उत्तर प्रदेश संस्कृत के तत्वावधान में आज यहां संस्थान परिसर, नया हैदराबाद में धन्वन्तरि जयन्ती के अवसर पर होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सकों द्वारा चिकित्सा पद्धतियों पर व्याख्यान तथा चिकित्सा सलाह एवं दवायें मुफ्त दी गयीं। इस व्याख्यान शिविर का उद्घाटन संस्कृत संस्थान के निदेशक श्री बृजेश चन्द्र द्वारा किया गया। इस चिकित्सा शिविर में समय पर उपस्थित होकर लोगों ने अपना स्वास्थ्य परीक्षण कराया तथा मुफ्त में दवायें भी प्राप्त कीं। व्याख्यान का विषय ‘‘उच्च रक्तचाप कारण एवं निवारण तथा आयुर्वेदिक अध्ययन क्षेत्र में संस्कृत की भूमिका’’ पर चिक्त्सिकों ने अपना मत रखा। चिकित्सा एवं व्याख्यान, गोष्ठी में डा0 शिवप्रसाद त्रिपाठी आयुर्वेदाचार्य ने कहा कि सतोगुण वालों को उच्च रक्तचाप नहीं होता है। रजोगुण और तमोगुण वालों को रोग जयादा होते हैं। डा0 राजीव कुमार गुप्ता, होम्योपैथ ने कहा कि अपने गलत आचार, व्यवहार, खान-पान, वातावरण, रहन-सहन के कारण ही उच्च रक्तचाप जैसी समस्त बीमारियां उत्पन्न होती हैं। अगर हम यह सब सही कर लें तो समस्त बीमारियेां से बचाव हो सकता है। डा0 के0के0ठकराल, आयुर्वेदाचार्य ने कहा कि हिमाशन, मिताशन, नित्याशन ही स्वस्थ जीवन का आधार है। मनोदशाओं का और शरीर का गहरा नाता है। अधिकतर बीमारियां मन के साथ-साथ बुद्धि और भावनाओं से संचालित होती हैं। डा0 जे0एन0पाण्डेय, आयुर्वेदाचार्य ने अपने उद्बोधन में कहा कि उच्च रक्तचाप साइलेन्टकिलर के रूप में शरीर को नुकसान करता है, जिससे मास्तिष्क आघात, गुर्दे फेल होना, लकवा जैसी समस्यायें उत्पन्न होती हैं। चिन्ता शोक क्रोध मोटापा, धूम्रपान, फास्टफूट जैसे अनियमित खानपान आदि उच्चरक्त चाप के प्रमुख कारण हैं। अनुलोम-विलोम तथा नाड़ी शोधक प्राणायाम द्वारा इनसे बचाव हो कसता है। सभा की अध्यक्षता डा0 शिव प्रकाश त्रिपाठी पूर्व प्राचार्य संस्कृत महाविद्यालय सण्डीला द्वारा की गयी तथा संचालन श्री जगदानन्द झा ने किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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