आज यहाँ कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में मनरेगा योजनान्र्तगत ‘सघन सहभागी नियोजन अभ्यास ;प्दजमदेपअम चंतजपबपचंजवतल चसंददपदह म्गमतबपेमद्ध को लागू करने लिए संचेतना कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार के अपर सचिव, श्री विजयानन्द, ग्राम्य विकास विभाग, उ0प्र0 के प्रमुख सचिव, श्री अरूण सिंघल, आयुक्त, ग्राम्य विकास, अपर आयुक्त, मनरेगा एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
कार्यशाला का शुभारम्भ करते हुए प्रमुख सचिव, श्री अरूण सिंघल ने ‘सघन सहभागी नियोजन अभ्यास’ ;प्दजमदेपअम चंतजपबपचंजवतल चसंददपदह म्गमतबपेमद्ध को क्रियान्वित करने के लिए प्रदेश की तैयारी के सम्बन्ध में सभी प्रतिभागियों को अवगत कराया। श्री सिंघल ने बताया कि प्रदेश में मनरेगा योजनान्तर्गत अधिक वास्तविक एवं सामुदायिक/व्यक्तिगत स्थायी परिसम्पत्तियों के सृजन पर केन्द्रित श्रम बजट बनाने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित ‘सघन सहभागी नियोजन अभ्यास’ ;प्दजमदेपअम चंतजपबपचंजवतल चसंददपदह म्गमतबपेमद्ध को प्रभावी तरीके से लागू किया जायेगा।
प्रमुख सचिव, ग्राम्य विकास ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 403 विकास खण्डों को पिछडे विकास खण्ड के रूप में चयनित किया गया है। पिछडे विकास खण्डों का चयन योजना आयोग, भारत सरकार द्वारा तैयार किये गये पिछडे़पन के संकेतक ;इंबाूंतकदमेे पदकमगद्ध के आधार पर किया गया है। इन्हीं पिछडें विकास खण्डों में ‘सघन सहभागी नियोजन अभ्यास ;प्दजमदेपअम चंतजपबपचंजवतल चसंददपदह म्गमतबपेमद्ध के अन्तर्गत कार्यवाही की जायेगी। शेष विकास खण्डों में पूर्व की भांति श्रम बजट तैयार किया जायेगा।
कार्यशाला में राज्य स्तरीय रिसोर्स टीम, जनपद एवं विकास खण्ड स्तरीय रिसोर्स टीम के प्रशिक्षण के सम्बन्ध में भी तिथियों का निर्धारण एवं अन्य संबंधित विषयों पर चर्चा की गई। राज्य स्तरीय रिसोर्स टीम के प्रशिक्षण के लिए दो से पांच सितम्बर, 2014, जिला रिसोर्स टीम के प्रशिक्षण के लिए 09-12 सितम्बर, 2014, विकास खण्ड टीम के प्रशिक्षण के लिए 16-26 सितम्बर, 2014 एवं पंचायती राज संस्थाओं के प्रशिक्षण हेतु 01 दिवसीय कार्यशाला की तिथि 30 सितम्बर, 2014 निर्धारित की गयी।
भारत सरकार से आये श्री विजयानन्द द्वारा सभी प्रतिभागियों को बताया गया कि इस कार्यवाही का मुख्य फोकस पिछडे़ विकास खण्डों में योजना की मांग का सही आंकलन करना है जिससे श्रम बजट का निर्माण किये जाते समय स्थल एवं वास्तविक मांग के अनुरूप कार्यो का चयन किया जा सके। श्री विजयानन्द द्वारा इस विषय पर मुख्य बल दिया गया कि इस प्रक्रिया में संवेदनशील समूह यथा-अनुसूचित जाति/जनजाति, महिला-मुखिया परिवार, अक्षम-मुखिया परिवार, भूमि सुधार एवं इन्दिरा आवास के लाभार्थी, गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले परिवारों को अनिवार्य रूप से सम्मिलित किया जाना चाहिए।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए समस्त प्रतिभागियों को प्रभावी गति से कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया एवं सम्बन्धित विभाग को निर्देश दिया कि चिन्हित 403 विकास खण्डों के अतिरिक्त अन्य विकास खण्डों में भी श्रम बजट निर्माण की कार्यवाही इसी प्रकार की तैयारी एवं संवेदनशीलता के साथ की जानी चाहिए।
कार्यशाला में अन्य विभागों यथा वन, पंचायती राज, युवा कल्याण, लघु सिंचाई, सिंचाई, कृषि, उद्यान, रेशम, लोक निर्माण, खेल, भूमि विकास एवं जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव/सचिव एवं वरिष्ठ अधिकारियों ने भी प्रतिभाग किया। इसके अतिरिक्त कुछ जनपदों के जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, जिला विकास अधिकारी एवं परियोजना निदेशक/उपायुक्त (श्रम/रोजगार) इत्यादि भी कार्यशाला में उपस्थित हुये।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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