प्रदेश में पेराई सत्र 2013-14 के दौरान निजी क्षेत्र की एकल स्वामित्व की अधिकांश चीनी मिलों द्वारा 90 प्रतिशत से अधिक गन्ना मूल्य का भुगतान किसानों को कर दिया गया है। लेकिन प्रदेश में बड़े समूहों जैसे बजाज, मोदी, मवाना, सिम्भावली द्वारा बेहद कम गन्ना मूल्य का भुगतान किया गया है। प्रदेश सरकार द्वारा इन डिफाल्टर्स के खिलाफ नियमानुसार कड़ी कार्यवाही की जायेगी है।
आज यहां प्रदेश के गन्ना आयुक्त श्री सुभाष चन्द्र शर्मा ने बताया कि बड़े समूहों में सबसे अधिक धनराशि बजाज समूह पर बकाया है। इस समूह द्वारा गन्ना किसानों का 1526 करोड़ रुपए के मूल्य का भुगतान नहीं किया गया है। इसी प्रकार, मवाना ग्रुप पर 566 करोड़ रुपए, मोदी ग्रुप पर 417 करोड़ रुपए, सिम्भावली ग्रुप पर 273 करोड़ रुपए गन्ना मूल्य अवशेष है, जबकि पेराई सत्र समाप्त हो चुका है। गन्ना किसानों के बकाए के भुगतान के लिए राज्य सरकार नियमानुसार कार्रवाई कर रही है।
गन्ना आयुक्त के अनुसार पेराई सत्र 2013-14 के दौरान 119 चीनी मिलों द्वारा 19,388 करोड़ रुपए के गन्ने की खरीद की गई थी। इसके सापेक्ष 11 अगस्त, 2014 तक 14,083 करोड़ रुपए का भुगतान गन्ना उत्पादकों को किया जा चुका है, जो कि कुल देय का 72.64 प्रतिशत है। वर्तमान में 5304 करोड़ रुपए गन्ना मूल्य का भुगतान किया जाना अवशेष है। उन्होंने बताया कि चीनी निगम की एक मात्र चीनी मिल मोहिउद्दीनपुर तथा सहकारी क्षेत्र की स्नेह रोड चीनी मिल द्वारा शत्-प्रतिशत गन्ना मूल्य का भुगतान कर दिया गया है। सहकारी क्षेत्र की समस्त 23 चीनी मिलों द्वारा 88.36 प्रतिशत गन्ना मूल्य का भुगतान अब तक किया गया है। निजी क्षेत्र की भी आई0पी0एल0 ग्रुप की पांच मिलों, परसेण्डी तथा टोडरपुर चीनी मिल द्वारा भी शत्-प्रतिशत गन्ना मूल्य का भुगतान किया जा चुका है।
गन्ना आयुक्त ने कहा कि प्रदेश सरकार गन्ना किसानों के गन्ना मूल्य भुगतान कराए जाने के प्रति पूरी तरह से कटिबद्ध है और इस मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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