उत्तर प्रदेश सरकार ने रूफ टाप सोलर फोटोवोल्टाइक पावर प्लांट नीति-2014 जारी कर दी है। यह नीति 31 मार्च 2017 तक प्रभावी रहेगी। इसमें मार्च 2017 तक कुल 20 मेगावाट क्षमता की ग्रिड संयोजित सोलर पावर प्लांट की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। इसमें सार्वजनिक प्रतिष्ठानों द्वारा 10 मेगावाट तथा निजी प्रतिष्ठानों द्वारा 10 मेगावाट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित है। इस अवधि में स्थापित और कमीशन किए गए रूफ टाप सोलर फोटोवोल्टाइक पावर प्लांट ही इस नीति में प्राविधानित लाभ के पात्र होंगे।
प्रदेश के प्रमुख सचिव, अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत, श्री जीवेश नन्दन ने यह जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश में ग्रिड संयोजित सोलर फोटोवोल्टाइक पावर प्लांट की स्थापना के लिये यूपीनेडा को नोडल एजेंसी नामित किया गया है। यह ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के लिये योजना तैयार करेगी। उन्होंने बताया कि सार्वजनिक एवं निजी संस्थानों में रूफटाप सोलर पावर प्लांट की स्थापना पर भारत सरकार अथवा राज्य सरकार से अनुदान प्राप्त होने की दशा में यूपीनेडा द्वारा अनुदान को प्राप्त करने में सहायता प्रदान की जायेगी। उन्होंने बताया कि नोडल एजेंसी द्वारा सोलर पावर प्लांट की स्थापना के लिये छत पर उपयुक्त स्थान के चयन में सहायता प्रदान की जायेगी। उन्होंने बताया कि कोई भी व्यक्ति, अनिगमित अथवा निगमित कम्पनी, निकाय, संघ अथवा व्यक्तियों का संगठन रूफटाप सोलर पावर प्लांट की स्थापना के लिये पात्र होगा।
श्री जीवेश नन्दन ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा कैपटिव उपयोगार्थ/स्वयं के उपभोग हेतु ग्रिड संयोजित रूफटाप सोलर पावर प्लांट की स्थापना को बढ़ावा दिया जायेगा। उन्हांेने बताया कि 0.50 किलोवाट क्षमता तक के रूफटाप सोलर फोटोवोल्टाइक पावर प्लांट की स्थापना नेट इनर्जी मीटरिंग पर तथा 50 किलोवाट क्षमता से अधिक क्षमता वाले पावर प्लांट की स्थापना नेट इनर्जी बिलिंग क्रिया विधि पर की जायेगी। सरकारी एवं सार्वजनिक प्रतिष्ठान द्वारा आवश्यक रूप से अपने कार्यालय भवन के उपलब्ध कुर्सी क्षेत्रफल के न्यूनतम 25 प्रतिशत क्षेत्रफल का उपयोग इस कार्य हेतु किया जायेगा।
प्रमुख सचिव ने बताया कि रूफटाप सोलर पालिसी जारी करने का मुख्य उद्देश्य राज्य में सतत विकास के लिये पर्यावरण अनुकूल, सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देना एवं ऊर्जा सुरक्षा में योगदान देने के साथ-साथ राज्य में उपलब्ध सौर ऊर्जा संसाधन का अधिकतम उपयोग करना है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में कमी लाना तथा सौर ऊर्जा के क्षेत्र में निजी निवेश की भागीदारी को बढ़ावा देना भी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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