उत्तर प्रदेष लोकसेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष एवं जवाहर लाल नेहरू ग्राम्य विष्वविद्यालय प्रयाग के कुलपति प्रोफेसर कृश्ण बिहारी पाण्डेय ने आज यहाॅं रक्षा बंधन उत्सव के एक कार्यक्रम में बहनों की रक्षा और सुरक्षा पर गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा कि आज बहनोें की रक्षा का दायित्व कितना गंभीर हो गया हैं। देष और प्रदेष की स्थिति महाभारत जैसी हो गयी हैं। समाज का दृष्य बिगड़ चुका हैं। हम स्वाभिमान की स्थिति में नहीं हैं। ऐसे में पितामह के वह सूत्र संदेष ‘‘धर्म पर चलकर हम एक दूसरे की रक्षा करें’’ समीचीन है।
सुलतानपुर जिला मुख्यालय पर पं. राम नरेष त्रिपाठी सभागार में राश्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से आयोजित रक्षा बंधन उत्सव में बतौर मुख्य वक्ता कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उन्होंने रक्षा बंधन के महत्व और इतिहास चर्चा करते हुए खासकर उत्तर-प्रदेष की स्थिति पर कहा कि यहाँ रोज ही द्युत क्रीड़ा हो रही है और पांडव हार रहे हैं। आज का धृतराश्ट्र देख तो पाता नहीं और सुनकर भी अनसुनी कर रहा है। आज का धृतराश्ट्र कहता है कि उ.प्र. में और प्रदेषों से कम बलात्कार हुए है। यानी अभी तक हुई घटनाओं से संतुश्ट नहीं है।
उन्होंने एक विदेषी पर्यटक के साथ दुराचार की घटना पर रचित काव्य रचना को व्याख्यायित करते हुए कहा कि आज भीम कहीं गया थोड़ी है। वह तो कृश्ण के इषारे का इंतजार कर रहा है। आज की स्थिति का उत्तर सिर्फ कृश्ण का इषारा और भीम ही हैं।
उन्होंने कहा कि हमारे मेधावी तमाम उच्च षिक्षा को हासिल करने के बाद पद पर आते ही पष्चिमी संस्कृति से प्रभावित होकर भोग विलास की ओर बढ़ जा रहे हैं। यह कम चिंता का विशय नहीं है कि उत्तर-प्रदेष के तीन मुख्य सचिव आज जेल में है। इस पद तक पहुंचने में तीनों सचिवों की स्थिति षुरू से आई.ए.एस. तक टाॅपर की रही होगी। आज हर स्तर पर लोगों के रगो में भ्रश्टाचार भरा है। इसके पीछे का कारण समाज, हम और आप जिम्मेदार है। समाज ने ही इस रास्ते को दिखाया है। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि आपका बच्चा कम पढ़े किन्तु वह संस्कार जरूर पाये। आज हम अपने बच्चों को टाई और जूता पालिस करके अंग्रेजी स्कूलों में भेज कर उसके आई.ए.एस. बनने का सपना देखने लगते है। इसे देखना बंद करें और संस्कारमय षिक्षा दिलायें। आज का नवजवान वह कपड़े पहनता है जिस पर बड़े ही असंस्कारित एवं दिग्भ्रमित किये जाने वाले वाक्य लिखे हुए है। यह विदेषी संस्कृति पर हमले का माध्यम है। उन्होंने दावा किया कि जेल जाने वाले मुख्य सचिवों ने कभी भी भगवाध्वज को प्रमाण नहीं किया रहा होगा। जो व्यक्ति इस पूज्य भगवाध्वज को प्रमाण कर लेगा वह अनीत की ओर अग्रसर ही नहीं हो सकता है। इसके पूर्व उन्होंने पूज्य भगवाध्वज को रक्षा बंधन बांधा और देष व समाज के रक्षा का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि हम सभी इस भगवाध्वज की छत्रछाया में है। हम भगवाध्वज की रक्षा करने की शक्ति नहीं रखते है किन्तु हमें संकल्प लेने की जरूरत है। रक्षा बंधन के लिए उन्होने राजा बलि द्वारा भगवान बावन और द्रोपदी द्वारा श्रीकृश्ण को रक्षा बांधने के प्रसंग का भी विस्तृत उल्लेख किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रख्यात सर्जन डाॅ. ए.के. सिंह ने कहा कि आज देष में संवेदनषीलता घट गयी हैं जिसके चलते समाज में तमाम विकृतियां आ रही है। इसके पीछे उन्होंने देष में बढ़ती जनसंख्या को भी कारण माना और कहा कि अफसरों पर बढ़ता भार और कार्य उन्हें विचलित कर रहा है। हमें ‘‘धर्मम् चल और सत्यम बद्’’ के सूत्र पर काम करना चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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