तोरिया की भवानी, पी0टी0 एवं राई की माया, रोहणी, उर्वसी, नरेन्द्र स्वर्णा, बसंती आदि की बुवाई करें। तोरिया की सम्पूर्ण उ.प्र. हेतु संस्तुत प्रजातियों यथा टा-9 (काली), भवानी (काली), पी.टी.-303 (काली) मध्य उ.प्र. हेतु संस्तुत टा-36 (पीली) तथा तराई क्षेत्र हेतु संस्तुत प्रजाति पी.टी.-30 (काली), आदि की बुआई करंे। 4 किग्रा. बीज एक हे. की बुआई के लिये पर्याप्त है।
कृषि अनुसंधान परिषद में आयोजित बैठक में फसल सतर्कता समूह के कृषि वैज्ञानिकों की किसानों को दी गई सलाह के अनुसार राई/सरसों बोने हेतु मौसम अनुकूल है अतः सिंचित दशा में संपूर्ण उत्तर प्रदेश हेतु संस्तुत प्रजातियों नरेन्द्र अगेती राई-4, रोहिणी, माया, उर्वशी, नरेन्द्र स्वर्णा-राई-8, नरेन्द्र राई (एन.डी.आर.-8501) तथा सम्पूर्ण मैदानी क्षेत्रों हेतु संस्तुत प्रजातियों वरूणा (टी 59) व बसंती (पीली) की बुआई प्रारम्भ करें। बुवाई के 20-25 दिन के अन्दर बिरलीकरण अवश्य करें पंक्तिओं में समय से बुवाई सुनिश्चित करें। 25-30 दिन की अवधि में पहली सिंचाई करें। आरा मक्खी एवं माहूं से बचाव किया जाये।
मंूगफली में टिक्का रोग लगने का समय है अतः सतर्क रहंे। प्रकोप होने पर मैंकोजेब (जिंक मैंगनीज कार्बामेट) 2 किग्रा. या जिनेब 75 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण 2.4 किग्रा. अथवा जीरम 27 प्रतिशत तरल के 3 लीटर अथवा जीरम 80 प्रतिशत के 2 किग्रा. के 2-3 छिड़काव 10 दिन के अन्तर पर करें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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