बरसात में मानसून के सक्रिय रहने के कारण वातावरण में नमी रहती है, इसी कारण इस समय रोपित पौधे आसानी से लग जाते हैं तथा जीवितता अधिकतम रहती है, इसलिये यह मौसम नये फलदार पौधों के रोपण का उचित समय होता है। उद्यान निदेशक श्री एस0पी0जोशी ने बागवानों को यह जानकारी देते हुयेे बताया कि आम एवं लीची का नया बाग लगाने के लिए 10 गुणें 10 मीटर दूरी पर तथा अमरूद, आंवला, बेर एवं बेल के लिये 6 गुणें 6 मीटर की दूरी पर रेखांकन कर 75-100 सेमी0 (लम्बाई, चैड़ाई एवं गहराई) आकार के गड्ढ़े खोदकर प्रति गड्ढ़ा 50-60 किग्रा0 कम्पोस्ट अथवा गोबर की सड़ी खाद एवं इसके साथ-साथ 500 ग्राम नीम की खली अथवा 50 ग्राम कीटनाशक पाउडर मिट्टी में मिलाकर गड्ढ़ों में भरें तथा बारिश हो जाने पर गड्ढ़ो में मिट्टी बैठ जाने के बाद चयनित फलदार पौधों को रोपित करें। रोपाई के तुरन्त बाद पौधों की सिंचाई किया जाना आवश्यक है। बारिश नहीं होने की दशा में रोपाई के एक माह तक 3-4 दिन के अन्तराल पर तथा बाद में 10-15 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करते रहें।
प्रदेश के 45 जनपदों में संचालित राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजनान्तर्गत वर्ष 2014-15 में नये बागों की स्थापना के लिए 5457 है0 क्षेत्र विस्तार किये जाने का कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत 60,670 आम, 2,19,374 अमरूद, 51,060 आवंला, 9,875 लीची तथा 63,88,020 टिश्यू कल्चर केले के पौधों का रोपण कराया जायेगा। इसके अतिरिक्त प्रदेश में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, जो कि प्रदेश के उन जनपदों में जहां राज्य औद्यानिक मिशन योजना संचालित नहीं है, के अन्तर्गत 30 जनपदों में फलदार पौधों के रोपण के लिए क्षेत्र विस्तार किये जाने का कार्यक्रम है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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