भारतीय वन सेवा ;आईएफएसद्ध 2013.15 के प्रोबेशनरों के एक समूह ने राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी से कल राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की।
प्रोबेशनरों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि वन न केवल संसाधन हैए बल्कि ये देश की सांस्कृतिक आध्यात्मिक और बौद्धिक विरासत को अपने कलेवर में समेटते हैं। सरकार ने इस महान अमूल्य विरासत को संभालने का दायित्व इन्हें सौंपा है। उन्होंने कहा कि विगत कुछ दशको में विश्व के सामने पर्यावरण के गिरते स्तर वन क्षेत्र की कमी तथा इन सबसे ऊपर वैश्विक गर्मी के फलस्वरूप जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के प्रति दुनिया में जागृति आई है। यही कारण है कि 21वीं सदी मेंए पर्यावरण एक प्रमुख एजेंडा के रूप में उभर कर आया हैए जिसका अभिन्न अंग वन ही है। जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न प्रतिकूल प्रभावों के लिए यह आवश्यक है कि सभी देश इस समस्या को हल करने के लिए सामूहिक रूप से मिलकर सामने आयें।
राष्ट्रपति ने कहा कि वनों का प्रबंधन एवं इनका गवर्नेंस एक चुनौती भरा कार्य है। इसे प्रौद्योगिकी के व्यापक इस्तेमाल के जरिये नागरिक अनुकूल बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रोबेशनरों को बदलते अंतर्राष्ट्रीय एवं घरेलू वन प्रबंधन के मुद्दों के प्रति स्वंय को अद्यतन रखना होगा और अपने व्यवसाय में सर्वोत्तम पद्धतियों को अंगीकार करना होगा।
2013.15 बैच के आईएफएस प्रोबेशनर इस समय इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी देहरादून में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं और वे इस समय संसदीय अध्ययन एवं प्रशिक्षण ब्यूरो के प्रक्रिया एवं पद्धति में स्थापना कार्यक्रम में भाग लेने के लिए दिल्ली आये हुए हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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