उत्तर प्रदेश सिविल सर्विसेज के अधिकारी आई0ए0एस0 संवर्ग में प्रोन्नति के लिये पिछले कई वर्षों से मा0 न्यायालय का दरवाजा खटखटा रहे थे, जिसके फलस्वरूप पिछले तीन वर्षों में भारी संख्या में उन्हें आई0ए0एस0 संवर्ग में प्रोन्नति मिली और शासन के विभिन्न वरिष्ठ पदों पर पदास्थापित हुये। उक्त न्यायिक प्रक्रिया के चलते कुछ वरिष्ठ अधिकारी इसी बीच सेवानिवृत्त हो गये। यदि प्रोन्नति में आरक्षण से संबंधित एक प्रकरण में मा0 सर्वोच्च न्यायालय का स्थगन आदेश न रहा होता तो वे भी सेवा में रहते हुये आई0ए0एस0 संवर्ग में पदोन्नत होकर वरिष्ठ पदों पर पदास्थापित होते।
इन अधिकारियों का सेवानिवृत्ति के बाद उनकी अर्हता का चयन वर्ष की रिक्तियों के सापेक्ष चयन सूची में चयन तो किया गया, परन्तु उनके सेवानिवृत्ति होने के कारण उन्हें नियुक्ति सूची में नहीं रखा गया। इस संबंध में 1977 बैच के पी0सी0एस0 अधिकारी श्री महेश चंद ने मा0 सर्वोच्च न्यायालय में रिट याचिका संख्या- 844/2013 दायर की जिसमें मा0 सर्वोच्च न्यायालय ने दिनांक 16 अक्टूबर 2014 को आदेश पारित किये कि वह भी वर्ष 2006 की रिक्तियों के सापेक्ष आई0ए0एस0 संवर्ग में तद्दिनांक से नियुक्त माने जायेंगे। इसी आधार पर 1976 बैच के पी0सी0एस0 अधिकारी श्री कृष्ण कांत शुक्ला को भी मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तद्दिनांक से आई0ए0एस0 में नियुक्ति का लाभ प्रदान किया गया। मा0 सर्वोच्च न्यायालय के उक्त आदेश से अन्य अधिकारी भी लाभान्वित हो सकेंगे। मा0 सर्वोच्च न्यायालय के उक्त आदेश से सभी पी0सी0एस0 अधिकारियों में खुशी की लहर है।
नगर विकास विभाग के सचिव श्री श्रीप्रकाश सिंह, जो पी0सी0एस0 संवर्ग के कई वर्षों तक महासचिव रहे हैं, ने उन सभी अधिकारियों को बधाई दी है। श्री सिंह का इस न्यायिक लड़ाई में सक्रिय योगदान रहा है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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