प्रदेश के प्रमुख वन संरक्षक श्री जे.एस. अस्थाना ने बताया कि जन सहयोग से वनों की सुरक्षा एवं संवर्धन के कार्यों हेतु प्रत्येक वन प्रभाग में वन विकास अभिकरण (थ्क्।) का गठन किया गया है। वन विकास अभिकरणों द्वारा जन-सहभगिता के माध्यम से वानिकी कार्य सम्पादित किये जाते है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2012-13 में इस योजना के अन्तर्गत प्रदेश के 72 वन प्रभागों में 2223 संयुक्त वन प्रबन्ध समितियों को 25,695.29 लाख रुपये केन्द्रीय सहायता उपलब्ध कराई गई, जिससे 1,31,414 हे0 क्षेत्र में वृक्षारोपण व अन्य विकास कार्य कराये गये है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2013-14 में इन अभिकरणों को 2014.62 लाख रुपये की केन्द्रीय सहायता उपलब्ध कराई गई थी।
श्री अस्थाना ने बताया कि इमारती लकड़ी, कोयला तथा अन्य अभिकरणों द्वारा निकाली गई वन उपज वन विभाग के राजस्व अर्जित करने का मुख्य स्त्रोत है। उन्होंने बताया कि तेंदू पत्ता एकत्रीकरण का कार्य उ0प्र0 वन निगम द्वारा किया जाता है। इसके अतिरिक्त वन निगम द्वारा वनों की लकडि़यों के विक्रय का कार्य भी किया जा जाता है। इसके लिए वन निगम के जनपद एवं प्रदेश स्तर पर कार्यालय स्थापित है। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा संचालित वन उपज योजना के अन्तर्गत वर्ष 2014-15 हेतु 50 लाख रुपये का बजट प्राविधान किया गया है। वन विभाग में खेलों को बढ़ावा देने हेतु उ0प्र0 राज्य वन खेलकूद परिषद का गठन किया गया है। चालू वर्ष 2014-15 में खेल कार्य हेतु 15 लाख रुपये का बजट प्राविधान किया गया है। उन्होंने बताया कि लाख बहोसी पंक्षी बिहार, कन्नौज एवं नवाबगंज पंक्षी बिहार उन्नाव में विशेष इको पर्यटन विकास योजना के अन्तर्गत पर्यटकों को उच्चीकृत इको फ्रेंडली सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। जिससे पर्यावरण संरक्षित हो तथा पर्यटक अच्छा अनुभव करें। उन्होंने बताया कि इस योजना हेतु वर्ष 2014-15 में 200 लाख रुपये का बजट प्राविधान किया गया है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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