उत्तर प्रदेश में जिन क्षेत्रों में पर्याप्त वर्षा नहीं हुई है, वहाॅं के सब्जी उत्पादकों को सलाह दी जाती है कि वे अल्प अवधि एवं कम पानी में भी अच्छी उपज प्राप्ति हेतु पालक, मूली, गाजर, शलजम, चुकन्दर, मेथी व धनिया आदि की खेती करें। मटर की अगेती किस्मों यथा आर्किल, आजाद मटर-3, काशी नन्दनी, काशी उदय, काशी मुक्ति की बुवाई करें।
उ0प्र0 कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा किसान मंडी भवन में कृषि उत्पादन आयुक्त श्री वी.एन. गर्ग की अध्यक्षता में आयोजित तेरहवीं बैठक में फसल सतर्कता समूह के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को दी गई सलाह के अनुसार धान में फूल खिलने व दुग्धावस्था में खेत में पर्याप्त नमी प्रत्येक दशा में बनाये रखें। धान में भूरा धब्बा एवं झोंका रोग की रोकथाम हेतु एडीफेनफाॅस 50 प्रतिशत ई.सी. 500 मिली. अथवा मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्लू.पी. 2.0 किग्रा. अथवा जिनेब 75 प्रतिशत डब्लू.पी. 2.0 किग्रा. प्रति हे. 500-750 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। गंधी कीट बाली की दुग्धावस्था में लगता है। गंधी कीट 1-2 कीट प्रति पुंज दिखाई देने पर मिथाइल पैराथियान 2 प्रतिशत धूल 20-25 किग्रा. अथवा मैलाथियान 5 प्रतिशत धूल 20-25 किग्रा. अथवा फेनबैलरेट 0.04 प्रतिशत धूल 20-25 किग्रा. का प्रति हे. की दर से बुरकाव करें। उपरहार भूमियों में तोरिया, राई/सरसों व आलू की बुवाई प्राथमिकता के आधार पर करें।
सूखा/बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जहाॅं खरीफ फसलें नष्ट हो गई हैं वहाॅं इसकी भरपाई के लिये अगेती रबी फसलों का चयन करें। गरम वातावरण एवं आर्द्रता के कारण कीटों के प्रकोप की संभावना रहेगी अतः फसल की निगरानी करते रहें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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