’भारत अपनी विशिष्टताओं के कारण विश्व गुरु के रुप मंे जाना जाता रहा है और यहां की संस्कृति तथा ऐतिहासिक आकर्षण युगांे युगांे से देश विदेश के लोगों को आकर्षित करते रहे हंै। उत्तर प्रदेश के बिना भारत की कल्पना नहीं की जा सकती, देश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों में यूपी का अभूतपूर्व योगदान है’।
विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर गोमती नगर स्थित पर्यटन भवन में प्रदेश के पर्यटन मंत्री श्री ओम प्रकाश ने यह विचार व्यक्त किए। पर्यटन मंत्री ने पर्यटन भवन के प्रेक्षागृह में विभिन्न कार्यक्रमों के शुभारंभ करते हुए कहा ’उत्तर प्रदेश अपनी इन विशेषताओं और उनके संरक्षण तथा प्रचार-प्रसार के लिये चिन्तन-मनन का अवसर प्रदान कर रहा है। हम सबकों अपनी पर्यटन परम्पराओं के प्रति जागरुक होते हुये उसके विकास तथा उसमे देश-समाज के हर वर्ग की अधिकाधिक भागीदारी के लिये प्रयत्नशील होना चाहिये।’
पर्यटन मंत्री ने विश्व पर्यटन दिवस के आयोजन में पर्यटन उद्योग की विभिन्न विधाआंे से जुडे़ लोंगों और संस्थाओं के साथ-साथ छात्रों व युवा वर्ग की भागीदारी पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुये कहा कि सामूहिक और सामुदायिक सहभागिता से ही सफलता विस्तृत फलक पर प्राप्त की जा सकती है और पर्यटन उद्योग भी इसका अपवाद नही है। विश्व पर्यटन संगठन द्वारा इस वर्ष घोषित की गयी थीम भी इसी ओर संकेत करती है: इस वर्ष की थीम है ’टूरिज्म एंड कम्युनिटी डेवलेपमेंट’ यानी पर्यटन एवं सामुदायिक विकास।
इस अवसर पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित ‘‘लखनऊ कैमरे की दृष्टि से ’’ शीर्षक फोटोग्राफी प्रतियोगिता का उद्घाटन भी पर्यटन मंत्री ने किया। चित्र प्रदशर्नी में श्री आजेश जायसवाल के लखनऊ के बड़े इमामबाड़े पर केन्द्रित आकर्षक चित्र एवं फोटोग्राफी प्रतियोगिता में प्राप्त लखनऊ के विभिन्न स्मारको और सांस्कृतिक परम्पराओं पर आधारित चित्र आकर्षण का केन्द्र रहे। विश्व पर्यटन दिवस पर आॅन स्पाॅट पेन्टिंग प्रतियोगिता एवं क्वीज़ प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गयीं। इसी क्रम में प्रेक्षागृह में आयोजित सास्कृतिक कार्यक्रम का भी लोगों ने आनन्द उठाया।
इस अवसर पर महानिदेश पर्यटन श्री अमृत अभिजात ने कहा प्रदेश सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अनेक प्रयास कर रही है। हाल ही में जारी पर्यटन नीति इसमें काफी सहायक सिद्ध हो रही है। उन्होंने कहा कि पर्यटन को एक विचार कि रूप में देखें तो सामुदायिक और सामूहिक प्रयास व गतिविधियों के अन्र्तनिहित अटूट सम्बन्ध स्वतः ही दृष्टिगत हो जाते हैं। जब कोई पर्यटक अपने घर की सीमाओं से निकलकर किसी स्थान के भ्रमण के लिए निकलता है, तो स्वाभाविक रूप से उसे वहाॅ विभिन्न पर्यटक आवश्यकताओं की आवश्यकता होती है। इस क्रम में उसे दैनिक जीवन की आवश्यक सामग्रियों के साथ-साथ स्थानीय परिवहन एवं विभिन्न उत्पादों को क्रय करने और विभिन्न सेवाओं का भी उपयोग करना पड़ता है। इससे जहाॅ पर्यटक की आवश्यकताओं की पूर्ति होती है और जिसके फलस्वरूप वह अपने भ्रमण में सहजता की अनुभूति करने के कारण पूरे दिल-दिमाग से भ्रमण का आनन्द उठाता है, तो वहीं इस क्रम में स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी सुलभ होते हैं, जो स्थानीय लोगों को जीवकोपार्जन के साथ-साथ उनके बेहतर भविष्य की संभावनाओं के द्वार भी खोलते हैं।
श्री अभिजात ने कहा कि भारतीय मनीषा ने तो इस सामूहिकता और सामुदायिक भावना की अवधारणा प्राचीनकाल में ही ’’वसुधैव कुटुम्बकम्’’ के मन्त्र के सूत्र वाक्य के रूप में दी थी। पर्यटन के संदर्भ में इस सूत्र की प्रासंगिकता एवं महत्व स्वतः ही स्पष्ट है, क्योंकि पर्यटन एक ऐसा क्षेत्र है, जिसके माध्यम से विश्व के लोगों को आपसी प्रेम-सदभाव एवं भाईचारे के सूत्र में बांधा जा सकता है। पर्यटन केवल किसी स्थल का भ्रमण करने का उद्देश्य ही नहीं पूरा करता है अपितु यह लोगों के सामाजिक-आर्थिक उन्नयन एवं उनके जीवन यापन के प्रचुर अवसर भी सुलभ कराता है।
श्री अभिजात ने कहा कि पर्यटन व्यक्तियों पर आधारित एक आर्थिक गतिविधि है जो सामाजिक भागीदारी होने से वह और समृद्ध होती है। वैसे भी उत्तर प्रदेश देश के उन प्रदेशों के सापेक्ष अपनी एक अलग पहचान एवं अस्तित्व रखता है। यहां वाराणसी, आगरा, इलाहाबाद, चित्रकूट, प्रयाग, वृन्दावन, अयोध्या, लखनऊ जैसे पर्यटन स्थल हैं जहां विश्व भर के पर्यटक आते हैं। ये पर्यटक जब गंगा, यमुना, सरयु, मन्दाकनी जैसी नदियों के तट पर स्थित इन स्थलों का अवलोकन करते हैं तब उनको यहां से विश्व बन्धुता एवं भईचारे का संदेश मिलता है।
विश्व पर्यटन दिवस के संदेश के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से पर्यटन विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा आज प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर भी आयोजन कराये जा रहे हैं। इसी क्रम में पर्यटन विभाग द्वारा संचालित पर्यटन प्रबन्ध संस्थान, लखनऊ द्वारा पर्यटन विभाग की हेल्पलाइन (0522-3303030) हेतु पाॅच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ भी आज महानिदेशक पर्यटन श्री अमृत अभिजात ने किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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