सिटी मोन्टेसरी स्कूल के प्रतिनिधि श्री संदीप श्रीवास्तव अर्जेन्टीना में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय न्यायाधीश सम्मेलन में प्रतिभाग कर आज स्वदेश लौट आये। विदेश में देश का गौरव बढ़ाकर लौटे श्री श्रीवास्तव का आज चारबाग रेलवे स्टेशन पर भव्य स्वागत हुआ। यह जानकारी सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने दी है। श्री शर्मा ने बताया कि ज्यूडिशियल एक्सचेंज एण्ड स्टडीज एकेडमी, अर्जेन्टीना के जनरल-डायरेक्टर एवं कोर्ट आॅफ अपील, अर्जेन्टीना के न्यायाधीश न्यायमूर्ति डा. रिकार्डो ली रोसी ने इस अन्तर्राष्ट्रीय न्यायाधीश सम्मेलन में प्रतिभाग हेतु श्री संदीप श्रीवास्तव को विशेष रूप से आमन्त्रित किया था, जिसमें मुख्यतः लैटिन अमेरिकी देशों के न्यायाधीशों ने प्रतिभाग किया। विदित हो कि विश्व न्यायिक व्यवस्था को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट करने एवं विश्व के दो अरब बच्चांे के सुरक्षित भविष्य हेतु सिटी मोन्टेसरी स्कूल के अभूतपूर्व योगदान के लिए सी.एम.एस. को इस सम्मेलन में विशेष रूप से आमन्त्रित किया गया है।
श्री शर्मा ने बताया कि सी.एम.एस. प्रतिनिधि श्री संदीप श्रीवास्तव ने लैटिन अमेरिकी देशों के न्यायाधीशों के समक्ष ‘भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51’ में निहित ‘न्याय आधारित विश्व व्यवस्था’ पर अपने विचार रखे एवं सी.एम.एस. द्वारा विगत 14 वर्षों से लगातार आयोजित किए जा रहे ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ के अनुभवों से भी न्यायिक बिरादरी को अवगत कराया। विदित हो कि श्री श्रीवास्तव सी.एम.एस. द्वारा आयोजित ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ के प्रोजक्ट लीडर हैं। इस सम्मेलन में उन समस्याओं की पहचान की गई जो विश्व न्यायिक व्यवस्था में निष्पक्ष ढंग से कानूनों को लागू करने में रूकावटें पैदा करती हैं, साथ ही आज की परिस्थितियों के अनुरूप संवैधानिक बदलाव के बारे में भी गहन विचार-विमर्श किया गया।
श्री शर्मा ने बताया कि सी.एम.एस. का मानना है कि आज सारा विश्व अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद, तृतीय विश्व युद्ध की आशंका, ग्लोबल वार्मिंग, विश्वमंदी तथा 36,000 परमाणु बमों का जखीरा जैसे विश्वव्यापी समस्याओं से घिरा है, ऐसे में अन्तर्राष्ट्रीय न्यायिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने तथा विश्व में एक प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था को लागू करने की अनिवार्य आवश्यकता है, जिसके बगैर ‘विश्व एकता’ व ‘विश्व शान्ति’ का उद्देश्य पूरा नहीं हो सकता है। सम्पूर्ण विश्व के देशों को आज यह समझने की आवश्यकता है कि विश्व मात्र पाँच शक्तिशाली देशों के वीटो पावर की मनमानी से उपजी अराजकता से नहीं वरन् न्याय आधारित एक प्रजातंात्रिक विश्व व्यवस्था द्वारा चलाया जा सकता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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