उ0प्र0 के पशुधन विकास परिषद की कारगर पहल से प्रदेश के दुधारू पशुओं में शीघ्र भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक का प्रयोग/प्रजनन के लिए बेकार हो चुकी गायों को सेरोगेट मदर के रूप में प्रयोग कर उनकी उपायोगिता बनाये रखने का कार्य युद्ध स्तर पर प्रदेश में शुरू किया जा रहा है। भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीकी के प्रयोग से अब दुधारू पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता बढ़ेगी बल्कि उच्च गुणवत्ता वाली गायों की संख्या में भी वृद्धि होगी। इस तकनीक से 60-65 लीटर दूध देने वाली गाये पैदा की जायेंगी। भू्रण प्रत्योरापण से दुधारू पशुओं में वृद्धि होगी।
यह जानकारी पशुधन विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा0 बी0बी0एस0यादव ने दी। उन्होंने बताया कि विदेशी नस्ल की गायों में भी भू्रण प्रत्यारोपण करके पशु संततियों को उत्पन्न किया जायेगा। डा0 यादव ने बताया कि इस तकनीक से गाय अब सिर्फ बछिया ही जन्मेंगी। जरूरत पड़ने पर बछड़े को भी भू्रण प्रत्यारोपण विधि से जन्म दिया जायेगा। संयुक्त राष्ट्र अमेरिका की सेक्सिंग तकनीक को अपना कर दुधारू गायों में भू्रण प्रत्यारोपण करके उच्च कोटि की नस्ल वाली दुधारू बछियों को उत्पन्न किया जायेगा।
परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा0 यादव ने बताया कि अच्छी नस्ल की गाय को तकनीक के माध्यम से गर्माकर उससे साल भर में दो से तीन अण्डे डिम्ब लिये जा सकेंगे और एक बार में 14 से 15 डिम्ब या अण्डे निकाले जा सकते हैं। उनकों अच्छी नस्ल के सांड के वीर्य (सीमन) से निशेचित करके उन गायों के गर्भ में डाल दिया जायेगा जो दूध देने के काबिल नहीं हैं। इस विधि से बेकार हो चुकी गायों की भी उपयोगिता बनी रहेगी। उन्होंने बताया कि इस
तकनीक से एक अच्छी नस्ल की गाय से बिना उसे दुग्ध उत्पादन को बाधित किये सालभर में 30-35 डिम्ब या अण्डे प्राप्त करके इतने ही बच्चे (बछिया) पैदा किये जा सकेंगे।
डा0 यादव ने बताया कि परिषद के चार पशु विशेषज्ञों/पशुचिकित्सक अधिकारियों को उत्तराखण्ड में प्रशिक्षण हेतु भेज करके उन्हें प्रशिक्षित किया जा चुका हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में पशुपालन विभाग के शासकीय प्रक्षेत्रों में 14-15 लीटर प्रतिदिन दूध देने वाली साहीवाल गायें हैं। इन गायों के बच्चों की संख्या तथा इनमें दुग्ध उत्पादन की मात्रा भी बढ़ायी जायेगी। इस तकनीक से विदेशी नस्ल की उन गायों के बच्चे भी पैदा किये जायेंगे, जिनकी 65-70 लीटर प्रतिदिन दूध देने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि विदेशों से भी हिमीकृत भ्रूण मंगाये जायेंगे जिनकों यहां की गायों में प्रत्यारोपित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि विदेशों से भ्रूण मंगाने हेतु सार्थक पहल की जा रही है। उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड के पास विदेशी नस्ल की गायों के भ्रूण के आयात करने का लाइसेंस है जिससे विदेशी भ्रूण वहां उपलब्ध है। विदेशी नस्ल की गायों के भू्रूण को उत्तराखण्ड से खरीद करके उत्तर प्रदेश की दुधारू गायों में प्रत्यारोपित करके उच्च कोटि के गायों के बच्चे पैदा किये जायेंगे।
डा0 यादव ने बताया कि इस विधि से दुग्ध उत्पादन में और अधिक वृद्धि होगी। इससे पशु पालकों की आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ होगी। भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक से उच्चगुणवत्ता की गाय से 30-35 बच्चे पैदा होंगे। एक गाय से एक बार में 14-15 भू्रण निकाले जा सकेंगे। सालभर में एक गाय से विकसित किये जा सकेंगे 30-35 भू्रूण। विदेशी गायों की नस्लों के देसी नस्ल की गायों में भू्रण प्रत्यारोपण से प्रदेश में 60-65 लीटर दूध देने वाली गायें भी उत्पन्न की जायेगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com