भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश के माननीय राज्यपाल द्वारा प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से जबाव तलब करने पर सपा सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डा0 मनोज मिश्र ने लोकायुक्त और उपलोकायुक्त की 12 लोगों पर कार्यवाही की संस्तुति पर सपा सरकार द्वारा निष्क्रिम रवैया अपनाने पर भ्रष्टाचार से हाथ मिलाने की जीवन्त मिसाल बताया। उन्होंने कहा कि प्रदेश कि प्रदेश के दो सवैधांनिक पदों मा0 राज्यपाल जी और लोकायुक्त/उपलोकायुक्त द्वारा भ्रष्टाचार के मामले को उठाने से प्रदेश की सपा सरकार की साख समाप्त हो गई है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार पर बसपा सरकार को चुनाव के समय कटघरे में खड़ा करने वाली सपा ने अब बसपा से गुप्त समझौता कर लिया है।
प्रवक्ता डा0 मिश्र ने कहा कि माननीय राज्यपाल द्वारा भ्रष्टाचार के मसले पर राज्य सरकार से जबाव मांगना बेहद चिन्ता का विषय है तथा सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह। माननीय लोकायुक्त/उपलोकायुक्त द्वारा बसपा सरकार के चार पूर्व मंत्रियों एक आई.ए.एस. व सात अधिकारियों के खिलाफ इतने दिनों तक जांच एजेन्सियों का निष्क्रिय रवैया सरकार के इशारे से ही संभव है। भ्रष्टाचार पर सरकार का रवैया न केवल निन्दनीय है बल्कि समझौतावादी भी है। प्रदेश की जांच एजेन्सियां भी सरकार के इशारे पर भ्रष्टाचार की संरक्षक बनकर उभरी है।
डा0 मिश्र ने तीखे स्वर में आरोप लगाया कि प्रदेश में माननीय राज्यपाल जी और लोकायुक्त जैसी संस्थाओं की भ्रष्टाचार के विरूद्ध पहल ने सपा सरकार को ‘आईना’ दिखाया है। इन दोनों माननीयों की पहल का अर्थ प्रदेश की जनता यह समझ रही है कि सरकार इस मामले पर भ्रष्टाचारियों का समर्थन कर रही है। सपा का चेहरा उजागर हो गया है।
डा0 मिश्र ने सपा सरकार से मांग की वह तत्काल भ्रष्टाचारियों के विरूद्ध पारदर्शी तरीके से निर्णायक कार्यवाही करें। भ्रष्टाचारियों का गुप्त या मौन समर्थन बंद करे। सरकार ऐसा आचरण की कि सवैधांनिक संस्थाओं को हस्तक्षेप की जरूरत न पड़े।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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