मंत्रिपरिषद ने महिला उद्यमी प्रोत्साहन योजना की नियमावली में संशोधन करने का निर्णय लिया है। इसके तहत योजना को और अधिक व्यवहारिक बनाने तथा महिला उद्यमियों में रुचि पैदा करने हेतु न्यूनतम शैक्षिक योग्यता इण्टरमीडिएट के स्थान पर हाईस्कूल उत्तीर्ण करने का निर्णय लिया गया है। साथ ही योजना में उत्पादन करने वाली इकाइयों के साथ-साथ सेवा क्षेत्र की इकाइयों को भी सम्मिलित किया गया है। सेवा क्षेत्र में वे इकाइयां शामिल होंगी, जो एम.एस.एम.आई. मंत्रालय भारत सरकार द्वारा समय-समय पर निर्गत परिपत्रों में उल्लिखित हैं।
ज्ञातव्य है कि महिला उद्यमी प्रोत्साहन योजना फरवरी, 2013 में लागू की गई थी। योजना के तहत महिला उद्यमियों को उत्पादन इकाई लगाने पर उन्हें बैंक से प्राप्त ऋण के सापेक्ष ब्याज की देयता पर 5 प्रतिशत उपादान अधिकतम 50 हजार रुपए प्रतिवर्ष तथा कुल 5 वर्ष हेतु ढाई लाख रुपए उपादान देने की व्यवस्था रखी गई थी। साथ ही महिला उद्यमियों की शैक्षिक योग्यता इण्टरमीडिएट रखी गई थी। लेकिन जून, 2014 तक इस योजना में मात्र 35 आवेदन पत्र बैंकों को प्रेषित किए जा सके। इसलिए इस योजना को और अधिक व्यवहारिक बनाने हेतु उपरोक्त निर्णय लिए गए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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