आज जन पैरवी मंच व आपदा निवारक मंच द्वारा प्रेस क्लब में पीडि़त परिवारों की प्रेसवार्ता आयोजित की गई। दरअसल बुन्देलखण्ड में लगातार किसानों की त्रासदी जारी है, जिसका विकृत रूप पहले कर्ज फिर आत्महत्या के रूप में सामने आ रहा है। इस वर्ष सैकड़ों की संख्या में किसान आत्महत्या कर चुके हैं, और ये घटनाऐं प्रशासनिक असंवेदनशीलता और प्रभावी कार्यक्रम के अभाव में लगातार जारी है। सूखा, अनिश्चित बारिश, फसल¨ं के लगातार नुकसान, सिंचाई सुविधा का अभाव, खेती और दूसरे कार्यों के लिये लिये गये कर्ज, सामाजिक स्थिति का पतन और परिवार के भविष्य की चिन्ता ने किसानों को आत्महत्या के लिये मजबूर कर दिया है। सभी जिले लगातार सूखे से प्रभावित हैं। जिसकी वजह से भुखमरी, आत्महत्या, पलायन और यहाँ तक कि अपनी औरतों और बच्चों को गिरवी रखने जैसी शर्मनाक घटनायें सामने आई हैं।
क्षेत्र के अधिकाँश किसान, खेतिहर और मजदूर स्थित में सुधार न होने के कारण लगातार कर्जदार होते चले गये, जिसके कारण उनके लिये इस गरीबी के दुष्चक्र से बाहर आना मुश्किल हो गया है। इन परिस्थितियो के बावजूद अभी तक पीडि़त परिवारों को कोई राहत नहीं मिली है। बढ़ती आत्महत्याओं के लिए अनेक दीर्घकालीन चक्रीय कारण दोषी हैं, और इसके लिए एक दीर्धकालीक योजना की जरूरत है। लेकिन अभी तात्कालिक आवश्यकता आपदा पीडि़त परिवारांे को तत्काल राहत देते हुए उन्हे पलायन और आत्मह्त्या जैसे आत्मघाती कदम उठाने से रोकने की है।
अजय श्रीवास्तव (साई ज्योति संस्थान, ललितपुर) ने कहा कि सूखे की लगातार विभीषिका से जूझ रहे बुन्देलखण्ड को राह्त देने के लिये 2009 में “बुन्देलखण्ड राहत पैकेज” की घोषणा की गई। जिसमें कुल 7266 करोड में से 3506 करोड़ रुपये उत्तर प्रदेश को आवंटित किये गये। इसको तीन वर्षों से अमल में लाया जा रहा है, जिसके अन्तर्गत जल संसाधनों के विकास, आजीविका को बढावा देने के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों के विकास के प्रावधान किये गये हैं। इसमें सर्वाधिक प्राथमिकता जल प्रबंधन, नई सिंचाई परियोजनाओं और पुरानी सिंचाई परियोजनाओं के संरक्षण पर दिया गया है। यह सभी कार्य मार्च २०१२ तक सम्पन्न कर लिये जाने थे, लेकिन हालातों की गम्भीरता को देखते हुये इसे २०१७ तक विस्तारित कर दिया गया। दुर्भाग्य से सरकार और जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता की वजह से “बुन्देलखण्ड राहत पैकेज” केवल 43ण्89 प्रतिशत ही इस्तेमाल किया जा सका और इस बदहाल स्थिति के बावजूद बुन्देखण्ड में अभी भी सरकारी विभाग, सेवा प्रदाता, वित्तीय संस्थान, पंचायतीराज संस्थायें एवँ सम्बन्धित विभाग संतोषजनक्तरीके से काम नहीं कर रहें हैं।
प्रेसवार्ता को प्रमुख रूप से सोनू सहारियासे सोनू सहारिया, कलावती, गिरजा देवी, (जिनके पति ने आत्महत्या की है) द्रौपदी देवी, (जिनके पति ने आत्महत्या की है) जयराम आदि के साथ बाला प्रसाद, सरीला, हमीरपुर, जगजीवन राम इंगोहटा, हमीरपुर, सुश्री रजनी देवी-मनीपुर,नरैनी-बांदा, त्रिभवन सिंह तेंदुरा-अर्तरा- बांदा, जयराम तेंदुही अर्तरा-बांदा, बलराम अर्तरा-बांदा, सुश्री कलावती मड़वारी, ललितपुर, सोनू डुंगारिया ललितपुर आदि पीडि़त परिवारीजनों अपने सम्बन्धियों की आत्महत्या का हाल बयान किया ।
कार्यक्रम में एक्शनएड, विद्या धाम समिति बांदा, साई ज्योति संस्थान ललितपुर, समर्थ फाउन्डेशन हमीरपुर, एम-लखनऊ आदि संगठनों के लोग शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन राजा भैया (संयोजक, आपदा निवारक मंच) ने किया।
सभी साथियों की तरफ से निम्नलिखित मांग की गई।
1ण् सरकार द्वार वर्तमान आपदा से हुये नुकसान का तुरन्त आकलन किया जाये
2ण् नुकसान के वास्तविक आकलन होने तक तत्काल अंतरिम सहायता प्रदान की जाये।
3ण् मनरेगा के अन्तर्गत, आपदा प्रभावित क्षेत्रो में रोजगार और आय के लिये तत्काल कार्य आरम्भ कराया जाये।
4ण् प्रभावित परिवारों को तत्काल बी०पी०एल० कार्ड प्रदान किया जाये।
5ण् सार्वजनिक वितरण प्रणाली, समेकित बाल विकास योजना, मध्यान्न भोजन योजना जैसे सामाजिक कल्याण योजनाओं को तुरन्त पीडि़त परिवारों तक पहुंचाया जाये।
6ण् पलायन करने वाले परिवारों के कौशल प्रशिक्षण द्वारा स्थानीय स्तर पर रोजगार प्रदान किया जाये।
7ण् आपदा पीडि़त किसान परिवारों को विशिष्ट अनुदान द्वारा खेती के अनाजों पर सब्सिडी प्रदान की जाये।
8ण् आजीविका के वैकल्पिक साधनों यथा पशुपालन, मछलीपालन, कुक्कुट पालन आदि का विकास किया जाये।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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