उ0प्र0 सरकार ने प्रदेश को दुग्ध उत्पादन तथा दुधारू पशुओं के प्रजनन संवर्धन, संरक्षण तथा उच्च कोटि के देशी-विदेशी पशुओं के पालन में अग्रणी बनाने की दिशा में कारगर पहल सुनिश्चित की है। सरकार ने प्रदेश में राष्ट्रीय गाय एवं भैंस प्रजनन परियोजना शुरू की है। प्रदेश में 1.89 करोड़ पशु गाय/भैंस प्रजनन योग्य चिन्हित किये गये हैं।
यह जानकारी उ0प्र0 पशुधन विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा0 बलभद्र सिंह यादव ने दी। उन्होंने बताया कि ‘‘राष्ट्रीय गाय एवं भैंस प्रजनन परियोजना’’ अन्तर्गत राज्य के गाय एवं भैंसों हेतु गुणवत्तायुक्त प्रजनन निवेशों के नियोजन तथा कार्यक्रमों के क्रियान्वयन हेतु उत्तर प्रदेश पशुधन विकास परिषद कार्यरत है। प्रदेश में परिषद द्वारा परियोजनान्तर्गत कार्यक्रमों का क्रियान्वयन पशुपालन विभाग तथा गाय एवं भैंसों के प्रजनन से जुड़े सभी एजेन्सियों/कार्यकर्ताओं तथा निजी क्षेत्र के कर्मियों की सहभागिता से लागू किया जा रहा है। परिषद का मुख्य ध्येय गाय एवं भैंसों के प्रजनन हेतु उच्च गुणवत्ता के प्रजनन निवेशों की नियमित एवं निरन्तर व्यवस्था करना है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में प्रजनन योग्य तथा भैंसों की संख्या 1.89 करोड़ के दृष्टिगत प्रजनन की गुणवत्तायुक्त सुविधा दिया जाना अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इतनी बड़ी संख्या में उपलब्ध गौ एवं महिषवंशी पशुओं के लिये उन्नत प्रजनक सांड़ सुलभ कराना राज्य के सीमित संसाधनों में संभव नहीं है क्योंकि सांड़ से सीधे गाय अथवा भैंस को गर्भित कराने के लिये प्रति 100 मादाओं हेतु के लिये एक सांड़ की आवश्यकता होती है। अतिहिमीकृत वीर्य का प्रयोग कर कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से अलग-अलग क्षेत्र में प्रति सांड़ कुल 10000 से 15000 तक मादाओं को गर्भित किया जा सकता है। इस तकनीक में सांड़ के वीर्य को अतिहिमीकृत कर ‘तरल नत्रजन में अधिक समय तक सुरक्षित रखा जाता है।
डा0 यादव ने बताया कि परिषद प्रत्येक जनपद में उपलब्ध पशुधन के
प्रजनन हेतु राज्य पशु प्रजनन नीति के अनुरूप प्रजातिवार क्षेत्रीय मांग के अनुसार अतिहिमीकृत वीर्य स्ट्राज प्रजनक सांड़ आदि की आपूर्ति कर रहा है। पशु प्रजनन सेवाओं का आच्छादन बढ़ाने के लिए पशुपालन विभाग की संस्थाओं के साथ ही साथ निजी क्षेत्र की संगठित एजेन्सियों जैसे प्रादेशिक सहकारी दुग्ध संघ, भारतीय एग्रो इन्डस्ट्रियल फाउन्डेशन, पशुमित्रों आदि के साथ समन्वय कर रहा है जिससे कार्यक्रमों को राज्य में एकरूपता से लागू किया जा सके।
डा0 यादव ने बताया कि परिषद भारतीय मूल के स्वदेशी प्रजातियों के संरक्षण और विकास पर भी कार्य कर रहा है ताकि प्रकृति प्रदत्त अनमोल धरोहर राष्ट्र के भविष्य की आवश्यकताओं के लिये सुरक्षित रह सकें। साथ ही सैक्सड सीमेन अतिहिमीकृत वीर्य स्ट्राज तथा भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक का प्रयोग कर प्रदेश में उच्च आनुवांशिक क्षमता के संतति प्राप्त किया जा सकता है इससे न केवल प्रदेश में दुग्ध का उत्पादन बढ़ेगा वरन प्रति पशु उत्पादकता में भी वृद्धि होगी। इससे पशुपालकों की आय में वृद्धि तथा उनके जीवन स्तर में सुधार आयेगा।
परिषद द्वारा प्रदेश में राष्ट्रीय पशुधन बीमा योजना का क्रियान्वयन पशुपालकों को दुधारू पशुओं के मृत्यु की दशा में जोखिम से सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से लागू किया गया है। पशुओं को उच्च प्रोटीन युक्त चारे हेतु शहजन (मोरिंगा) को पशुपालकों में प्रचारित करने का कार्य भी परिषद ने अंगीकृत किया है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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