उत्तर प्रदेश सरकार ने मत्स्य पालन एवं मत्स्य विकास को बढ़ावा देने के लिए समस्त मत्स्य विकास निगम तथा मत्स्य विकास विभाग के अधिकारियों को मत्स्य पालकों को प्रशिक्षित करने के निर्देश है। शासन ने मत्स्य पालकों की सुविधा हेतु उन्हें मत्स्य बीजों का संचय करने हेतु विशेष सहयोग देने के भी निर्देश दिए है।
प्रदेश के मत्स्य विकास मंत्री श्री इकबाल महमूद ने इस आशय के निर्देश समस्त मण्डल/जिला स्तरीय मत्स्य विकास अधिकारियों को दिये हैं। उन्होंने बताया कि जिन मत्स्य पालकों ने अभी तक मत्स्य बीजों का संचय नहीं किया है। वह शीघ्र 5000 मत्स्य बीज प्रति हे0 की दर से 80 से 100 मिमी0 आकार के मत्स्य बीजों का संचय करना सुनिश्चित करे।
मत्स्य विकास मंत्री ने बताया कि जिन मत्स्य पालकों ने अपने तालाबों में मत्स्य बीजों का संचय कर लिया है वे तालाब में मछलियांे का प्राकृतिक भोजन प्लेंकटान की मात्रा बढ़ाने के लिए यूरिया 5 किग्रा0 प्रति हे0 सिंगल सुपर फोस्फेट 10 किग्रा0 प्रति हे0 एवं पोटाश एक किग्रा0 प्रति हे0 की दर से रासायनिक उर्वरकों का घोल बनाकर तालाब में छिड़काव करायें। मछलियों को खाने के लिए खली एवं राईस पालिश बराबर-बराबर मात्रा में मिला कर मछलियों के वजन का दो प्रतिशत पूरक आहार मछलियों को प्रतिदिन दें।
मत्स्य विकास मंत्री ने बताया कि मत्स्य पालक मछली पालन हेतु प्राकृतिक जल प्रणालियों में जलकुंभी नियंत्रण करें। जलकुंभी निकालने का भी यही उपयुक्त समय है। जलकुंभी की मात्रा अभी न्यूनतम स्तर पर है और मत्स्य पालकों को इसे तत्काल बाहर निकाल देंना चाहिए अन्यथा आगे चलकर बहुत अधिक हो जायेगी और पूरे तालाब एवं जलाशयों तथा झील को आच्छादित कर लेगी। जिन मत्स्य पालकों ने अभी तक जलकुंभी नियंत्रण के उपाय नहीं है किये है। वे अपने तालाबों जिन में जलकुंभी का प्रकोप हो गया हो उनमें से जलकुंभी को शीघ्र बाहर निकाल दें। जलकुंभी होने के कारण मछलियों का संवर्धन, पालन, प्रजनन तथा संरक्षण नही हो पाता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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