जिला चिकित्सालय की व्यवस्था अर्ध विक्षिप्त हो चुकी है। जब से चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक का पद भार डा0 आर0पी0 सिंह ने सम्भाला है लगता है कि अस्पताल की कमान किसी नातर्जुबेकार के हाथों में आ गई है। डा0 सिंह अस्पताल में समय तो ठीक ठाक देते हैं परन्तु प्रषासनिक क्षमता ना के बराबर होने के कारण जिला चिकित्सालय में अफरा-तफरी का माहौल व्याप्त है जिला चिकित्सालय परिसर में प्राइवेट नर्सिंग होम की आधा दर्जन एम्बुलेंस मुख्य मार्ग घेर कर खडी रहना, चाय के ठेले, आवारा पशुओं का आरामगाह जिला चिकित्सालय बन गया है अस्पताल के वार्डों में कुछ इस प्रकार गंदगी रहती है कि वार्डों से आने वाली सडांध बेबर्दाश्त है जिसके कारण अस्पताल में भर्ती मरीजों का बुरा हाल है। भीषण गर्मी में जनरेटर की व्यवस्था सुचारू रूप से नहीं है कहने को मरीजों को भोजन फल, दूध आदि की पूरी व्यवस्था है परन्तु कागजों तक ही सीमित है। सपा सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी पटरी से उतरी व्यवस्था ट्रैक पर नहीं आ पा रही है यदि हालात ऐसे ही रहे तो गरीबों का क्या होगा जो सिर्फ सरकारी अस्पताल के सहारे ही होते हैं डा0 0सिंह ने जब से जिला अस्पताल का प्रभार सम्भाला है उनके ही अधीनस्त उनकी नहीं सुन रहे हैं। आंकडों की बाजीगरी में उलझा जिला अस्पताल मरीजों के चेहरे पर मुस्कान बिखेरने में अस्मर्थ है मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के पद पर बैठते ही डा0 सिंह कई चीजों से विमुख हो गये हैं जिला अस्पताल की साफ सफाई मरीजों को मिलने वाली सुविधाएं राम भरोसे हो गई है।बरामदें में लगे कई सीलिंग फैन चलते ही नहीं है।गर्मी के मारे मरीजों तथा उनके तीमारदारें का बुरा हाल है।जिलाधिकारी के आदेषानुसार प्रतिदिन कोई न कोई अधिकारी जिला अस्पताल का सर्वे कर रहा है परन्तु उन्हें भी जिला अस्पताल में लगे पंखे जो मृत अवस्था में हैं उन्हें नहीं दिखाई पड़ रहा है। आपातकालीन सेवा में ड्यूटी चार्ट पर किसी डाक्टर व नर्से तथा वार्ड ब्याव का नाम नहींे दर्ज रहता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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