उत्तर प्रदेश खेत मजदूर यूनियन के बैनर तले हजारों की संख्या में ग्रामीण गरीबों ने विधानसभा पर प्रदर्शन किया। जुलूस रेलवे स्टेशन चारबाग से शुरू हुआ तथा बर्लिंग्टन चैराहा, राॅयल होटल चैराहा होते हुए दयानिधान पार्क लालबाग पहुंचकर कर सभा में बदल गया। हाथों में यूनियन के लाल झंडे लिये यूनियन कार्यकर्ता इंकलाब जिन्दाबाद, रोजी रोटी दे से, वह सरकार निकम्मी है, महंगाई को रोक न पाये वह सरकार निकम्मी है। खेत मजदूरों के हित में सर्व समावेशी कानून बनाओ, खाद्य सुरक्षा लागू करो, भूमिहीनों को भूमि दो, नहीं तो कुर्सी छोड़ दो, मनरेगा के तहत 200 दिन रोजगार की गारंटी करो, बकाया मजदूरी का भुगतान कराओ, गरीबों को आवास व पीने का पानी दो, वनाधिकार कानून लागू करो, दलितों व महिलाओं पर होने वाले अपराध सख्ती से रोको, दलित हितों की बंद योजनायें चालू करो आदि नारे लगा रहे थे। ग्रामीण गरीबों के चेहरे पर केन्द्र व राज्य सरकार के खिलाफ गुस्सा साफ झलक रहा था।
दयानिधान पार्क में जनसभा को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार गरीबों को रोजगार व रोटी देने में विफल है। प्रदेश की आधे से अधिक जनता गरीब है जिनके सामने दो वक्त की रोटी का संकट है ये कुपोषण ओर खून की कमी से जूझ रहे हैं। इनकी प्रमुख समस्या रोजगार रोटी, आवास, स्वास्थ्य और सामाजिक सम्मान की है। ग्रामीण गरीबों में रोजगार का संकट गहराता जा रहा है। खेती में खेत मजदूरों के रोजगार के दिन लगातार घटते ही जा रहे हैं। मनरेगा मजदूरों में रोजगार का औसत भी नीचे की ओर जा रहा है। मनरेगा में बजट आवंटन में कमी तथा इसे ठीक प्रकार से लागू करने में कमजोर इच्छाशक्ति के कारण शहरों की ओर ग्रामीण मजदूरों का पलायन जारी है।
वक्ताओं ने जोर देकर मांग की कि खाद्य सुरक्षा कानून तुरन्त लागू किया जाय। नये राशनकार्ड जारी किये जायें। वक्ताओं ने आगे कहा कि दलितों के अंदर अधिकतर लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं। इनके सामने सामाजिक सम्मान का सवाल भी बना हुआ है। संविधान के मौलिक अधिकारों को नकारते हुए भेदभाव, ऊंचनीच, छुआछूत जारी है। कई जगह दलित उस हैण्डपम्प से पानी नहीं ले सकते जिससे सवर्ण पीते हैं। दलित बाहुल्य गांव को छोड़कर सरकारी विद्यालयों तक में दलित रसोइयों का बना भोजन ऊंची जाति के बच्चे व अध्यापक नहीं खा सकते। प्रदेश में दलितों व उनकी महिलाओं पर अपराध करने में सामंती मानसिकता वाले गुण्डा जरा भी नहीं हिचकते हैं। पुलिस प्रशासन दलितों की रिपोर्ट दर्ज करने में टाल-मटोल का रवैया अपनाता है।
वक्ताओं ने दलित हितों की बंद योजनायें चालू करने तथा दलितों के लिए सबप्लान बनाने और आबादी के अनुपात में अधिक धन आवंटित करने की मांग की और कहा कि अल्पसंख्यकों में ईसाइयों और मुस्लिमों को कई क्षेत्रों में समान अवसरों सेवंचित रखा गया है। इन्हें भेदभाव व साम्प्रदायिक हिंसा का शिकार होना पड़ता है। वक्ताओं ने 53 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित कर मजदूरों को अधिक रोजगार व राशन देने की मांग की। उदारीकरण के दौर में खेत मजदूर परिवार सूदखोरों के रहमोकरम पर जिंदा हैं। सरकारी संस्थाओं से ऋण व अनुदान मिलना बंद है। दुर्घटना बीमा का लाभ भी इन्हें नहीं मिलता है। इनके लिए कोई पेंशन योजना भी नहीं है। 80 फीसदी गरीब खुले में शौच जाने को मजबूर हैं और बिजली की रोशनी से भी दूर बने हुए हैं। इनके लिए आवास, पीने का पानी, चिकित्सा, शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। ग्रामीण दस्तकारों कुम्हार, बुनकर, लुहार, बढ़ई, नाई आदि के रोजगार धंधे चैपट हो जाने की वजह से पलायन करने को मजबूर हुए हैं।
सभा को मुख्य रूप से सीपीआई (एम) पोलित ब्यूरो सदस्य एवं पूर्व सांसद कामरेड वृंदा करात, अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन के सहसचिव कामरेड सुनीत चोपड़ा, यूनियन की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद कामरेड सुभाषिनी अली, सीपीआई (एम) राज्य सचिव कामरेड एस.पी. कश्यप, यूनियन के उ0प्र0 राज्य महासचिव कामरेड बृजलाल भारती ने सम्बोधित किया। सभा की अध्यक्षता यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष कामरेड बृह्मस्वरूप ने की। सभा में यूनियन के राज्य उपाध्यक्षगण कामरेड अम्बिका प्रसाद मिश्र, का0 रामजग, सहसचिवगण का0 जयलाल सरोज, का0 सतीशकुमार भी उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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