‘‘इनटू द आॅबलिवियन’’ पुस्तक का आज इसके लेखक डा0 ए.पी. महेश्वरी व श्रीमती विनिता चांडक के द्वारा पुस्तक की प्रथम प्रति भारत के माननीय राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी को भेंट करने के साथ ही औपचारिक रूप से विमाचन हो गया।
कहानी के रूप में लिखी गई यह पुस्तक भण्डार गं्रथकार द्वारा अपनी माॅ को दी गई श्रद्धांजलि स्वरूप है। ये उनकी स्मृतियों का एक संग्रह है, जो घातक रोग ‘‘कैंसर’’ के हाथों उन्हें खोने के बाद लिखे। सतह के परे स्थित सत्य को जानने की ग्रंथकार की यह एक सच्ची कोशिश है। यह पुस्तक उनकी माॅ, जो राजस्थान के दूर-दराज गांव की एक सीधी -सादी अल्प-शिक्षित महिला थीं, के जीवन के अनुभवों पर आधारित है। कैसे वह प्रारम्भ शहरी जीवन में अपने आप को ढालती रही , फिर अपने परिवारजनों व अन्य सम्बन्धियों एवं सहजनों के मन पर अपनी छाप छोड़ती गयीं। वे जीवन में सबको हॅसी, खुशी व सद्भावना बांटती चलती थी। उनके गुणों ने उन्हें एक आदर्श पत्नी ही नहीं अपितु एक ऐसी ‘‘माॅ’’ बनाया, जिसने अपनी संतानों में सशक्त धार्मिक, पारिवारिक व मानवीय मूल्यों का संचन किया। यह पुस्तक छोटी-छोटी ऐसी घटनाओं से भारी पड़ी है , जो यह दर्शाती है कैसे यह जानने के बाद भी कि वे कैंसर से पीडि़त हैं, उन्होंने खुशियाॅ बिखेरना जारी रखा। यह दर्शाती है कि यह उन्होंने अपना आत्मसंयम, निश्चलता, ईश्वर में अपना विश्वास एवं अपनों का उत्साह इस स्थिति में भी अपने साहस व सहनशक्ति से बनाए रखा जबकि वह घातक बीमारी कभी भी उनको इस सृष्टि से तिलांजति दिला सकती थी। वह इस ‘‘न्यूक्लियर-फैमिली’’ के आधुनिक युग में अनुकरणीय व्यक्तित्व के रूप में उभरी हैं।
‘‘रोगी दवा और दया से नहीं, प्रेम और अपनत्व से शीघ्र अच्छा होता है’’- पुस्तक के माध्यम से दिया गया यह संदेश प्रस्तुत कृति को मानवीय संदर्भों एवं संवेदनशीलता से जोड़ता हुआ पाठकों के मन पर निराली छाप छोड़ता है।
यह पुस्तक जीवन की रूपात्मकता को इसके सभी रंगों में संभालने का एक माध्यम है। इस पुस्तक में विशेष रूप से कैंसर जैसे घातक रोग के निदान की दिशा में अनेक व्यवहारिक पहलुओं से उभारा गया है
ऽ कैंसर की जटिलता , उसका इलाज व वर्तमान परिक्षेप्य में उसकी सीमा।
ऽ इसके विविधतापूर्ण मनोवैज्ञानिक-व्यवहारिक और कैंसर रोगियों की देखरेख करने वालों का कोमल स्पर्श, जो ऐसे रोगियों को उनके रोग से लड़ने की क्षमता को कई गुणा बढ़ा देता है।
ऽ जीवन-प्रबन्धन व रोग-निरोधक स्वास्थ्य-संरक्षण के बारे में विस्तृत विमर्श
ऽ नारी सशक्तिकरण व समाज में अभी भी प्रचलित विविध सामाजिक रूढि़यों के सापेक्ष अपनी पहचान
ऽ पारिवारिक मूल्यों व सामाजिक रिश्तों की कसौटी
ऽ रोगी की पीड़ा कम करने के बारे में महत्वपूर्ण सुझाव
ऽ आध्यामिकता से जनित शक्ति
ऽ आत्म अनुभूति की पराकाष्ठायें
इस औपचारिक अनावरण के बाद पुस्तक को शीघ्र ही लोकार्पित किया जायेगा।
यह पुस्तक ओशन बुक्स प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली (ूूूण्वबमंदइववोण्पद) द्वारा प्रकाशित की गई है।
ऽ डा0 ए.पी. महेश्वरी, 1984 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (उ0प्र0 संवर्ग) के अधिकारी है, जिन्हें वीरता के लिए पुलिस पदक व विशिष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति के पुलिस पदक समेत कई अन्य पुरस्कारों से अलंकृत किया जा चुका है। उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों पर आधारित कई पुस्तकें लिखी हैं उनकी एक पुस्तक को प्रतिष्ठित ‘‘गोविन्द बल्लभ पन्त’’ पुरस्कार भी मिला है। वर्तमान में वे केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल में प्रतिनियुक्ति पर हैं।
ऽ श्रीमती विनीता चांडक राजनीति शास्त्र में परास्नातक हैं। वे एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो ग्वालियर मध्य प्रदेश में विविध सामाजिक कार्यो में रत हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com