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चैदहवें वित्त आयोग अपनी रिपोर्ट में यह संस्तुति दें कि प्रदेश को होने वाले ऐसे वित्तीय घाटे की प्रतिपूर्ति कम से कम आगामी 10 वर्षों तक केन्द्रीय सरकार द्वारा की जाये: नवीन चन्द्र बाजपेई, उपाध्यक्ष राज्य योजना आयोग

Posted on 11 September 2014 by admin

आज दिनांक 10 सितम्बर, 2014 को नई दिल्ली में ‘वस्तु तथा सेवा कर’ ;ळववके ंदक ैमतअपबम ज्ंग अथवा ळैज्द्ध  की नई प्रणाली लागू करने हेतु ‘राज्यों के वित्त मंत्रियों की प्राधिकार समिति’, ने चैदहवें वित्त आयोग के समक्ष विशेष आमंत्रित बैठक में राज्यों का पक्ष रखा।
राज्य योजना आयोग, उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष श्री नवीन चन्द्र बाजपेई ने इस अत्यन्त महत्वपूर्ण बैठक में मा0 मुख्य मंत्री जी के आदेश पर उत्तर प्रदेश की ओर से भाग लिया।
प्रदेश सरकार की ओर से श्री बाजपेई द्वारा कई महत्वपूर्ण मुद्दे प्रदेश के वित्तीय हितों के संदर्भ में केन्द्रीय वित्त आयोग के समक्ष इस अनुरोध के साथ रखे गये कि आयोग शीघ्र ही सरकार को भेजी जाने वाली अपनी रिपोर्ट में शामिल करें।
श्री बाजपेई ने वित्त आयोग को अवगत कराया कि पेट्रोलियम तथा उसके उत्पाद व तम्बाकू तथा उसके उत्पाद से प्रदेश को प्रतिवर्ष लगभग रू0 14000.00 करोड़ की आय होती है, इस दृष्टि से पेट्रोलियम तथा तम्बाकू प्रदेश की राजस्व आय की प्रमुख स्त्रोत हैं अतः उत्तर प्रदेश उन्हें ‘वस्तु तथा सेवा कर’ की नवीन प्रस्तावित प्रणाली में शामिल करने पर सहमत नहीं हैं। उत्तर प्रदेश का यह स्पष्ट दृष्टिकोण है कि इन वस्तुओं को ‘वस्तु तथा सेवा कर’ की व्यवस्था से बाहर रखा जाये ताकि प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
‘वस्तु तथा सेवा कर’ के लागू होने के प्रारम्भिक चरण में यह स्पष्ट संभावना है कि इससे प्रदेश को वित्तीय घाटे का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी दशा स्थिति में, श्री बाजपेई द्वारा यह सुझाव रखा गया कि, चैदहवें वित्त आयोग अपनी रिपोर्ट में यह संस्तुति दें कि प्रदेश को होने वाले ऐसे वित्तीय घाटे की प्रतिपूर्ति कम से कम आगामी 10 वर्षों तक केन्द्रीय सरकार द्वारा की जाये।
श्री बाजपेई द्वारा प्रदेश की ओर से यह भी सुझाव दिया गया कि ‘वस्तु तथा सेवा कर’ की प्रणाली लागू होने के फलस्वरूप राज्यों को होने वाले वित्तीय घाटे की प्रतिपूर्ति के लिए बनाये जाने वाले ‘कम्पेन्शेसन फण्ड’ का सम्पूर्ण प्रबन्धन जिसमें घाटे का आंकलन तथा घाटे की प्रतिपूर्ति के लिए वित्तीय स्वीकृति आदि बिन्दु शामिल होे के लिए जो नई संस्था बनाई जानी प्रस्तावित है उसे संवैधानिक दर्जा दिया जाना उचित होगा। इस हेतु ‘वस्तु तथा सेवा कर’ से संबंधित संविधान संशोधन के माध्यम से ही उसकी उपयुक्त व्यवस्था की जाय ताकि प्रदेश को वित्तीय प्रतिपूर्ति के क्लेम में बिना किसी कठिनाई के निर्णीत किये जाने की गारन्टी राज्य सरकार को मिल सके।
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए श्री बाजपेई द्वारा चैदहवें वित्त आयोग से यह भी मांग की गई कि ‘वस्तु तथा सेवा कर’ की नई प्रणाली लागू करने के लिए प्रदेश को सक्षम बनाने हेतु सूचना प्रौद्योगिकी के यथोचित उपयोग, उपयुक्त साफ्टवेयर्स तथा नेटवर्किंग के निर्माण और कम्प्यूटर हार्डवेयर की व्यवस्था करने के लिए भी प्रदेश को समुचित वित्तीय सहायता प्रदान की जाये।  चैदहवें वित्त आयोग से श्री बाजपेई द्वारा यह अनुरोध किया गया कि इस नई कर व्यवस्था को लागू करने हेतु कार्मिकों को प्रक्रिया प्रशिक्षण, साफ्टवेयर प्रशिक्षण इत्यादि की व्यवस्था हेतु समुचित वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए भी चैदहवें वित्त आयोग द्वारा यथोचित संस्तुति उनकी रिपोर्ट में की जाये।
चैदहवें वित्त आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों द्वारा इन बिन्दुओं पर गम्भीरतापूर्वक समुचित विचार करने का आश्वासन दिया गया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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