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उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री आलोक रंजन ने निर्देश दिए

Posted on 18 October 2014 by admin

उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री आलोक रंजन ने निर्देश दिए हैं प्रदेश के औद्योगिक विकास के साथ-साथ हस्तशिल्प को बढ़ावा देने, हस्तशिल्पियों के जीवन स्तर में सुधार लाने तथा प्रदेश के परम्परागत हस्तशिल्प उद्योग को नया आयाम एवं संरक्षण प्राप्त कराने के लिए हस्तशिल्पों के प्रोत्साहन हेतु ‘‘उत्तर प्रदेश हस्तशिल्प प्रोत्साहन नीति-2014’’ बनाई जाय। प्रस्तावित नीति के अनुसार प्रदेश के समस्त जिलों में वास्तविक सर्वेक्षण कराया जायेगा तथा हस्तशिल्पियों का पंजीयन कराकर उन्हें पहचान-पत्र दिलाया जायेगा। कुशल हस्तशिल्पियों कोे चिन्हांकित कर उन्हें मास्टर क्राफ्टमैन के रूप में पंजीकृत किया जायेगा और उनके माध्यम से नये क्राफ्टमैन विकसित किये जायेंगे। एक अभियान चलाकर हस्तशिल्पियों को बैंकों से ‘‘ आर्टीजन क्रेडिट कार्ड’’ की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी। हस्तशिल्पियों द्वारा ‘‘ आर्टीजन क्रेडिट कार्ड’’ से प्राप्त बैंक ऋण के लिए ब्याज अनुदान की एक नयी योजना चालू की जायेगी। हस्तशिल्पियों की आवश्यकतानुसार वैकल्पिक कच्चे माल विकसित करने के लिए अनुसंधान एवं तकनीकी संस्थाओं का सहयोग लिया जायेगा। हस्तशिल्प उत्पादन, कौशल विकास, कच्चे माल की उपलब्धता, उत्पादों के लिए वेयर हाउस की सुविधा आदि की सुसज्जित इन्टीगे्रटेड पार्क की स्थापना निजी क्षेत्र के सहयोग से की जायेगी। हस्तशिल्प उत्पादों के प्रदर्शन एवं विपणन के लिए सूचना तकनीकी का प्रयोग करते हुए ‘‘उ0प्र0 हस्तशिल्प’’ का पोर्टल विकसित किया जायेगा।
मुख्य सचिव आज शास्त्री भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में ‘‘उत्तर प्रदेश हस्तशिल्प प्रोत्साहन नीति-2014’’  तैयार किये जाने हेतु बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हस्तशिल्प को पर्यटन से जोड़ते हुए हस्तशिल्प बाहुल्य स्थानों को पर्यटन केन्द्रों के रूप में विकसित किया जायेगा। हस्तशिल्पियों द्वारा निर्मित माल के प्रदर्शन एवं विपणन हेतु लखनऊ में एक उच्चस्तरीय हैण्डीक्राफ्ट मार्ट की स्थापना करायी जायेगी। लखनऊ के अलावा प्रदेश के अन्य जनपदों, मण्डलों एवं अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर निजी क्षेत्र में अथवा पी0पी0पी0 मोड में हैण्डीक्राफ्ट मार्ट की स्थापना की जायेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विशिष्ट हस्तशिल्पों को अन्तर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने हेतु भौगोलिक सूचकांक दिलाया जायेगा। विभिन्न प्रचलित योजनाओं में हस्तशिल्पियों के लिए उच्चकोटि की अवस्थापना सुविधाओं के विकास को प्राथमिकता दी जायेगी। हस्तशिल्प उत्पादन में वृद्धि के लिए टूल्स एवं तकनीकी विकास को बढ़ावा दिया जायेगा। अत्याधुनिक तकनीकी विकास से सुसज्जित कामन फैसेलिटी सेन्टर विकसित किये जायेंगे। उत्पादों की डिजायनों में विविधता एवं पैकेजिंग को बाजारोन्मुखी बनाने की व्यवस्था को प्रोत्साहित किया जायेगा। हस्तशिल्पियों के कौशल विकास हेतु विशेष प्रयास यथा-प्रशिक्षण एक्सपोजर विजिट आदि का आयोजन कराया जायेगा।
श्री रंजन ने कहा कि हस्तशिल्प उत्पादों के प्रचार-प्रसार एवं ब्राण्ड प्रमोशन के लिए प्रयास किये जायेंगे। प्रदेश के हस्तशिल्प के व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु एक ‘‘ काॅफी टेबल बुक’’ तैयार की जाय, जो देश एवं प्रदेश के पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थानों में प्रदर्शित की जायेगी। उन्होंने कहा कि हस्तशिल्प विशेष के लिए क्राफ्ट -विलेज निजी क्षेत्र के सहयोग से विकसित किये जायेंगे। प्रदेश के हस्तशिल्पियों का हस्तशिल्प क्षेत्र से जुड़े डिजाईनरों, व्यवसायिओं एवं निर्यातकों से इन्टरफेस कराकर हस्तशिल्प विपणन को बढ़ावा दिया जायेगा। अन्तर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय, राज्य स्तरीय हस्तशिल्प मेलों, लोक-कला मेलों में प्रदेश के हस्तशिल्प उत्पादों का अधिकाधिक प्रदर्शन करते हुए सहभागिता सुनिश्चित करायी जायेगी। प्रदेश के हस्तशिल्पियों के लिए बायर-सेलर मीट एवं कार्यशाला का आयोजना कराया जायेगा। हस्तशिल्प का कार्य परम्परागत रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ने वाला व्यवसाय होता है। परिवार के नये पीढ़ी के लोग लगातार सम्पर्क एवं उनके साथ कार्य करते रहने के कारण स्वतः दक्ष हो जाते है। आधुनिकी लाने के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। अतः हस्तशिल्पियों को उच्च स्तर के प्रशिक्षण की व्यवस्था करायी जायेगी। हस्तशिल्पियों के लिए प्रदेश सरकार के सामान्य सुविधा एवं प्रशिक्षण केन्द्र (कामन फैसिलिटी सेन्टर) को आधुनीकृत करते हुए पेशवर तरीके से संचालित कराया जायेगा। इसके अतिरिक्त निजी क्षेत्र में भी हस्तशिल्प से सम्बन्धित सामान्य सुविधा एवं प्रशिक्षण केन्द्रों को प्रोत्साहित किया जायेगा। हस्तशिल्प पुरस्कार योजना का दायरा बढ़ाया जायेगा।
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा संचालित हस्तशिल्प पेंशन योजना को और उदार बनाया जाय। हस्तशिल्पियों को सामूहिक  स्वास्थ्य बीमा योजना से अधिक से अधिक आच्छादित किया जायेगा। हस्तशिल्पियों की समस्याओं के निराकरण एवं उनके विकास व उत्थान के लिए एक आर्टीजन वेलफेयर बोर्ड का गठन किया जायेगा जिसमें हस्तशिल्प के व्यवसाय में लगे हुए व्यापारियों की सहभागिता भी सुनिश्चित की जायेगी। बच्चों को प्रदेश की हस्तशिल्प के गौरवशाली इतिहास एवं वर्तमान प्रास्थिति के महत्व की जानकारी देने के लिए पाठ्य पुस्तकों में हस्तशिल्प का एक चैप्टर शामिल किया जायेगा। प्रदेश में हस्तशिल्प संग्रहालय की स्थापना की जायेगी। प्रदेश में एक डिजाईन विश्वविद्यालय की स्थापना की जायेगी। उ0प्र0हस्तशिल्प विपणन एवं विकास निगम के माध्यम से हस्तशिल्प उत्पादों के व्यवसाय को बढ़ावा दिया जायेगा। सूक्ष्म, लघु एंव मध्यम उद्यम एवं निर्यात प्रोत्साहन विभाग, उत्तर प्रदेश शासन नीति के क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण के लिए नोडल विभाग होंगे। इस नीति के क्रियान्वयन के लिए सभी सम्बन्धित विभागों द्वारा आवश्यकतानुसार शासनादेश निर्गत किये जायेंगे। यदि नयी नियमावली बनायी जानी है तो उसे शीघ्र तैयार किया जायेगा। यदि पुरानी किसी नियमावली में किसी संशोधन की आवश्यकता होगी तो उसेे संशोधित किया जायेगा।
बैठक में प्रमुख सचिव, लघु उद्योग श्री महेश कुमार गुप्ता सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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