उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने जनपदीय अधिकारियों की उपस्थिति उनके कार्यालयों में प्रातः 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक जन सुनवाई के लिए प्रत्येक दशा में सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि इसमें किसी भी प्रकार की कोताही या शिथिलता को गम्भीरता से लिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने आज यहां इस सम्बन्ध में प्रभावी अनुपालन व पर्यवेक्षण करने के निर्देश मुख्य सचिव श्री आलोक रंजन को देते हुए कहा कि फील्ड में तैनात प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों को प्रत्येक कार्य दिवस में प्रातः 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक अपने कार्यालय में मौजूद रहकर जनसामान्य की समस्याओं व शिकायतों को सुनें और उनके समाधान के लिए प्रभावी कार्यवाही करें।
श्री यादव ने कहा कि जनपदीय अधिकारियों के कार्यालयों के बेसिक फोन ठीक दशा में होने चाहिए, जिससे उनसे बात की जा सके। उन्होंने निर्देश दिए कि सभी मण्डलायुक्त व जिलाधिकारियों ये सुनिश्चित कर लें कि उनके जनपद के समस्त जिला स्तरीय अधिकारियों के कार्यालयों के बेसिक फोन नम्बर क्रियाशील रहें। जहां पर किसी अधिकारी के कार्यालय में कोई नम्बर आवंटित नहीं है, वहां पर प्राथमिकता के आधार पर बेसिक फोन कनेक्शन लगवाया जाए। उन्होंने कहा कि समस्त अधिकारियों के कार्यालय में बेसिक फोन के स्थापित होने तथा क्रियाशील होने का प्रमाण-पत्र समस्त जिलाधिकारियों द्वारा 11 अगस्त, 2014 तक मुख्य सचिव कार्यालय में प्रेषित किया जाए।
मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि समस्त जिला स्तरीय अधिकारियों के बेसिक फोन नम्बर का व्यापक प्रचार-प्रसार प्रिन्ट एवं इलेक्ट्राॅनिक मीडिया के माध्यम से किया जाए तथा उनके कार्यालयों के बाहर इसे दीवार/पट्टिका पर अंकित किया जाए। जनपद की वेबसाइट पर इन नम्बरों को अनिवार्य रूप से डिस्प्ले किया जाए।
श्री यादव ने निर्देश दिए कि मण्डलायुक्त/जिलाधिकारी द्वारा पाक्षिक/साप्ताहिक रूप से जनपदीय अधिकारियों के बेसिक फोन पर काॅल कर इनके क्रियाशील होने की स्थिति एवं अधिकारियों की उपस्थिति के सम्बन्ध में मुख्य सचिव कार्यालय को मासिक रिपोर्ट प्रेषित की जाए। मण्डलायुक्त द्वारा नियमित रूप से जिलाधिकारी तथा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की उनके कार्यालय में उपस्थिति का सत्यापन टेलीफोन द्वारा किया जाए तथा उनकी नियमित उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति के सम्बन्ध में फीडबैक मुख्य सचिव कार्यालय को प्रेषित किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकारियों के कार्य के मूल्यांकन इस आधार पर हो कि सम्बन्धित अधिकारी से जन सुनवाई के दौरान कितने व्यक्ति मिले और उनकी समस्याओं का निस्तारण करने के लिए अधिकारी द्वारा क्या कदम उठाए गए। उन्होंने कहा कि जनता की समस्याओं की अनदेखी करने वाले और उनमें रुचि न लेने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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