Categorized | लखनऊ.

हिन्दी दिवस के अवसर पर भारतेन्दु हरिष्चन्द्र जी की पावन स्मृति को समर्पित समारोह

Posted on 15 September 2014 by admin

उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के तत्वावधान में हिन्दी दिवस के अवसर पर भारतेन्दु हरिष्चन्द्र जी की पावन स्मृति को समर्पित समारोह का आयोजन मा0 श्री उदय प्रताप सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान की अध्यक्षता में निराला साहित्य केन्द्र एवं सभागार, हिन्दी भवन, लखनऊ में पूर्वाह्न   11.00 बजे से किया गया। दीप प्रज्वलन, माँ सरस्वती की प्रतिमा एवं हरिष्चन्द्र जी के चित्र पर पुष्पांजलि की गयी। मंचासीन अतिथियों का उत्तरीय द्वारा स्वागत डाॅ0 सुधाकर अदीब, निदेशक, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान द्वारा किया गया।
अभ्यागतों का स्वागत एवं विषय प्रवर्तन करते हुए डाॅ0 सुधाकर अदीब, निदेशक, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने कहा - हिन्दी हमारी माँ है, जीवन है, विचार है। हिन्दी की महायात्रा में प्रिन्ट्र मीडिया व इलेक्ट्रानिक मीडिया का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हमें अपनी मातृभाषा के प्रति अनुराग रखना चाहिए जिस तरह हम अपने माता-पिता का, पडोसियों का सम्मान करते हैं ठीक उसी प्रकार हमें हिन्दी का सम्मान करना चाहिए। सूचना क्रांति में हमारी मातृभाषा हिन्दी ने  महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।
‘सूचना क्रांति और हिन्दी‘ विषय पर व्याख्यान देतेे हुए नई दिल्ली से पधारे प्रसिद्ध साहित्यकार   श्री विजय मल्होत्रा जी ने कहा - श्री गोपाल स्वामी आयंगर तमिल नेता ने राजभाषा हिन्दी के विकास हेतु प्रयत्न किया। विविधता में एकता भारतीय संस्कृति का मूलमंत्र है। आज यूनिकोड के माध्यम से हिन्दी के प्रयोग व उपयोग में आने वाली विभिन्न समस्याओं का निराकारण सरलतापूर्वक किया जा रहा है। कम्प्यूटर व सूचना क्रांति ने भी हिन्दी को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। शब्दों की खोज, अकारादि क्रम आदि के व्यवस्थापन सरलतापूर्वक कम्प्यूटर से ही सम्भव हो सका है। यूनि कोड ने हिन्दी को बढ़ाने में काफी महत्वपूर्ण कार्य किया है।
सूचना क्रांति और हिन्दी‘ विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार श्री के0 विक्रमराव जी ने कहा - हिन्दी दिवस नहीं होता तो हिन्दी को याद कैसे किया जा सकता था। 1796 में हिन्दी छापाखाना आया। हिन्दी आज यहाँ तक काफी संघर्षों से गुजरती हुई पहुँची है। हमें हिन्दी को अंग्रजी से आगे ले जाना होगा। हिन्दी को प्रोत्साहित करने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे। ऐसे लोगों को प्रोत्साहित करना होगा जो हिन्दी को बढ़ावा दे सकतीं हैं। नये -नये शब्दों को ग्रहण करने वाले समाहित करने वाले शब्दकोशों का निर्माण होना चाहिए। शासन और प्रशासन को भी हिन्दी को बढ़ावा देना चाहिए। भाषा को झरने जैसे बहने देना चाहिए उसे बंद करके मत रखिये।
अध्यक्षीय सम्बोधन देते हुए संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष, मा0 उदय प्रताप सिंह ने कहा -हिन्दी का विकास कैसे हो इसका हमें संकल्प करना होगा। हिन्दी को इंटरनेट जैसी तकनीक से जोड़ना होगा तभी हम हिन्दी को चरम शिखर पर पहँुचा सकते हैं। लेखन में हिन्दी का अधिकाधिक प्रयोग किया जाना चाहिए। अपनी भाषा का गौरव के साथ प्रयोग करना चाहिए। अंगे्रजी का प्रदर्शन कर हम शिक्षित होने का पर्याय मान लेते हैं वही हिन्दी का प्रयोग व पढ़ने व बोलने वालों को हम महत्पपूर्ण नहीं मानते हैं जब तक यह धारणा हमारे मन में बनी रहेगी तब तक हिन्दी का विकास नहीं कर सकते है। आज अंग्रेजी को प्रशासनिक प्रक्रिया व न्यायिक व्यवस्था से हटाना होगा। महत्वपूर्ण कमियों को दूर करके हिन्दी को उच्च स्थान पर पहुँचाना होगा।
समारोह के द्वितीय सत्र में आयोजित कवि सम्मेलन में श्री शिवकुमार सिंह ‘कुवँर‘ (कानपुर) ने कहा - जिन्दगी दर्द की बांसुरी हो गयी, तथा जो दिवा स्वप्न से दिल में पलते रहे, जो छलावा बन अपने छलते रहे, उनकी राहों में रोशनी मिलती रहे, हम निरन्तर बने दीप जलते रहे।
डाॅ0 सरिता शर्मा (गाजियाबाद) ने कहा - एक नदी उम्र भर चली समन्दर के लिए, कब समन्दर चला एक नदी के लिए।
सुनो समन्दर, सुनों समन्दर, तिरस्कार सहते-सहते सूख रही एक नदी बहते-बहते।
श्री जमुना प्रसाद उपाध्याय (फैजाबाद) ने कहा - गाँव के परिवेश, अब किस्से कहानी हो गये, जो थे गंगाजल, प्रदूषणयुक्त पानी हो गये, काम आयी फिर से द्रोणाचार्यों की साजिशें, एकलव्यों के अंगूठें फिर निशानी हो गये।
श्री प्रमोद तिवारी (कानपुर) ने कहा - नदियाँ तुम धीरे-धीरे बहना, नदियाँ घाट-घाट से कहना, नदिया मीठी-मीठी मेरी धार, खारा-खारा सा संसार।
रास्ते मुश्किल होते हैं, फिर भी हासिल होते हैं, राहों में भी रिश्ते बन जाते हैं, ये रिश्ते भी मंजिल तक जाते हैं।
श्री सूर्य कुमार पाण्डेय (लखनऊ) ने कहा - इधर की या उधर की कानाफूसी कर नहीं सकता।
मैं प्यार करना चाहता हूँ, जिन्हें प्यार कोई नहीं करता। मैं परवाह करना चाहता हूँ जिनकी कोई परवाह नहीं करता तथा इस लाइन में हर एक को नेम-फेम नहीं मिलता, इस लव के मार्केट में प्योर प्रेम नहीं मिलता।
डाॅ0 अमिता दुबे ने कहा -    नित्य नये शब्दों से, नित्य नये छन्दों से, नित्य नये भावों से, करु मैं तुमकों नमन। आज स्वर में कम्पन है, भावों में उद्वेलन है, शब्दों में सिहरन है, दृष्टि में बँधा गगन। मन की अभिलाषा है, गौरवशाली भाषा है, सम्मुख विभाषा है, पूर्ण करना है जतन। भाषा का वैभव हो, वाणी का सौरभ हो, राष्ट्र का गौरव हो, भावों में तपन करुँ……………..।
डाॅ0 सुधाकर अदीब जी ने सुनाया - दुनिया के जंजाल में सधे अनकों काम, किन्तु नहीं सध पाये है बस केवल हरि नाम। सुन पुकार गजराज की दौडे़ आये नाथ, नाम अजामिल ने लिया पाया प्रभु का साथ।
अध्यक्षीय काव्य पाठ करते हुए संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष मा0 उदय प्रताप सिंह जी ने कहा ने - हमें किस-किस को समझाना पडे़गा, जो आया है उसे जाना पड़ेगा। इरादा और हिम्मत साथ दें तो, मुकद्दर को बदल जाना पड़ेगा। कसम खायी तो उसकी लाज रखना, अभी रस्ते में मयखाना पड़ेगा।
कार्यक्रम का संचालन एवं आभार व्यक्त डाॅ0 अमिता दुबे, प्रकाशन अधिकारी, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा किया गया।
इस अवसर पर संस्थान के यषपाल सभागार में नाट्य मंडली युवा उत्थान समिति द्वारा श्री संगम बहुगुणा की परिकल्पना एवं निर्देशन में पद्मश्री श्री के0पी0 सक्सेना के नाटक ‘गज फुट इंच‘ का मंचन हुआ। नाटक के प्रस्तुतकर्ता श्री शैलेन्द्र यादव थे। विशुद्ध हास्य से परिपूर्ण इस नाटक में पोखरमल        (श्री रविकान्त शुक्ला), पोखरमल की पत्नी (ममता प्रवीन), साई दास (ललित सिंह पोखरिया), जगनी (सिमरन अवस्थी), गुल्लो (पारुल राय), टिल्लू (अम्बरीश बाबी) का अभिनय विशेष रूप से सराहा गया। नाटक को सुरुचिपूर्ण ढं़ग से संचालित करने में मंच परे का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा नाटक में संगीत (श्री आलोक श्रीवास्तव), वस्त्र विन्यास (ममता, प्रवीन, सिमरन, पारुल) का था। मंच निर्माण (श्री शकील अहमद)। प्रकाश संचालन- श्री गोपाल सिन्हा। मुख सज्जा-शहीर अहमद तथा प्रचार-प्रसार-अंकुर सक्सेना इस नाट्य प्रस्तुति में  - शिवजीत वर्मा, आशुतोष कुमार, पुलकित श्रीवास्तव, मोहित कनौजिया, विनोद भार्गव एवं प्रस्तुति नियन्त्रक अम्बरीश बाॅबी द्वारा की गयी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री

agnihotri1966@gmail.com

sa@upnewslive.com

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Advertise Here

Advertise Here

 

April 2024
M T W T F S S
« Sep    
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
2930  
-->









 Type in