भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश के वित्त विहीन विद्यालयों के शिक्षकों को पूर्ण मानदेय की मांग सपा सरकार से की हैं। पार्टी प्रवक्ता डाॅ0 मनोज मिश्र ने बताया कि प्रदेश के वित्तविहीन विद्यालयों के लाखों शिक्षक भुखमरी के कगार पर है। सच यह है कि प्रदेश की शिक्षा को मुख्य भार वित्त विहीन विद्यालयों के शिक्षकों के ही ऊपर है परन्तु सरकार अभी तक इनकों सुरक्षित जीवन की गारण्टी के लिए मानदेय तक नहीं दे पाई है। वित्त विहीन विद्यालयों के इन लाखों शिक्षकों को सरकार तत्काल मानदेय की व्यवस्था करें।
पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डाॅ0 मनोज मिश्र ने बताया कि प्रदेश के 15772 वित्त विहीन विद्यालयों में 254786 शिक्षक कार्यरत है। इन शिक्षकों के प्रतिमाह 1000 रूपया से लेकर 3000 रूपये तक वेतन मिलता है। कई-कई शिक्षक विगत 28 वर्षांे से काम कर रहे है। ये शिक्षक कई वर्षों से उचित मानदेय की मांग सरकार से कर रहे है। डाॅ0 मिश्र ने बताया कि सरकार यदि इन शिक्षकों को मानदेय देती हैं तो प्रतिमाह लगभग मात्र 223 करोड़ रू का भार सरकारी खजाने पर आयेगा और प्रति वर्ष लगभग 2600-2700 करोड़ कुल खर्च संभावित है। प्रदेश की लगभग पूरी की पूरी माध्यमिक शिक्षा इन्हीं शिक्षकों के कन्धे पर है।
प्रवक्ता डाॅ0 मिश्र ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग में टोटकों पर खर्च करने के बजाय सरकार इन शिक्षकों मानदेय दे तो प्रदेश की शिक्षा की रीढ़ मजबूत हो जायेगी। इन शिक्षकों को वर्तमान में मजदूरों की मजदूरी से भी कम धनराशि सैलरी के तौर मिल रही है। ये शिक्षक आर्थिक और सामाजिक तौर पर मजाक का पात्र बन रहे है। इन शिक्षकांे को मजबूत किये बिना प्रदेश की शिक्षा का भविष्य तैयार नही किया जा सकता है। डाॅ0 मिश्र ने कहा कि इन लगभग 254786 शिक्षकों में से लगभग 1 लाख शिक्षक बी.एड. डिग्री धारक है। कई शिक्षक अन्य विषयों के विशेषज्ञ है।
प्रवक्ता डाॅ0 मिश्र ने मांग की इन वित्त विहीन विद्यालयों के शिक्षकों के साथ न्याय किया जाये। इन्हें तत्काल मानदेय की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये। इनके भविष्यका विकास ही प्रदेश की ग्रामीण और गरीब जनता के विकास की गारण्टी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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