क्ववेलेन्टाइन डें के स्थान पर लोगों ने मनाया मातृ-पितृ दिवसं

Posted on 16 February 2010 by admin

* आर्य समाज मन्दिर में भी हुआ आयोजन

वेलेन्टाइन डें के स्थान पर मातृ-पितृ पूजन दिवसं का आयोजन आलोक विला पर सन्त आलोकानन्द द्वारा किया गया। इस मौके पर सन्त आलोकानन्द ने अपनी वृद्धा माता श्रीमती राजकुमारी कोछड़ व अपनी प%ी श्रीमती मंजू कोछड़ के साथ तिलक पुष्प तथा माथा नवाकर पूजन किया वहीं उपस्थित नागरिकों का पूजन उनके आये बच्चों ने किया।

इस अवसर पर सेवा समर्पण संस्थान पूवीü उत्तर प्रदेश के श्रद्धा जागरण प्रमुख रामगुलाम द्विवेदी, अशोक कुमार गुप्ता एडवोकेट तथा सन्त आलोेकानन्द ने माता-पिता की सेवा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वेलेन्टाइन डे पश्चिमी जगत की सयता का अर्मायादित रूप है। इस दिन हमें मातृ देेवो भव, पितृ देवो ाव, आचायोü देवो भव के सूत्र अनुसार अपने जीवित माता-पिता की पूजा भारतीय परपरा को उजागिर करनी चाहिए।

सन्त आलोकानन्द ने किशोरावस्था के बच्चों में पुनीत भारतीय संयम, ब्रह्मचर्य, वीर्यरक्षा को सुन्दर विचारों को पैदा करने हेतु सुन्दर बाल पुस्तकों-बाल संस्कार, दिव्य प्रेरणा प्रकाश, तू गुलाब होकर महक, मधुर व्यवहार आदि को जहां दे, वहीं उन्हें पुण्डिलिक, श्रवण कुमार बाल कथा नाटक के माध्यम से शिक्षा दें तथा क्वमाता-पिता-गुरू-प्रभुचरणों मेंं व क्वभूलो सभी को तुम मगरं ऐसे भजनों से बच्चों का ज्ञान करायें। उन्होंने इस अवसर पर गोबर, सूर्य तथा स्वास्थ्य नियमों की भी जानकारी श्रोताओं को दी। इस मौके पर पूज्य आशाराम बापू के सामयिक लिçात सन्देश को वितरित किया गया, तथा सैकड़ों गरीबों को भोजन कराया गया।

इस अवसर पर आर्य समाज के संरक्षक रामकृष्ण जायसवाल, कैप्टन एस.एन. सिंह, दिनेश कसौंधन, रामचन्द्र गुप्ता, किशोरी लाल, सौरभ अग्रवाल तथा अनेक विशिष्ट देवियों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

आर्य समाज मन्दिर सुलतानपुर में प्रधान कामता प्रसाद मिश्र ने वेलेन्टाइन डे को भारतीय संस्कृति पर कुठाराघात बताया और कहा कि आज टी.वी. के चैनलों से विदेशी संस्कृति एवं परपराओं को परोसा जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि आज लोग जन्मदिन पर केक काटा जाता है और दीपक को बुझाते हैं, जो गलत है। हम सभी को भारतीय परपरा को ध्यान में रखते हुए ऐसे आयोजनों पर यज्ञ का आयोजन होना चाहिए। आज अपने देश के खेलों कबaी, खो-खो आदि के स्थान पर विदेशी खेल क्रिकेट को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इसी प्रकार भारतीय विक्रमी संवत् के स्थान पर गिरगैरियन कैलेन्डर को हम अपना लिए हैं। इसाई का प्रतीक चिन्ह नेकटाई को अपनी वेश भूशा में शामिल कर लिया है।

इस अवसर पर डॉ. अरविन्द चतुवेüदी, राजेश कुमार आर्य, ओमप्रकाश पाण्डेय, डॉ. सत्यप्रकाया श्रीवास्तव, केदारनाथ बरनवाल, रामचन्द्र गुप्ता आदि उपस्थित रहे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Advertise Here

Advertise Here

 

May 2024
M T W T F S S
« Sep    
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031  
-->









 Type in