द हेग स्थित भारतीय दूतावास ने उत्तर प्रदेश से आए प्रतिनिधिमण्डल के लिए फ्लोरा हाॅलैण्ड के भ्रमण की व्यवस्था की थी। फ्लोरा हाॅलैण्ड औद्यानिक उत्पादकों का एक सहकारी संगठन है, जो अपने आल्समीर केन्द्र में फूलों और पौधों की नीलामी में मदद करता है। आल्समीर केन्द्र, जिसे विश्व की फूलों की राजधानी कहा जाता है, दुनिया का सबसे बड़ा पुष्प नीलामी केन्द्र है। यहां प्रत्येक वर्ष 20,000 प्रजातियों के 12.5 बिलियन फूलों और पौधों की बिक्री होती है। नीलामी तथा गंतव्य तक फूलों को पहुंचाने की पूरी प्रक्रिया 24 घण्टे के अंदर सम्पन्न की जाती है।
फ्लोरा हाॅलैण्ड औद्यानिक उत्पादकों का एक सहकारी संगठन है। यह फूलों और पौधों की नीलामी में मदद करता है। अपने सदस्यों के हितों को ध्यान में रखकर यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मंच में अपनी मजबूत पहचान बनाने के लिए प्रयासरत है। फ्लोरा हाॅलैण्ड में 20,000 पौधों और फूलों की नीलामी होती है। इसका वार्षिक टर्न ओवर 4.5 बिलियन यूरो है और इसका कुल क्षेत्रफल 2,600,000 वर्गमीटर है। एक साल में यहां 12.4 बिलियन पौधों और फूलों की बिक्री की जाती है। नीलाम किए जाने वाले फूलों में ट्यूलिप, पीओनिया, हाइडेªन्जिया, गुलाब, हाइपरशियम, ऐरेम्यूरस, साॅलीडागो, ब्यूप्लूरम, बूवर्डिया, आॅर्किड्स, सिम्बिडियम, क्राइसेंथेमम, ग्लैडिओलस तथा जरबेरा आदि शामिल हैं।
फ्लोरा हाॅलैण्ड पहुंचने पर निदेशक द्वारा प्रतिनिधिमण्डल का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। इस मौके पर यह जानकारी भी दी गई कि यह केन्द्र कैसे काम करता है। फ्लोरा हाॅलैण्ड एक सहकारी संगठन है, जो क्रेताओं और विक्रेताओं को साथ लाता है। यह 5,000 सदस्यों और 3,000 ग्राहकों का प्रतिनिधित्व करते हैं। नीलामी केन्द्रों के जरिए यह पौधों और फूलों की खरीद, बिक्री और ढुलाई के लिए अवस्थापना सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं। यह दुनिया का सबसे बड़ा पुष्प नीलामी केन्द्र है और पौधों तथा फूलों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में इसकी 60 फीसदी हिस्सेदारी है। आल्समीर केन्द्र, जिसे विश्व की फूलों की राजधानी कहा जाता है, यह अपनी तरह की दुनिया की सबसे बड़ी इमारत है, जो 990,000 वर्गमीटर में फैली है (10.6 मिलियन वर्गफीटय 243 एकड़)। प्रतिवर्ष यहां 12.5 बिलियन फूलों और पौधों की बिक्री होती है और नीलामी तथा गंतव्य तक फूलों को पहुंचाने की पूरी प्रक्रिया 24 घण्टे के अंदर सम्पन्न की जाती है। यहां केवल नीदरलैण्ड्स के फूल और पौधों का ही कारोबार नहीं होता। फूलों की आपूर्ति करने वाले पांच अग्रणी देश-कीनिया, इथोपिया, इजराइल, बेल्जियम और जर्मनी और पांच बड़े खरीददार देश-ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली और रूस भी यहां की कारोबारी की गतिविधियों से जुड़े हैं।
फ्लोरा हाॅलैण्ड के निरीक्षक फूलों की ताजगी को परखते हैं और उसके आधार पर उन्हें श्रेणीबद्ध करते हैं। इसके बाद यह जानकारी नीलामी स्थलों तक पहुंचाई जाती है ताकि खरीददार फूलों की गुणवत्ता और आपूर्तिकर्ता की विश्वसनीयता को परख सके। खरीददार इण्टरनेट के जरिए अथवा फ्लोरा हाॅलैण्ड के नीलामी केन्द्रों के माध्यम से डच नीलामी प्रक्रिया के तहत उत्पाद खरीद सकते हैं। डच नीलामी में नीलामकर्ता ऊंची बोली से शुरुआत करता है। यह कीमत तब तक कम की जाती है, जब तक नीलामी में हिस्सा लेने वाला कोई व्यक्ति नीलामकर्ता द्वारा लगाई गई बोली अथवा विक्रेता के लिए स्वीकार्य न्यूनतम मूल्य के लिए अपनी सहमति नहीं जता देता। नीलामी जीतने वाला व्यक्ति अन्तिम घोषित कीमत का भुगतान करता है।
यह बिक्री को तेजी से सम्पन्न करने का एक प्रभावी उपाय है। इच्छुक ग्राहक कीमत को इस हद तक कम नहीं होने देगा, जिससे कोई अन्य व्यक्ति नीलामी प्रक्रिया में शामिल होकर इसे अपने पक्ष में न छुड़ा ले। ऐसा इसलिए क्योंकि नीलामी में हिस्सा लेने वाले व्यक्ति द्वारा फूलों और पौधों के परिवहन के लिए हवाई जहाज में जगह पहले से ही आरक्षित करा ली जाती है और फूलों के खुदरा विक्रेता अपनी दुकान के लिए उत्पादों का इंतजार कर रहे होते हैं। इसलिए नीलामी में शामिल होने वाला व्यक्ति खाली हाथ वापस नहीं जाना चाहता।
बिक्री हो जाने के बाद फूलों को तेजी से खरीददार के क्षेत्र में पहुंचाया जाता है, जहां उनकी ढुलाई की व्यवस्था की जाती है। गंतव्य तक पहुंचने की पूरी प्रक्रिया में लगभग 24 घण्टे का समय लगता है। यहां पर रेल पटरियों जैसे टैªक बिछे हुए हैं और 270,000 आॅक्शन ट्राॅलियों में लदे पौधों और फूलों के क्रेटों का वर्गीकरण कम्प्यूटर के जरिए किया जाता है। एक निश्चित स्थान तक मानवरहित यह ट्राॅलियां ट्रैक पर एक कतार में चलती हैं और एक खास मुकाम पर पहुंचकर अलग-अलग रास्ते तय कर निर्धारित मंजिल तक पहुंच जाती हैं। आॅक्शन ट्राॅलियों को हटाने और खरीददार के क्षेत्रों तक क्रेट पहुंचाने का काम कर्मचारी तेज गति के मोटर चालित वाहनों के जरिए करते हैं। इस प्रकार की व्यवस्थित और स्वचलित प्रणाली अपने प्रदेश की मण्डी गतिविधियों में अपनाई जा सकती है। इसके अलावा मण्डी के कार्यों को आॅनलाइन करके घाटे को कम किया जा सकता है और खेत से ग्राहक तक उपज को पहुंचाने वाले समय में कमी लाई जा सकती है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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