उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने ऊर्जा विभाग को आगामी वर्षों की आवश्कयता के अनुरूप उत्पादन, पारेषण एवं वितरण व्यवस्था को बेहतर बनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि भविष्य की जरूरतोें को ध्यान में रखते हुए तीनों क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं को बढ़ाया जाए, जिससे प्रदेश की जनता को वर्ष 2016 से जनपद मुख्यालयों में 22 घण्टे व ग्रामीण क्षेत्रों में 16 घण्टे विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
श्री यादव आज यहां शास्त्री भवन में ऊर्जा विभाग के कार्यों की गहन समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अभियान चलाकर 40,000 अवशेष कृषकों के निजी नलकूपों को इसी वित्तीय वर्ष में ऊर्जीकृत किया जाए, जिससे अप्रैल, 2015 से आवेदन पत्र के साथ ही किसानों के नलकूपों को ऊर्जीकृत कराया जा सके। उन्होंने इस मद में 160 करोड़ रुपए की व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने के निर्देश भी दिए।
प्रदेश में निर्माणाधीन तापीय विद्युत परियोजनाओं की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने अनपरा-डी के निर्माण कार्यो में तेजी लाते हुए इससे हर हाल में मार्च, 2015 तक उत्पादन शुरु कराने के निर्देश दिए हैं। इसी प्रकार ललितपुर एवं बारा की परियोजनाओं को जून, 2015 तक निजी निवेशकर्ताओं के साथ समन्वय स्थापित कर शुरु कराया जाये। साथ ही, मेजा पावर प्लान्ट के कार्यो में तेजी लायी जाये ताकि अक्टूबर, 2016 तक इस परियोजना से विद्युत आपूर्ति हो सके। इसके अलावा विभाग को आवश्यकतानुसार पावर प्रोक्योरमेन्ट प्लान को अंतिम रूप दिया जाए ताकि शासन द्वारा निर्धारित लक्ष्यों के अनुसार विद्युत की अपूर्ति संभव हो सके । नई विद्युत परियोजनाओं हेतु पर्यावरण क्लीयरेंस एवं कोल लिंकेज के लिए भारत सरकार से प्रभावी समन्वय किया जाये। प्रमुख सचिव ऊर्जा श्री संजय अग्रवाल ने वर्ष 2016-17 से विद्युत आपूर्ति करने की व्यापक योजना प्रस्तुत की और मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि अगले 03 वर्षों में स्थापित क्षमता को 10,500 मेगावाट से बढ़ाकर 18,000 मेगावाट तक पहुंचा दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने निर्देशित किया कि हरदुआगंज, पनकी, ओबरा सी, घाटमपुर, मेजा-2 एवं करछना परियोजनाओं को भी वर्ष 2021 तक हर हालत में पूरा किया जाए, जिससे प्रदेश के उपभोक्ताओं को पर्याप्त विद्युत आपूर्ति होती रहे। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि बढ़ी हुई उत्पादन क्षमता के साथ पारेषण और वितरण तंत्र को सुदृढ़ किया जाए। इसके लिए उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रस्ताव के अनुसार सितम्बर, 2016 तक 765 के.वी. पारेषण क्षमता को 2,000 से बढ़ाकर 14,000 मेगावाट, 400 के.वी. पारेषण तंत्र को 9,200 से बढ़ाकर 27,950 मेगावाट तक और 220 के.वी. पारेषण क्षमता को 39,190 मेगावाट तक बढ़ाया जाए। पारेषण के अंतर्गत सभी प्रस्तावित 69 उपकेन्द्रों के कार्य को यथाशीघ्र पूरा किया जाए। इसी प्रकार वितरण तंत्र के सुदृढ़ीकरण के लिए भी निर्देश दिए गए। विभागीय अधिकारियों द्वारा आगामी 03 वर्षों में पारेषण, वितरण एवं उत्पादन मद में व्यवस्था सुदृढ़ करने हेतु 18,162 करोड़ रुपए की आवश्यकता बताई गई। इसके क्रम में मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव के स्तर पर इसकी समीक्षा कर आवश्यक कार्रवाई के लिए कहा है।
श्री यादव ने ऊर्जा विभाग द्वारा जुलाई और अगस्त माह में अभियान चलाकर नये 24 लाख उपभोक्ताओं को कनेक्शन दिये जाने को एक अच्छी उपलब्धि बताते हुए कहा कि सभी नये उपभोक्ताओं को मीटर की सुविधा दिया जाना सुनिश्चित किया जाये और उनकी बिलिंग भी सुनिश्चित किया जाये। सभी उपभोक्ताओं, विशेष रूप से शहरी उपभोक्ताओं को शत-प्रतिशत बिलिंग एवं कलेक्शन के हर संभव प्रयास किये जायें। प्रमुख सचिव ऊर्जा ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि अभियान के तहत घरेलू बत्ती-पंखा श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिए बी.एण्ड एल. फार्म की आवश्यकता समाप्त कर दी गई थी, जिससे उपभोक्ताओं को बहुत लाभ हुआ। उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि इस श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिए बी.एण्ड एल. फार्म की आवश्यकता को सदैव के लिए समाप्त कर दिया जाए। मुख्यमंत्री ने निर्देशित किया कि इस संबंध में तत्काल औपचारिक प्रस्ताव भेजकर शासन से आदेश प्राप्त कर लिए जाएं।
ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत व्यवस्था पर विचार-विमर्श करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि
11वीं पंचवर्षीय योजना के अन्र्तगत ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत संचालित 22 जनपदों में 4,600 करोड़ रूपये से अधिक की लागत से 551 ग्रामों एवं 32,148 मजरों का सघन विद्युतीकरण का कार्य प्रारम्भ किया गया है। उन्होंने वर्ष 2015-16 में इस कार्य को पूरा करने के निर्देश दिए हैं। इसी प्रकार 12वीं पंचवर्षीय योजना के अन्र्तगत 64 जनपदों के 1,40,000 मजरों में 7,282 करोड़ रूपये की लागत से सघन विद्युतीकरण का कार्य भी शीघ्र शुरु किया जाए, क्योंकि इन कार्यों की स्वीकृति दी जा चुकी है। उन्होंने ग्रामीण विद्युतीकरण के कार्यो में गति लाने और ऐसी व्यवस्था बनाने के लिए कहा है, जिससे कि कार्यो की गुणवत्ता और समयबद्धता के साथ कोई समझौता न हो। उन्होंने आधुनिक तकनीक का प्रयोग करते हुए रिमोट मानीटरिंग और अनुश्रवण की व्यवस्था बनाने पर बल दिया। साथ ही स्थानीय स्तर पर जनता के सामने योजना को पारदर्शिता के साथ रखने के लिए भी कहा।
मुख्यमंत्री ने शहरी क्षेत्रों की विद्युत व्यवस्था एवं उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए सूचना तकनीक के प्रयोग पर बल देने का निर्देश दिया। विभागीय अधिकारियों ने उन्हें अवगत कराया कि शहरी क्षेत्रों में बेहतर विद्युत व्यवस्था के अन्र्तगत 168 शहरों में आर.ए.पी.डी.आर.पी. के अन्र्तगत कार्यक्रम चलाया गया है जिसमें बिलिंग और कलेक्शन संबंधी सूचनाओं को कम्प्यूटर के माध्यम से देने के लिये केन्द्रीयकृत डाटा सेन्टर बनाकर एक नेटवर्क प्रणाली विकसित की गई है। नचचबसवदसपदमण्बवउ के माध्यम से उपभोक्ता अब इन शहरों में घर बैठे कार्ड/नेट बैंकिंग के माध्यम से बिजली के बिल को जमा कर सकते हैं। विभाग ने यह भी अवगत कराया है कि इन शहरों में ैडै के द्वारा उपभोक्ताओं को बिलिंग की जानकारी की व्यवस्था भी की गयी है और अभी तक करीब 8 लाख उपभोक्ताओं के मोबाईल नम्बर दर्ज हो चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी भी अपेक्षाकृत कम संख्या में उपभोक्ताओं द्वारा इन योजनाओं का लाभ उठाया जा रहा है। विभाग द्वारा इन सुविधाओं का पूरा प्रचार-प्रसार किया जाये और दिसम्बर, 2014 के अंत तक न्यूनतम 25 लाख उपभोक्ताओं को ैडै के माध्यम से बिलिंग की जानकारी देने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये। साथ ही व्दसपदम बिलिंग को बढ़ावा देने हेतु जन सुविधा केन्द्रों/लोकवाणी केन्द्रों के माध्यम से बिजली के बिल जमा करने की व्यवस्था की जाये। ज्ञातव्य है कि पूरे प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के लिये अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिये मध्यांचल में 18001800440, पश्चिमांचल में 18001803002, दक्षिणांचल में 18001803023 और पूर्वान्चल में 18001805025 नम्बरों से युक्त काल सेंटर खोले गये हैं। मुख्यमंत्री ने इन नम्बरों पर दर्ज शिकायतों के निस्तारण की सुदृढ़ व्यवस्था करने तथा स्थानीय स्तर पर उपरोक्त सुविधा का व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री को तहसीलों में बेहतर विद्युत आपूर्ति हेतु 33/11 के0वी0 सब स्टेशन के बारे में अवगत कराया गया कि 201 सब स्टेशन के विपरीत अभी तक 63 सब स्टेशन का ऊर्जीकरण हो चुका है। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम में तेजी लायी जाये और अक्टूबर, 2014 तक 166 तहसीलों के सब स्टेशनों के ऊर्जीकरण की कार्यवाही सम्पन्न की जाये और शेष सब स्टेशनों के निर्माण के संबंध में सतत् प्रयास करते हुए 31 मार्च, 2015 तक शेष 35 सब स्टेशनों का ऊर्जीकरण किया जाये। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाये कि तहसील स्तर पर ऊर्जीकृत सब स्टेशनों का कनेक्शन ट्रांसमिशन से इस तरह से किया जाये कि तहसील स्तरीय शहरी क्षेत्र को बेहतर विद्युत आपूर्ति की जा सके। उन्होंने यह भी निर्देशित किया कि माह नवम्बर से ऐसी सभी तहसीलों को, जहां पर सबस्टेशन ऊर्जीकृत हो चुके हैं, उन्हें ग्रामीण क्षेत्र की तुलना में 02 घण्टे अधिक विद्युत आपूर्ति की जाए।
मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि आर.ए.पी.डी.आर.पी. पार्ट-बी के अन्र्तगत 167 शहरों में विद्युत आपूर्ति को बेहतर करने के लिये कार्य कराये जा रहे हैं जिसमें 155 शहर नान-स्काडा और 12 स्काडा शहर हैं। इस क्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि इन कार्यो को गति दिये जाने की आवश्यकता है। इसमें करीब 6300 करोड़ रूपये की धनराशि निहित है और शहर वार इनके अनुश्रवण की व्यवस्था विकसित किये जाने की आवश्यकता है। यह सम्पूर्ण कार्य तत्काल अक्टूबर के अंत तक प्रारम्भ कराये जाएं और समय-समय पर इनका सघन अनुश्रवण करते हुए समयबद्ध रूप से कार्य को पूरा किया जाये। शहरी क्षेत्रों में लाइन हानियों को वर्तमान 35 प्रतिशत से समयबद्ध रूप से 20 प्रतिशत तक लाने की कार्यवाही की जाये। उन्होंने कहा कि प्रत्येक उपखण्ड अधिकारी अपने क्षेत्र के कम से कम 02 फीडरों की लाइन हानि को माह अक्टूबर के अंत तक घटाकर 20 प्रतिशत पर लाने का गम्भीरता से प्रयास करें। उन्होंने आगाह किया कि इस कार्य में किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने पारेषण सम्बन्धी परियोजनाओं की समीक्षा करते हुए इनमें तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से ललितपुर-आगरा, इलाहाबाद-मैनपुरी और मैनपुरी-ग्रेटर नोएडा के कार्यो को समयबद्ध अनुश्रवण कर क्रियान्वित कराया जाये। उन्होंने इन कार्यों में आ रही कठिनाई को तत्काल दूर करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने डाॅ0 राम मनोहर लोहिया समग्र ग्राम विकास योजना के तहत वर्ष 2012-13 तथा 2013-14 के सभी ग्रामों एवं बसावटों का गुणवत्ता के साथ शत-प्रतिशत विद्युतीकरण मार्च, 2015 तक अवश्य पूर्ण कराने के निर्देश दिए। बैठक में प्रमुख सचिव ऊर्जा ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि ऊर्जा निगमों में वर्ष 2000 के मानक के आधार पर पद सृजित हैं, जबकि इसके बाद विद्युत लाइनों, सबस्टेशनों आदि की संख्या में कई गुना बढ़ोत्तरी हो चुकी है। अतः तकनीकी और गैरतकनीकी पदों के सृजन की नितान्त जरूरत है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि ऐसे पदों का तत्काल आकलन कर आख्या शासन को उपलब्ध करायी जाए जिससे जरूरी निर्णय लिया जा सके।
बैठक में लोक निर्माण मंत्री श्री शिवपाल सिंह यादव, राजनैतिक पेंशन मंत्री श्री राजेन्द्र चैधरी, ऊर्जा राज्य मंत्री श्री यासर शाह, मुख्य सचिव श्री आलोक रंजन, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री
श्री राकेश बहादुर, प्रमुख सचिव वित्त श्री राहुल भटनागर, सचिव मुख्यमंत्री श्री पार्थ सारथी सेन शर्मा, प्रबन्ध निदेशक उ.प्र. पावर काॅर्पोरेशन श्री ए.पी. मिश्रा, निदेशक वाणिज्य श्री संजय सिंह, निदेशक वक्र्स यू.पी.पी.टी.सी.एल. श्री शतांशु अग्रवाल, निदेशक तकनीकी यू.पी.आर.वी.यू.एन.एल.
श्री मुरली भागचंदानी एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com