भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री और उनके वरिष्ठ मंत्री के बीच तनातनी उचित नही। ताजुब्ब की बात है कि ताकतवर मंत्री पत्र लिखते है, मुख्यमंत्री उसे संज्ञान में नही लेते। इन ताकतवार मंत्री के विभाग का कार्यक्रर्म होता है मुख्यमंत्री इंतजार करते रहते है शहर में होने के बावजूद कार्यक्रम में शरीक नही होते। पार्टी प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा हो सकता है मुख्यमंत्री के चाचा-भतीजे के रिस्ते हो, किन्तु जब मुख्यमंत्री और मंत्री के रिस्तों की बात होगी, यह मुख्यमंत्री की गरिमा का अपमान है।
उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री-मंत्री की जो सामान्य परम्पराएं है उनका पालन तो होना ही चाहिए। लोकतंत्र में तो विपक्ष मुख्यमंत्री का सम्मान करता है यहाॅ तो उनके मंत्रीपरिषद के सदस्य ही उनके इकबाल को चुनौती देते फिर रहे है। यह पहली घटना नही है चाहे लगातार कैबिनेट की बैठकों में न जाने का प्रकरण रहा हो, नगर आयुक्त के तबादले का प्रश्न रहा हो अथवा अन्य प्रकरण रहे हो। हर बार तनातनी की खबरे सार्वजनिक रही है।
श्री पाठक ने कहा समाजवादी पार्टी और उनके नेताओं को हर घटना के पीछे भारतीय जनता पार्टी नजर आती है। जब इससे काम नही चलता तो आरएसएस का ऐजेण्ट बता काम चलाने में जुट जाते है। दुविधा में फंसी इस सरकार में मंत्री सार्वजनिक रूप से अपना दर्द बया करते है उनके कहने के बावजूद जांच नही होती। अब इसमें भाजपा का क्या दोष? एक धर्म गुरू और मंत्री के बीच आरोप प्रत्यारोप अखबारों की सुर्खिया बन रहे है, मंत्री बयान देकर काम चला रहे है, धर्म गुरू जांच की मांग कर रहे है, पर इन विषयों पर निर्णय लेगा कौन? फैसला तो सरकार को लेना है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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