भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि 10 हजार से ऊपर स्थानान्तरण कर चुकी अखिलेश सरकार विकास कार्यो में अनदेखी और दुरूपयोग के मामलों में सजा देने में भी भ्रमित है। पार्टी प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि जो प्रक्रिया अंतारिक है उस पर सार्वजनिक अभिव्यक्ति प्रकट करती है कि आखिर राज्य का सत्ता संचालन कौन कर रहा है। मुख्यमंत्री के विवशता भरे निर्णय किनके दबाव में हो रहे है।
उन्होंने कहा कि अच्छी बात है मुख्यमंत्री लखनऊ नगर की विभिन्न परियोजनाओं के जिम्मेदार अधिकारियों को सचेत कर रहे है, किन्तु क्या स्थानान्तरण किया जाना सजा दिये जाने के तौर पर सरकार लेती है। फिर सार्वजनिक विज्ञप्ति जारी कर यह कहने की जरूरत क्यों पड़ रही है कि अगर यह अधिकारी इन कार्यो को पूरा करने के प्रति करवद्ध हो तो इनका स्थानान्तरण निरस्त करने पर विचार किया जा सकता है।
श्री पाठक ने कहा कि अनिर्णय और अनिश्यितता से ग्रस्त अखिलेश सरकार अपनी लचर कार्यसंस्कृति के कारण राज्य में विकास कार्यो को धार नही दें पा रही है। राजधानी लखनऊ के विकास कार्यो की ढिली प्रगति का जिक्र खुद मुख्यमंत्री कर ही रहे है। इसके पहले लखनऊ विकास प्राधिकरण के विकास कार्यो का औचक निरिक्षण करते समय मुख्यमंत्री सच का आइना देख चुके है। राज्य की नौकरशाही कुंठाग्रस्त हो रही है। अपनी निजी हानि-लाभ को ध्यान रखते फैसले लेती अखिलेश सरकार हरबार स्थानान्तरण की सूची के साथ नए स्थानान्तरण के संकेत देती है क्योंकि जब भी कोई सम्बद्ध होगा या दोहरे चार्ज में होगा तो उसे फिर समायोजित किया ही जायेगा। यानी एक वार फिर स्थानान्तरण की सूची।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा अनिर्णय, अनिश्चितता, असमंजस, अविश्वास और अंतर्कलह से ग्रस्त अखिलेश सरकार के आज चेतावनी और स्थानान्तरण निरस्त करने के फैसले से स्पष्ट हो गया है कि किस तरह बेबस होकर मुख्यमंत्री सार्वजनिक चेतावनी जारी करते है फिर दो घण्टे बाद स्थानान्तरण निरस्त करने की कारवाई हो जाती है। यानी पटकथा पहले से लिखी है, कार्यन्वित होना है जिसे मुख्यमंत्री ने कार्यन्वित किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com