Categorized | चित्रकूट

जयकारों के बीच दब गयी थीं चीखें

Posted on 26 August 2014 by admin

भदई अमावस्या में प्राचीन मुखारविंद के नजदीक हुए हादसे के बाद सतना पुलिस द्वारा उस ओर बैरीकेडिंग लगा दी गयी है। यहां अब भी बिखरे हुए कपड़े और भगदड़ में गिरे सामान को पड़ा देखा जा सकता है। रह.रहकर यहां कुछ ऐसे लोग भी यह देखने पहुंच जाते है कि हादसे में शिकार हुए लोगों में उनका अपना तो कोई नही है। सोमवार की भोर कामतानाथ परिक्रमा मार्ग पर हुआ दर्दनाक हादसा स्थानीय लोगों के लिए न भुलाने वाला ऐसा मंजर बन गया है जिसको लेकर हर वक्त लोगों की जुबान में र्चचाएं तो रहेंगी। वहीं मन्नत पूरी करने वाले बाबा कामतानाथ में दंडवत परिक्रमा की जो परम्परा सदियों से चली आ रही है उसको करने वाले श्रद्धालु भी अब ऐसी भीड़ में एक बार यह सोचने को जरूर मजबूर होंगे कि वह मठमंदिरों के बीच धीरे.धीरे संकरे होते जा रहे कामतानाथ परिक्रमा मार्ग में अपना शीश कब नवायें। सोमवार की सुबह हादसे के प्रत्यक्षदर्शी रहे मूलचंद्र निवासी हमीरपुर ने बताया कि कामतानाथ के जयकारे लगाते हुए वह लोग आगे बढ़ रहे थेए प्रमुख द्वार के पास श्रद्धालुओं को भीड़ के चलते दो रास्तों में बांट दिया गया था। इसके चलते वहां एक ही ओर से लोग आ जा रहे थे लेकिन प्राचीन मुखारबिंद के पास वह पहुंचा तो पहले आवाज आयी कि विजली की तार गिरी है और फिर एक महिला उछलती दिखी। लेकिन लोग समझ पाते कि इसके पहले भीड़ में शामिल श्रद्धालु जो कुछ पल पहले तक एक.एक कदम एक दूसरे से जुड़कर आगे बढ़ रहे थे वह धक्का देते हुए दौड़ पड़े। इसके बाद जब वह नजदीक पहुंचा तो वहां जमीन में दंडवती परिक्रमा कर रहे श्रद्धालु पड़े हुए थे। किसी की छाती में पैर रखा जाना प्रतीत हो रहा था तो कई की गर्दन ही भगदड़ में डेढ़ी हो चुकी थी। सुरक्षा कर्मियों के विषय में मूलचंद्र ने कहा कि तीन चार लोग दिखे लेकिन वह भगदड़ वाले उस क्षेत्र से काफी दूर थे। जिस किनारे में श्रद्धालु लेटी हुई परिक्रमा कर रहे थे। कामतानाथ प्राचीन मुखारविंद के पुजारी भरत शरण दास जो मंदिर की ओर बैठे हुए थेए कहते हैं कि जयकारे लग रहे थेए जिसके चलते पहले कुछ समझ में ही नही आया और फिर जब चीखें सुनाई दी तो वह भीड़ को चीरते हुए परिक्रमा मार्ग में पहुंचे जहां एक के बाद एक महिलाएं पुरु ष अचेत पड़े हुए थे। कुछ तड़पते हुए जान बचाने की गुहार लगा रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि दो घंटे से अधिक समय तक स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर कोई नहीं आया। वहीं लोग भीड़ का रेला देख दूर से ही लोगों से चिरौरी करते हुए किनारे से निकलने की अपील कर रहे थे। बातचीत के दौरान भावुक हो चुके भरतशरणदास ने कहा कि अगर वाकया मध्य रात्रि के आस पास का होता तो शायद मंजर और वीभत्स होता। इधर बुजुर्ग पत्रकार चंद्रभूषण अवस्थी बताते है कि 1985 में कामतानाथ परिक्रमा मार्ग में कई मौतें जेष्ठमास की अमावस्या के दौरान पानी के इंतजाम न होने के कारण हो गयी थी। लेकिन इसके पहले या बाद में उन्होंने ऐसी घटनाएं न ही देखी और न ही सुनी। जबकि अमावस्या के मेला में भीड़ का रेला इससे बहुत ज्यादा वह आधा सैकड़ा से अधिक बार कामतानाथ परिक्रमा मार्ग में देख चुके है। प्राचीन मुखारविंद के पास श्रद्धालुओं की मौत और घायल होने की खबर के बाद बहुत से साथियों से विछड़े हुए श्रद्धालु जानकीकुंड चिकित्सालय साथियों का पता लगाने पहुंच रहे थेए लेकिन मृतकों और घायलों ने अपने बीच का व्यक्ति न मिलने पर राहत की सांस लेते हुए ईर से पीड़ितों के परिवार को शांति की प्रार्थना जरूर करते हुए देखे जा रहे थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Advertise Here

Advertise Here

 

April 2024
M T W T F S S
« Sep    
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
2930  
-->









 Type in