अखण्ड सौभाग्य एवं पति के मंगलमय जीवन के लिए महिलाओं ने करवाचैथ का निर्जला व्रत रखा। देर सायं चांद का दीदार करने के बाद पति की आरती कर पैर धोया और पति के हाथों पानी पीकर व्रत तोड़ा।
खासकर सुहागिनों के लिए करवाचैथ व्रत में महिलाओं ने सुबह से निर्जला व्रत रखा और सायं होते ही सुहाग के पूरे श्रृंगार से सजकर निर्धारित पूजा सामग्रियों के साथ गणेश, चन्द्रमा, शिव-पार्वती के साथ भगवान विष्णु व लक्ष्मी की पूजा अर्चना की, जिसमें सुहागिनों ने अपने अखण्ड सौभाग्यवती होने तथा पति के जीवन का जीवन मंगलमय बने रहने की कामना की। कथा-पूजन के बाद सुहागिनियों ने दीपक जला कर चलनी के आड में चन्द्रमा का दर्शन किया और फिर अपने पति का दर्शन कर उनकी आरती उतारी, पैर धुलकर चरण स्पर्श किया। पति का आर्शीवाद लेने के बाद पति के हाथों पानी पीकर दिन भर कर निर्जला व्रत तोडा। इस पर्व पर व्रत तोड़ने के बाद सुहागिनों ने पति के साथ विविध पकवानों का भोजन किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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