उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री आलोक रंजन ने निर्देश दिए हैं कि प्रदेश के 12 वन ग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित किये जाने हेतु आवश्यक कार्यवाही प्राथमिकता से सुनिश्चित कराई जाय। उन्होंने कहा कि दावों के लम्बित प्रकरणों का निस्तारण प्राथमिकता से सुनिश्चित हो। उन्होंने कहा कि अधिनियम के प्राविधानों के अन्तर्गत जिन व्यक्तियों को भूमि के टाइटिल वितरित किये गये हैं उनका दाखिल खारिज राजस्व अभिलेख में कराना यथाशीघ्र सुनिश्चित कराया जाय। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि अधिनियम के अन्तर्गत भारत सरकार की वेबसाइट पर प्राप्त दावों तथा वितरित की गई टाईटिल का विवरण शत-प्रतिशत अपलोड किये जाने की कार्यवाही आगामी 01 माह में सुनिश्चित करा दी जाय।
मुख्य सचिव आज शास्त्री भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम के क्रियान्वयन हेतु आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने संबंधित जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि कार्ययोजना के अनुसार वांछित कार्यवाही शीर्ष प्राथमिकता के आधार पर पूर्ण कराई जाय तथा निर्धारित प्रारूप में प्रत्येक माह की 07 तारीख को मासिक प्रगति निदेशालय को अवश्य उपलब्ध कराई जाय।
श्री रंजन ने कहा कि अधिनियम के प्राविधानों की जानकारी पात्र लोगों तक पहुॅचाने हेतु कार्यशालाओं का आयोजन कराया जाय तथा व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु होर्डिंग्स, पोस्टर, पम्पलेट एवं अधिनियम की प्रतियां ग्राम स्तर पर वितरित कराई जाय। उन्होंने कहा कि ऊबड़-खाबड़ (असमतल) जमीन को समतल कराकर सिंचाई हेतु आवश्यक सुविधा भी उपलब्ध कराई जाय। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासियों के लिए विवाह तथा बीमारी के उपचार हेतु पर्याप्त अनुदान नियमानुसार स्वीकृत कराया जाय। उन्होंने कहा कि जनपदवार प्राप्त दावों का सर्वे कराकर उनके निस्तारण की कार्यवाही प्राथमिकता के आधार पर यथाशीघ्र सुनिश्चित कराई जाय।
बैठक में सचिव, समाज कल्याण श्री के0एस0 रंगाराव, सहित संबधित 12 जनपदों के जिलाधिकारी एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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