राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष श्री नवीन चन्द्र बाजपेई ने आज नई दिल्ली में राज्यों के ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन में उत्तर प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए कहा कि पिछले तीन माह में प्रदेश के सभी विद्युत उत्पादन गृहों को आवश्यकतानुसार कोयले की आपूर्ति न होने के कारण बिजली उत्पादन क्षमता के अनुरूप नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा कोयले की कमी के कारण उत्तर क्षेत्र की कुछ एन.टी.पी.सी. उत्पादन इकाइयां भी ठप हो गई हैं तथा कुछ इकाइयां क्षमता से काफी कम उत्पादन कर रही हैं। उन्होंने इसे एक गम्भीर समस्या बताते हुए कहा कि इसका सीधा असर राज्य के विकास पर पड़ता है। प्रदेष की विद्युत समस्या के संबंध में मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव द्वारा समय-समय पर पत्र के माध्यम से ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास किया गया है।
श्री बाजपेई ने प्रदेष में विद्युत उपलब्धता बढ़ाने तथा वर्ष 2016-17 तक ग्रामीण क्षेत्रों को कम से कम 18 घण्टे तथा शहरी क्षेत्रों में 24 घण्टे आपूर्ति सुनिष्चित करने के लिये केन्द्र सरकार से सहयोग की अपेक्षा करते हुए कहा कि केन्द्रीय परियोजनाओं में उत्पादित होने वाली बिजली में उत्तर प्रदेष का अंष बढ़ाया जाये। पष्चिमी क्षेत्र से उत्तरी क्षेत्र में विद्युत के हस्तान्तरण हेतु पावर ग्रिड द्वारा बनायी जा रही लाइनों को शीघ्रता से पूरा किया जाए ताकि उत्तर प्रदेष द्वारा पष्चिम भारत में स्थापित विद्युत परियोजनाओं से आवष्यकतानुसार बिजली प्राप्त की जा सके। उत्तर प्रदेष में स्थापित राज्य सेक्टर एवं निजी क्षेत्र की परियोजनाओं के लिये पर्याप्त मात्रा में कोयले की व्यवस्था की जाये। नयी परियोजनाओं की पर्यावरण स्वीकृति एवं कोयले की व्यवस्था शीघ्रता से की जाये। उत्तर प्रदेष में कम से कम 2 नये परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित किये जाएं। वितरण कम्पनियों की वित्तीय पुनर्गठन योजना को राज्य सरकार द्वारा पूर्व में दिये गये सुझावों के अनुसार पुनरीक्षित किया जाये। उत्तर प्रदेष में अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट की स्थापना का कार्य शीघ्रता से किया जाये। वित्तीय पुनर्गठन योजना से आच्छादित राज्यों को ऋणों पर ब्याज के विरूद्ध ब्याज अनुदान दिया जाये।
श्री बाजपेई ने कहा कि जनसंख्या की दृष्टि से उत्तर प्रदेष देष का सबसे बड़ा राज्य है किन्तु केन्द्रीय परियोजनाओं में प्रदेष को जो अंष आवंटित किया गया है वह अपर्याप्त है। दिल्ली राज्य की आबादी उत्तर प्रदेष से आधे से भी कम है, लेकिन इसे उत्तर प्रदेष के लगभग 70 प्रतिषत के बराबर विद्युत आवंटन किया गया है। इसी प्रकार महाराष्ट्र को उत्तर प्रदेष के 5788 मेगावाट विद्युत आवंटन के सापेक्ष 6396 मेगावाट का आवंटन किया गया है। कतिपय प्रदेष अक्सर अपनी अतिरिक्त बिजली एनर्जी एक्सचेन्ज में बेचते हैं, जिसे उत्तर प्रदेष एवं कमी वाले अन्य राज्य 7.00 से 10.00 रुपए प्रति यूनिट की दर से खरीदने के लिये बाध्य होते हैं। इसलिए केन्द्रीय परियोजनाओं से राज्यों को विद्युत आवंटन की नीति में परिवर्तन किया जाना आवष्यक है। विद्युत आवंटन का जो भी सिद्धान्त तय किया जाए, उसमें राज्यों में मांग एवं आपूर्ति का अन्तर, जनसंख्या, सिंचाई की आवष्यकता आदि को प्रधानता दी जानी चाहिये। इस सम्बन्ध में हाल ही में मुख्यमंत्री ने पत्र द्वारा प्रधानमंत्री से अनुरोध भी किया है।
प्रदेष में विद्युत की उपलब्धता बढ़ाने के लिये कोयले की व्यवस्था आवष्यक है। उत्तर प्रदेष को वर्ष 2007 में छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र के साथ साझेदारी में चेन्दीपाड़ा कोल ब्लाक आवंटित किया गया था। इस कोल ब्लाक से कोयले का खनन करने के लिये उड़ीसा सरकार द्वारा अभी तक माइनिंग लाइसेन्स नही दिया गया है। इस संबंध में उन्हें केन्द्र सरकार की अनुमति की आवष्यकता है। यह अनुमति शीघ्र मिलने से इस कोल ब्लाक से कोयले का खनन संभव होगा तथा संबंधित विद्युत उत्पादन गृहों की स्थापना का मार्ग भी प्रषस्त होगा। इस सम्बन्ध में भी केन्द्र सरकार के स्तर से प्राथमिकता के आधार पर निर्णय लिया जाना चाहिए। इसी प्रकार उत्तर प्रदेष सरकार द्वारा 1980 मेगावाट क्षमता का एक पावर प्लान्ट घाटमपुर, जनपद कानपुर में स्थापित करने के लिये नेयवेली लिग्नाइट कारपोरेषन के साथ संयुक्त उपक्रम स्थापित किया गया है। किन्तु इस परियोजना के लिये न तो पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त हुई है और न ही परियोजना में निवेष के लिये केन्द्र सरकार द्वारा नेयवेली लिग्नाइट कारपोरेषन को अनुमति प्रदान की गयी है। पर्यावरण स्वीकृति एवं निवेष की अनुमति शीघ्र दी जानी आवष्यक है ताकि इस परियोजना का कार्य शीघ्रता से प्रारम्भ हो सके, अन्यथा इसकी परियोजना लागत में निरन्तर वृद्धि होती जायेगी।
श्री बाजपेई ने कहा कि भारत सरकार द्वारा उत्तर प्रदेष में एक अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। परियोजना की स्थापना हेतु आवष्यक भूमि की व्यवस्था के लिये राज्य सरकार द्वारा तत्काल कार्यवाही प्रारम्भ कर दी गयी है। इस परियोजना के लिये जनपद एटा एवं फिरोज़ाबाद में भूमि चिन्हित की गयी है तथा केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण से यह अनुरोध किया गया है कि वे चिन्हित स्थानों का सर्वे करा लें। राज्य सरकार द्वारा उत्तर प्रदेष में अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट स्थापित करने के लिये पूर्ण सहयोग प्रदान किया जायेगा। भारत सरकार द्वारा 12वीं पंचवर्षीय योजना के अन्र्तगत गैर विद्युतीकृत मजरों के विद्युतीकरण के लिये जो योजना स्वीकृत की गयी है, उसमें उत्तर प्रदेष के लगभग 134,000 मजरे सम्मिलित हैं। इस सम्बन्ध में राज्य सरकार का अनुरोध है कि योजना की लागत को निविदा के मूल्य से कम न किया जाय ताकि सभी निर्धारित मजरों का विद्युतीकरण हो सके।
भारत सरकार ने देष के कुछ राज्यों की विद्युत वितरण कम्पनियों को आर्थिक संकट से बाहर निकालने के लिये वर्ष 2012 में वित्तीय पुर्नगठन योजना स्वीकृत की थी। उत्तर प्रदेष को भी इस योजना में सम्मिलित किया गया था। विद्युत वितरण कम्पनियों को घाटे की स्थिति से बाहर निकालने में अभी 3 वर्ष का समय और लगेगा। अतः वित्तीय पुर्नगठन योजना में इस हेतु संषोधन आवष्यक है। उचित होगा कि संबंधित राज्यों की पुनरीक्षित वित्तीय पुर्नगठन योजना बनवायी जाए तथा वितरण कम्पनियों की वित्तीय आवष्यकता का परीक्षण करके केन्द्र सरकार द्वारा आर्थिक सहयोग की व्यवस्था की जाए। इस संदर्भ में यह भी अवगत कराना है कि वर्तमान में वितरण कम्पनियों द्वारा ऋण पर भुगतान किये जा रहे ब्याज की पूरी धनराषि टैरिफ निर्धारण में विचारित नहीं की जाती। नियामक आयोग केवल 2 माह की कार्यषील पूॅजी पर देय ब्याज ही टैरिफ में अनुमन्य करता है। इस नीति में परिवर्तन भी आवष्यक है।
श्री वाजपेई ने प्रदेष सरकार द्वारा विद्युत उत्पादन, पारेषण एवं वितरण क्षेत्र में उठाये गये कदमों की जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार विद्युत उत्पादन क्षमता में वृद्धि के लिए लगातार काम कर रही है। उत्तर प्रदेष द्वारा वर्ष 2016-17 के अन्त तक शहरी क्षेत्रों में 24 घण्टे तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 18 घण्टे विद्युत आपूर्ति की योजना बनायी गयी है। इस योजना के अनुसार वर्ष 2016-17 के अन्त तक विद्युत की माॅग लगभग 23000 मेगावाट अनुमानित की गयी है। इस माॅग को पूरा करने के लिये कुछ परियोजनायें निर्माणाधीन हैं तथा कुछ नयी परियोजनायें शुरू की जा रही हैं, जिनमें राज्य सेक्टर की 1000 मेगावाट क्षमता की अनपरा ’’डी’’ परियोजना 31 मार्च, 2015 तक पूर्ण हो जायेगी। निजी क्षेत्र की 330 मेगावाट क्षमता की श्रीनगर जल विद्युत परियोजना अगले 6 माह में 1980 मेगावाट क्षमता की बारा तापीय परियोजना की तीनों इकाईयाॅ अक्टूबर 2015 तक, 1980 मेगावाट क्षमता की ललितपुर परियोजना की तीनों इकाईयाॅ वर्ष 2015-16 में विद्युत उत्पादन प्रारम्भ कर देंगी। संयुक्त क्षेत्र में एनटीपीसी के साथ स्थापित की जा रही 1320 मेगावाट क्षमता की मेजा तापीय परियोजना की दोनों इकाईयाॅ वर्ष 2016-17 में उत्पादन प्रारम्भ कर देंगी।
केस-1 बिडिंग के माध्यम से 6000 मेगावाट विद्युत क्रय करने की प्रक्रिया चल रही है, जिसके अन्र्तगत लगभग 2200 मेगावाट के क्रय अनुबन्ध हस्ताक्षरित हो चुके हैं तथा निविदाओं पर शीघ्र ही अन्तिम निर्णय ले लिया जायेगा। राज्य सेक्टर में हरदुआगंज विस्तार (660 मेगावाट), पनकी विस्तार (660 मेगावाट), ओबरा ’’सी’’ (1320 मेगावाट), करछना (1320 मेगावाट) तथा जवाहरपुर (1320 मेगावाट) की स्थापना का कार्य प्रारम्भ किया जा रहा है। नेयवेली लिग्नाइट कारपोरेषन के साथ संयुक्त उपक्रम के अन्र्तगत 1980 मेगावाट क्षमता की घाटमपुर परियोजना की स्थापना का कार्य प्रगति पर है। इन सभी परियोजनाओं की स्थापना में पर्यावरण स्वीकृति एवं कोयले की व्यवस्था के लिये केन्द्र सरकार का सक्रिय एवं समयबद्ध सहयोग आवष्यक होगा। प्रदेष सरकार द्वारा परमाणु ऊर्जा पर आधारित नया संयत्र स्थापित करने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा गया है। प्रदेष में नरोरा परमाणु विद्युत गृह पहले से स्थापित है। इस परियोजना के विस्तार के लिये भी राज्य सरकार पूरा सहयोग प्रदान करेगी। इसके अलावा कम से कम 2 परमाणु ऊर्जा संयत्र प्रदेष में और स्थापित किए जाने चाहिए।
इसी प्रकार वर्ष 2016-17 तक प्रस्तावित विद्युत आपूर्ति सुनिष्चित करने के लिये पारेषण नेटवर्क के विस्तार एवं सुदृढ़ीकरण की वृहद योजना क्रियान्वित की जा रही है। 765 के0वी0 एवं 400 के0वी0 क्षमता के नेटवर्क विस्तार हेतु लगभग 10000 करोड़ रुपए के कार्य पी0पी0पी0 के माध्यम से प्रगति पर है, जो वित्तीय वर्ष 2015-16 में पूर्ण हो जायेंगे। ललितपुर परियोजना से विद्युत की निकासी के लिये लगभग 3000 करोड़ रुपए के कार्य भारत सरकार की संस्था पावर ग्रिड कारपोरेषन को सौंपे गये हैं। यह कार्य अप्रैल, 2016 तक पूर्ण होने की संभावना है। 220 के.वी. एवं 132 के.वी. नेटवर्क के विस्तार हेतु 500 मिलियन डाॅलर के ऋण का एक प्रस्ताव विष्व बैंक फन्डिंग के लिये विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार में विचाराधीन है। इस सम्बन्ध में उन्होंने शीघ्र निर्णय लेने का अनुरोध किया है। राज्य सरकार भी पारेषण क्षेत्र के विस्तार हेतु अगले 3 वर्षो में 3,000 करोड़ रुपए से अधिक की धनराषि उपलब्ध करायेगी। वितरण व्यवस्था सुधारने का काम भी तेजी से किया जा रहा है। केन्द्र सरकार द्वारा स्वीकृत एपीडीआरपी योजना के पार्ट-ए के अन्र्तगत 168 शहरों में प्रस्तावित कार्य भविष्य में पूर्ण कर लिये जायेंगें। पार्ट-बी के अन्र्तगत 155 शहरों में कार्य प्रगति पर है। 12 शहरों में स्काडा की स्थापना की जानी है। इसमें से 3 शहरों क्रमषः फिरोज़ाबाद, अलीगढ़ तथा झाॅसी के कार्य प्रारम्भ हो गये हैं तथा शेष निविदायें निस्तारित की जा रही हैं। राज्य सरकार द्वारा तहसीलों एवं छोटे कस्बों में बेहतर विद्युत आपूर्ति के लिये 201 नये 33/11 के.वी. उपकेन्द्रों के निर्माण का निर्णय लिया गया था। इस कार्य के लिये लगभग 800 करोड़ रुपए की धनराषि राज्य सरकार द्वारा उपलव्ध करायी गयी है। यह सभी उपकेन्द्र मार्च, 2015 तक पूर्ण हो जायेंगे। राज्य सरकार के संसाधनों से लगभग 2,000 करोड़ रुपए के कार्य प्रतिवर्ष वितरण कम्पनियों द्वारा कराये जा रहे हैं।
श्री बाजपेई ने कहा कि प्रदेश सरकार ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए भी गम्भीरता से प्रयास कर रही है। दसवीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत योजना के अन्र्तगत लगभग 27,000 गावों का विद्युतीकरण किया गया था। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में 300 से अधिक आबादी वाले मजरों के विद्युतीकरण की एक योजना 22 जनपदों के लिये स्वीकृत की गयी थी। यह कार्य भी अगले एक वर्ष में पूर्ण हो जायेंगे। बारहवीं पंचवर्षीय योजना में 54 जनपदों के लगभग 134,000 मजरों के विद्युतीकरण की जो योजना स्वीकृत की गयी है, उसके अधिकांष कार्य आवंटित कर दिये गये हैं तथा शेष निविदायें भी चालू माह में निस्तारित कर दी जायेंगी। इन कार्यों को पूर्ण करने में लगभग 2 वर्ष का समय लगेगा। उन्होंने आषा व्यक्त की कि उत्तर प्रदेष द्वारा केन्द्र सरकार को संदर्भित बिन्दुओं पर शीघ्रता से कार्यवाही की जायेगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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