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मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता मंे सुधार से ही फसल उत्पादकता मंे वृद्धि संभव- डा. सोलोमन

Posted on 16 October 2014 by admin

दुनियाँ मंे हर जीव को आराम चाहिए लेकिन मृदा बिना आराम किए सतत अपनी उर्वरा गुण फसल को प्रदान करते हुए उत्पादन मंे अहम योगदान देते रहती है। आज समय आ गया है कि हम मृदा की खराब होती उर्वरा एवं स्वास्थ्य पर गंभीर हों तथा इसमंे सुधार के लिए संस्तुत तकनीक के प्रग्रहण को सुनिश्चित करें। यह विचार आज भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. सुशील सोलोमन ने मृदा उर्वरता एवं फसल उत्पादकता मंे वृद्धि हेतु समेकित पोषक प्रबन्धन विषय पर आठ दिवसीय आदर्श प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए व्यक्त किये। डा. सोलोमन ने कहा कि मृदा की उर्वरता मंे लगातार कमी हो रही है तथा मृदा मंे कार्बन की मात्रा कुछ क्षेत्रों मंे निम्न स्तर (0.25ः) तक पहुँच गयी है जो गन्ना उत्पादन के साथ अन्य फसलों कि उत्पादकता के लिए बिल्कुल निराशाजनक स्थिति है। आज आवश्यकता है कि कृषकों को रासायनिक उर्वरकों के साथ कार्बनिक पदार्थ, जैविक खाद, हरी खाद, फसल अवशेषों को खेतों मंे प्रयोग करने के लिए जागरूक किया जाए। शोध संस्थानों ने सामेकित पोषक प्रबधंन तकनीक का विकास तो कर लिया है, परन्तु इन तकनीकों का कृषको द्वारा भरपूर प्रयोग नही हो रहा है जिस कारण मृदा उर्वरता मंे लगातार कमी हो रही है तथा स्वास्थ्य भी चिंता जनक स्थिति मंे पहुँच गयी है। आज आवश्यक है कि राज्यों के कृषि विकास विभागों मंे कार्यरत अधिकारियों को सबसे पहले इन तकनीकों पर प्रशिक्षित कर उन्हे कृषकों के बीच तकनीकों को लोकप्रिय करने के लिए प्रेरित किया जाए। इसी संदर्भ मंे इस 8 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम (अक्टूबर 13-20, 2014) का आयोजन किया जा रहा है जिसमंे उत्तर प्रदेश कृषि विभाग, गन्ना विकास विभाग तथा कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रशिक्षणार्थीं भाग ले रहे है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रसार निदेशालय, कृषि एवं सहकारिता विभाग, कृषि मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रयोजित किया गया है। प्रशिक्षण कार्यक्रम के समन्वयक डा. सुधीर कुमार शुक्ला, प्रधान वैज्ञानिक ने बताया कि इस प्रशिक्षण मंे समेकित पोषक प्रबधंन से सम्बधिंत सभी विषयों सहित गन्ना खेती मंे मशीनीकरण, बारानी खेती, वर्मी कम्पोस्टिंग, कीट एवं रोगों का जैविक प्रबधंन, सूक्ष्म पोषक तत्व तथा कमी के लक्षण जैविक खेती की संभावनाएं एवं तकनीक पर चर्चा की जाएगी। संस्थान के मीडिया प्रभारी एवं प्रधान वैज्ञानिक ने बताया कि गन्ना उत्पादन के  लिए मृदा स्वास्थ्य प्रबधंन तथा समेकित पोषक तत्व प्रबंधन वर्तमान समय मंे एक ज्वालंत विषय है जिस पर संस्थान विभिन्न तकनीकों का विकास किया है तथा इन तकनीकों को खेतों तक पहुँचानें के लिए संस्थान गम्भीर प्रयास कर रहा है इसी श्रृंखला मंे चीनी मिलो के गन्ना विकास कार्यकर्ताओं, गन्ना विकास विभाग के अधिकारियों तथा प्रगतिशील किसानों के लिए अनेको प्रशिक्षण कार्यक्रम के साथ विचार विमर्श सत्र का आयोजन किया जाता है। संस्थान द्वारा चीनी मिल क्षेत्रों मंे मिट्टी जांच अभियान चलाकर मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाने पर कार्य किया जा रहा है। उत्पादन तकनीकों पर तकनीकी सूचनाओं को किसानों तक जल्द पहुँचाने के लिए प्रचार प्रसार एवं सूचना के आधुनिक तकनीकों का प्रयोग आज के वर्तमान संदर्भ मंे अपरिहार्य हो गया है, इस विषय पर प्रशिक्षणार्थीयों को सैद्धान्तिक एवं प्रयोगिक जानकारी देने के लिए विशेष सत्र का भी आयोजन किया जाएगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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