उत्तर प्रदेश खाद्य एवं रसद मंत्री श्री रघुराज प्रताप सिंह ‘राजा भइया’ ने कहा है कि धान क्रय नीति एवं लेवी चावल नीति में व्याप्त विसंगति को दूर किया जायेगा।उन्होंने इस वर्ष के लिए जारी धान क्रय नीति में दो मीट्रिक टन से कम क्षमता वाली चावल मिलों से कस्टम मिलिंग का कार्य प्रतिबन्धित किये जाने पर जन प्रतिनिधियों एवं राइस मिलर्स एसोसिएशन की आपत्तियों एवं शिकायतों को गम्भीरता से लेते हुए प्रमुख सचिव खाद्य एवं रसद को इसे दूर करने के लिए तत्काल आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिये हैं।
खाद्य एवं रसद मंत्री ने बताया कि जहां धान क्रय नीति में तो दो मीट्रिक टन से कम क्षमता वाली मिलों को कस्टम मिलिंग का कार्य करने से रोका गया है, वहीं उत्तर प्रदेश चावल और धान (उद्ग्रहण और व्यापार विनियमन) आदेश के तहत 0.5 मीट्रिक टन प्रति घंटा क्षमता वाली चावल मिलों से लेवी चावल खरीद किये जाने की व्यवस्था की गयी है। इस प्रकार खरीफ विपणन नीति-2014-15 में न्यूनतम दो मीट्रिक टन क्षमता का प्राविधान किये जाने से लेवी चावल हेतु 0.5 मी0टन क्षमता वाली चावल मिल होने का प्राविधान स्वतः प्रभावहीन हो जाता है क्यांेकि लेवी चावल उन्हीं मिलों से ली जायेेगी, जिन्होंने कस्टम मिलिंग का कार्य किया है।
जन प्रतिनिधियों एवं राइस मिलर्स एसोसिएशन ने खाद्य मंत्री ने संज्ञान में लाया है कि चावल मिलों के लिए न्यूनतम दो टन की क्षमता अनिवार्य किये जाने से पूर्वांचल क्षेत्र की अधिकांश मिलें स्वतः प्रतिबन्धित हो जायेंगी, जिससे
राइस मिल उद्योग को भारी क्षति होगी तथा इसका सारा उत्तरदायित्व राज्य सरकार पर आयेगा।
खाद्य एवं रसद मंत्री ने इन तथ्यों को संज्ञान में लेते हुये प्रमुख सचिव खाद्य को लिखे पत्र में कहा है कि खाद्य विभाग के दोनों निगमों उ0प्र0 राज्य कर्मचारी कल्याण निगम एवं आवश्यक वस्तु निगम को धान खरीद में शामिल न किये जाने से न केवल दोनों निगमों को भारत सरकार से अनुमन्य
2.5 प्रतिशत कमीशन की आर्थिक क्षति होगी, बल्कि दोनों निगमों के गत वर्षों के बकाया सी0एम0आर0 की डिलीवरी अवरूद्ध होने के सम्भावना उत्पन्न होगी जिससे इन निगमों को अनावश्यक वित्तीय क्षति उठानी पड़ेगी।
खाद्य एवं रसद मंत्री ने इन दोनों खामियों को दूर करने के मद्देनजर प्रमुख सचिव को कैबिनेट के विचार हेतु तत्काल आवश्यक संशोधित प्रस्ताव प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं ताकि इसे कैबिनेट से अनुमोदन कराकर धान क्रय नीति में आवश्यक संशोधन कर विसंगति को दूर किया जा सके।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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