पशु चिकित्सा में घातक दवा डाइक्लोफिनेक के उपयोग पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया गया है। डाईक्लोफिनेक दवा खाने वाले पशुओं की नेचुरल डेथ के पश्चात गिद्धों द्वारा उनके शव के मांस के, खाने से उनकी मृत्यु की पुष्टि हुई हैं। गिद्धों की संख्या में तीव्र गति से गिरावट का सबसे बड़ा महत्वपूर्ण कारण गिद्धों द्वारा डाईक्लोफिनेक नामक औषधि जो मृत जानवरों मंे अवशेष रह जाती है के शवों को खाने से हुई है। गिद्धों में गुर्देगाउट नाम बीमारी हो जाती है, जिससे वे शीघ्र मृत्यु को प्राप्त होते है। इसी से गिद्धों की संख्या में तेजी से गिरावट आयी है।
यह जानकारी उ0प्र0 पशुधन विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डाॅ0 बी0बी0एस0 यादव ने दी। उन्होंने बताया कि ड्रग कंट्रोलर जनरल आफ इण्डिया ने ड्रग कंट्रोलर को डाईक्लोफिनेक के वेटनरी उपयोग हेतु दिए गये लाइसेंस को निरस्त करने के आदेश दिए हैं। इसे तीन माह की अवधि में फेजआउट करने के भी निर्देश दिये गये हैं।
डाॅ0 यादव ने बताया कि शासन ने प्रदेश के समस्त मुख्य पशु चिकित्साधिकारियों तथा पशुधन विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को उक्त दवा को पशुओं के इलाज में उपयोग न करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि गिद्धों की दिनों-दिन घटती संख्या चिंतनीय है। गिद्धों के संरक्षण हेतु जागरुकता अभियान संचालित किया गया है। गिद्धों की तीनों प्रमुख प्रजातियों का बचाव किया जा रहा है। बाम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के सदस्यों सुश्री अल्का दुबे तथा डाॅ0 अनन्या मुखर्जी के मार्ग निर्देशन में जागरुकता कार्यक्रम 6 जनपदों में संचालित किये जा रहे हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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