उत्तर प्रदेश के स्टाम्प एवं पंजीयन मंत्री राजा महेन्द्र अरिदमन सिंह ने जिलाधिकारियों द्वारा नान जुडिशियल स्टाम्प पेपर के प्रयोग में न आने के कारण आवेदकों की धन वापसी अपने स्तर से न करते हुए प्रकरण शासन को सन्दर्भित किए जाने पर अप्रसन्नता व्यक्त की हैं। उन्होंने कहा है कि भारतीय स्टाम्प अधिनियम के तहत बिगड़े हुए स्टाम्प (अन रजिस्टर्ड) की वापसी की व्यवस्था की गयी है, जिसमें आवेदक द्वारा 06 माह के अन्दर स्टाम्प मूल्य वापसी का आवेदन जिलाधिकारी को कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारियों को दो वर्ष के अन्दर बिगड़े हुए स्टाम्प /खराब स्टाम्प की वापसी का अधिकार दिया गया है।
स्टाम्प एवं पंजीयन मंत्री ने बताया कि शासन के संज्ञान में आया है कि दो वर्ष के अन्दर खरीदे गये स्टाम्प, जो किन्हीं कारणों से प्रयोग में नहीं लाया जा सके और उनका स्वरूप बिगड़ गया है, ऐसे स्टाम्प मूल्यों का भुगतान नियमानुसार आवेदकों को जिलाधिकारियों द्वारा नहीं किया जा रहा है तथा प्रकरण को अनावश्यक रूप से शासन को सन्दर्भित कर दिया जा रहा है, जो अत्यन्त ही खेदजनक है। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारियों को भारतीय स्टाम्प अधिनियम 1899 की धारा 49 एवं 50 में दी गयी व्यवस्था के अनुसार प्रकरण का परीक्षण कराते हुए नियमानुसार स्टाम्प पेपरों की वापसी के सन्दर्भ में कार्यवाही अपने स्तर से ही कर देनी चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com