उ0प्र0 शासन ने प्रदेश के समस्त दुग्ध संघों में स्वच्छता रखने तथा दुग्ध संयंत्रों का समुचित रख-रखाव करने के निर्देश दुग्ध संघों/समितियों के प्रभारियों तथा जिला दुग्ध प्रबंधकों को दिये हैं। पाइप लाइनों से दुग्ध का रिसाव/लीकेज नहीं होना चाहिए। दुग्ध शालाओं के सम्पूर्ण परिसर में स्वच्छता रखी जानी चाहिए। दुग्ध संधों के कैनवासर की चैन दुरूस्त होनी चाहिए। कैनवासर अच्छी हालत में होने अनिवार्य है। क्रीम सेप्रेटर से दूध बाहर नहीं बहना चाहिए। दूध पाइप लाइनों से भी कहीं टपकना अथवा रिसना नहीं चाहिए। दुग्ध प्रोसेस सेक्शन का मिल्क क्लेरिफायर ठीक हालत में होना चाहिए। दुग्धशालाओं में अव्यवस्था, गंदगी तथा संयंत्रों का रख-रखाव ठीक न होने पर प्रभारी अधिकारियों को दण्डित किया जायेगा।
इस आशय के निर्देश प्रदेश के दुग्ध विकास मंत्री श्री राममूर्ति वर्मा ने दिये हैं। उन्होंने दुग्ध संघों को स्टैण्डर्ड, टोप्ड मिल्क व दही ही उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराने के साथ ही अन्य दुग्ध उत्पादों को बनाने और उसकी बिक्री करने के सख्त निर्देश दिये हैं। दुग्ध संघ प्रभारियों को उपभोक्ताओं को समस्त दुग्ध उत्पादों को उपलब्ध कराना होगा।
दुग्ध विकास मंत्री श्री वर्मा ने दुग्ध संघों/दुग्धशालाओं को घाटे से उबारने की दिशा में ठोस रणनीति के तहत संबंधित अधिकारियों तथा स्टाफ कर्मियों को कठिन परिश्रम करने के निर्देश दिये। दुग्ध संघों द्वारा लगातार भारी हानि दर्ज कराने की प्रवृत्ति पर कठोर अंकुश लगाया जायेगा। उन्होंने सभी दुग्ध संघों/दुग्ध समितियों को मुनाफे की ओर कदम बढ़ाने के लिए आह्वान किया है। उन्होंने लाभ की स्थिति की ओर अग्रसर न होने वाले दुग्ध संघों/दुग्ध समितियों के प्रभारियों तथा जिला दुग्ध प्रबंधकों को दण्डित करने की भी कठोर चेतावनी दी है। उन्हांेने समस्त दुग्ध प्रबंधकों/दुग्ध समितियों के प्रभारियों को दुग्ध उपलब्ध कराने वाले दुग्ध उत्पादकों/किसानों को दुग्ध मूल्य का शत-प्रतिशत बकाया भुगतान शीघ्र करने के भी निर्देश दिये हैं। यदि दुग्ध संघों समितियों को दुग्ध आपूर्ति, दूध की बिक्री करने
वाले ग्राहकों, दूध बिक्रेता, किसानों को दूध के मूल्य का भुगतान लम्बित रखा जायेगा तो संबंधित अधिकारियांे/कर्मियों जो भी दोषी पाया जायेगा उसे दण्डित किया जायेगा।
दुग्ध विकास मंत्री ने समस्त दुग्ध संघों की कार्य योजना जिसमें दुग्ध संघ के अनुभागवार कितने कर्मचारी होंगे और उन पर कुल वास्तविक कितना खर्च आयेगा, कितने कर्मचारी सरप्लस हैं, उनसे क्या कार्य लिया जाना है, उनकों क्या लक्ष्य दिये जा सकते हैं की सूचना प्रधान दुग्ध प्रबंधक को प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं। उन्हांेने दुग्ध संघों द्वारा अधिकाधिक दुग्ध उत्पादों को उत्पन्न करने के निर्देश दिये। दुग्ध उत्पादों में लाभ ज्यादा होंगे। दुग्ध संघ को नये उत्पादों के विपणन के लिए जितने भी नये कर्मचारी की आवश्यकता होगी उन सभी को कमीशन के आधार पर नियुक्तियां की जायेंगी। अन्य अनुभागों के अधिसंख्य कर्मचारियों को विपणन कार्य हेतु नियुक्ति में शीर्ष प्राथमिकता मिलेगी। उन्होंने कहा कि दुग्ध संघों की आवश्यकता के अनुसार श्रेत्रीय पर्यवेक्षकों द्वारा दुग्ध उपार्जन तथा दुग्ध विपणन की आवश्यकता को पूरी करते हुए जरूरत से अधिक स्टाफ को ले आफ़ देने की व्यवस्था दुग्ध संघ की सेवा नियमावली के अनुसार सुनिश्चित की जायेगी।
श्री वर्मा नेे क्षेत्रीय पर्यवेक्षकों को दुग्ध उपार्जन एवं उत्पादन में रिकार्ड अभिवृद्धि हेतु सघन रूप में क्षेत्रीय भ्रमण करने, किसानों, पशुपालकों, दुग्ध उत्पादकों से सम्पर्क करने, उनके दूध को क्रय करने, किसानों पशुपालकों को नस्ल सुधार, जानवरों का रख-रखाव, संतुलित पशु आहार, चिकित्सा सुविधा, पशुओं को रोगों से बचाव हेतु टीकाकरण कराने, पशुओं को चारा खिलाने, अच्छी गुणवत्ता का चारा उत्पादन करने आदि की जानकारी भी देने के निर्देश दिये हैं। उन्हांेने कहा कि इस प्रकार एक छोटे से क्षेत्र में सघन रूप से कार्य करने पर यातायात व्यय कम होगा। अच्छी गुणवत्ता का दूध प्राप्त होगा एवं कम खर्च में उपभोक्ताओं को अच्छी गुणवत्ता का दूध तथा दुग्ध उत्पादों को उपलब्ध कराया जा सकेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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