विश्व बैंक द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार कानपुर-औरैया क्षेत्र में औद्योगिक अवस्थापना विकास में लगभग 8479.2 करोड़ रुपये के निवेश की सम्भावना है, जिससे वर्ष 2021 तक करीब 10 लाख व्यक्तियों को रोज़गार उपलब्ध हो सकता है।
यह जानकारी विश्व बैंक, वाशिंगटन के ग्लोबल प्रैक्टिस डाइरेक्टर, मनिन्दर गिल ने आज यहाँ प्रमुख सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास, संजीव सरन के समक्ष ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट काॅरीडोर (ईडीएफसी) पर प्रस्तावित निवेश क्षेत्रों पर विश्व बैंक द्वारा किए अध्ययन पर प्रस्तुतिकरण करते हुए दी।
विश्व बैंक द्वारा हाल ही में ईडीएफसी के मुगलसराय-भाउपुर खण्ड पर 393 किमी लम्बी डबल लाइन विकसित करने हेतु 110 करोड़ डाॅलर का ऋण प्रदान करने की स्वीकृति दी गई है।
विश्व बैंक, वाशिंगटन के ग्लोबल प्रैक्टिस डाइरेक्टर, मनिन्दर गिल के नेतृत्व में आए प्रतिनिधिमण्डल ने बैंक द्वारा आगरा-फिरोज़ाबाद उपक्षेत्र, कानपुर-लखनऊ- उन्नाव-औरैया उपक्षेत्र तथा इलाहाबाद-वाराणसी उपक्षेत्र में निवेश व उद्योग की सम्भावनाओं पर किए गए अध्ययन के परिणामों से प्रमुख सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास, संजीव सरन तथा प्रबन्ध निदेशक, उ.प्र. राज्य औद्योगिक विकास निगम (यूपीएसआईडीसी)- मनोज सिंह व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुतिकरण किया। बैंक द्वारा किए गए विस्तृत अध्ययन में इन उपक्षेत्रों का सामाजिक-आर्थिक विश्लेषण, सम्भावित क्लस्टरों, आर्थिक संयोजन तथा इस संयोजन में आने वाली बाधाओं पर प्रकाश डाला गया है।
प्रमुख सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास, संजीव सरन ने बताया कि इन क्षेत्रों में औद्योगिक विकास हेतु राज्य सरकार पूर्व से ही कई नवीन औद्योगिक नगरी विकसित करने हेतु पहल कर चुकी है, जिसमें प्लास्टिक सिटी औरैया, ट्रांस-गंगा औद्योगिक परियोजना उन्नाव-कानपुर, ग्रेटर इलाहाबाद संगम सिटी आदि प्रमुख हैं।
उन्होंने कहा इसके अतिरिक्त आगरा में 1000 एकड़ क्षेत्र में थीम पार्क की स्थापना की जाएगी। इन सभी परियोजनाओं में विश्व बैंक द्वारा दिए गए सुझावों को सम्मिलित किया जाएगा। इस संबंध में शीघ्र ही एक टास्क फोर्स का गठन कर अनुपालन सुनिश्चित कराया जाएगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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