण्डेय ने दीपावली पर्व की प्राचीनता पर जोर देते हुए कहा कि आज वह पुराने बटासा, गट्टे, जलेवी व घी के दीये गायब हो गये हैं। स्वास्थ को हानि पहुंचाने वाली मिठाईया ज्यादा पसन्द की जा रही है। जो पटाखें आपको अच्छे लगते हैं वह हृदयरोगियों के लिए बेहद कष्टदायी होते है। यह देश त्यौहारों का हैं, इसमें हमंे ऋतुओं का ध्यान रखना चाहिए। इन ऋतुओं में सुन्दर निहितार्थ देंखे। विज्ञान के आचार्य बाल कृष्ण सिंह ने दीपावली के वैज्ञानिक तथ्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि दीपावली में घी के दीये जलाने के पीछे एक वैज्ञानिक सोच भी है किन्तु आज घी के दीयों की जगह झालरों ने ले ली है। घी के दीये जलाने से उसकी खुशबू आसपास के प्रदूषण को खत्म कर वातावरण को शुद्ध करता है तथा पटाखे हानिकारक गैस फैलाकर वातावरण के संतुलन को बिगाड़ रहे हैं। दीपावली पर अधिक पटाखें दगाकर और अधिक से अधिक बिद्युत झालर लगा कर प्रसन्न होते हैं। हम दीपावली पर मन का दीप जलायें। आज प्रतिस्पर्धा की नहीं सहयोग की जरूरत है जिससे सामाजिक समरसता लाये जाने के साथ पर्यावरण के बिगड़ते संतुलन को रोका जा सके।
अंग्रेजी आचार्य शेषमणि दूबे ने दीपावली के आध्यात्मिक पक्ष पर बोलते हुए कहा कि यह पर्व भगवान श्रीराम के चैदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या वापसी के समय मनाया गया था। हमें इस पर विचार करने की आवश्यकता है कि श्रीराम के किस कर्म और कार्य के कारण देशी घी के दीये जलाकर उनकी वापसी का स्वागत किया गया था। पूरे समाज ने अमावस्या की रात्रि को दीये जलाकर पूर्णिमा की रात्रि में बदल दिया था। श्रीराम के उन कार्यो को हमे आत्मसात करना चाहिए। माता-पिता और गुरू को सुबह सबसे पहले प्रणाम करना चाहिए। ऐसे कार्य करे जिससे हमारे माता-पिता हर्षित और आस पास क्षेत्रों के लोग भी प्रसन्न हो। छात्र संसद के पूर्व प्रधानमंत्री छात्र अंकित सिंह ने दीपावली गीत और महत्व पर प्रकाश डाला। बालिकाओं व बालकों ने गीत प्रस्तुत किया। रंगोली की विजेता टीम को कक्षाचार्या स्नेहा सिंह के साथ वरिष्ठ आचार्य महेन्द्र तिवारी व प्रधानाचार्य ने पुरस्कृत किया। रंगोली का मूल्यांकन आचार्या शालिनी साहू व चिंत्राशी सिंह ने किया। कार्यक्रम का संचालन छात्र संसद प्रमुख आचार्य राज नारायण शर्मा ने किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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