प्रत्येक वर्ष 16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य कृषि एवं खाद्य उत्पादन से संबंधित सभी वर्गाे को यह संदेश देना होता है कि सभी मिलकर दुनियाँ से भूख एवं कुपोषण को समाप्त करने के लिए हर संभव प्रयास करें। आज इसी प्रयास के संदर्भ मंे भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान परिसर में विश्व खाद्य दिवस कार्यक्रम का आयोजन हुआ। आयोजन के मुख्य अतिथि डा. फारूकी, भूतपूर्व निदेशक, भारतीय चारागाह अनुसंधान संस्थान, झाँसी थे तथा उन्होंने इस अवसर पर कार्यक्रम मंे भाग ले रहे सभी प्रतिभागियों से शोध संस्थानों द्वारा विकसित तकनीकों को किसानों तक पहुँचाने के लिए गंभीर प्रयास करने की अपील की। डा. सुशील सोलोमन, निदेशक, भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान ने माननीय केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री राधा मोहन सिंह जी द्वारा खाद्य दिवस पर दिये गये संदेश पर अपने विचार रखते हुए इस पर अमल करने के लिए आवश्यक प्रयास करने का अनुरोध किया। वर्ष 2014 को ’’पारिवारिक खेती वर्ष’’ के रूप मंे मनाया जा रहा है। इस संदेश से यह बिल्कुल स्पष्ट है कि किसान परिवार की हर जरूरत को खेती से पूरा करने के लिए उत्पादन तकनीकों को अपनाना आवश्यक है। डा. ए.के. साह प्रधान वैज्ञानिक ने बताया कि गन्ना के साथ सह फसल के रूप मंे दलहन, तिलहन, सब्जियों आदि की खेती से किसान परिवार को बड़ी मात्रा मंे आमदनी प्राप्त होने के साथ घर-परिवार के लिए आवश्यक खाद्य पदार्थ जैसे दाल, तेल, सब्जी, फल, दूध आदि की भी आवश्यकता पूरी होगी। इस पारिवारिक खेती को सफल बनाने मंे कृषि विज्ञान केन्द्रों की भूमिका अहम होगी। गन्ना से प्राप्त अगोला को दूधारू पशुओं के लिए हरा चारा के रूप मंे प्रयोग कर किसान पशुओं से अधिक दूध प्राप्त कर सकते हंै जिससे उनको अधिक आमदनी प्राप्त होगी। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के कृषि विभाग व गन्ना विभाग के विकास अधिकारियों, रायपुर (छत्तीसगढ़) के किसानों तथा कृषि विज्ञान केन्द्रों के कार्यकत्र्ताओं के लिए प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया गया जिसमंे उन्नत गन्ना उत्पादन तकनीकों के साथ विभिन्न चारा फसलों पर भी जानकारी प्रदान किया गया। साथ ही संस्थान प्रक्षेत्र भम्रण द्वारा गन्ना प्रजातियो, जैव नियंत्रण, गन्ना बुवाई विधियों तथा गुड़ उत्पादन तकनीकों पर प्रायोगिक जानकारी से प्रतिभागियों को परिचित कराया गया। प्रशिक्षण सत्र मंे विभिन्न तकनीको पर डा. सुधीर शुक्ला, डा. ए.के. साह, डा. अरूण बैठा, डा. अनवर तथा डा. राकेश सिंह के द्वारा प्रतिभागियों को जानकारी प्रदान किया गया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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