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स्वास्थ्य मंत्री ने किया ‘‘सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा’’ का उद्घाटन

Posted on 29 July 2014 by admin

प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री अहमद हसन ने कहा है कि प्रदेश में प्रत्येक वर्ष लगभग 45 हजार बच्चों की मृत्यु सिर्फ डायरिया (दस्त) से होती है। बच्चों की अकाल मृत्यु होने का यह दूसरा सबसे बड़ा कारण है। यदि दस्त आने पर बच्चे को ओ0आर0एस0 का घोल एवं जिंक समय से मिल जाये तो उसे कुपोषित होने एवं मृत्यु से बचाया जा सकता है। बच्चों की मृत्युदर में कमी लाने एवं उन्हें कुपोषण से बचाने के लिए प्रदेश भर में ‘‘सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा’’ 28 जुलाई से 8 अगस्त तक मनाया जायेगा।
यह बात आज यहाँ गोमती होटल में सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़े का उद्घाटन करते हुए स्वास्थ्य मंत्री श्री अहमद हसन ने कही। उन्होंने कहा कि डायरिया एक गम्भीर बीमारी है। इसके प्रति लोगों को जागरूक करना लाजमी है। जन्म के एक घण्टे बाद बच्चे के लिए माँ का दूध अमृत हैं जिसमें डायरिया व अन्य बीमारियों से लड़ने की भरपूर क्षमता होती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी जिला चिकित्सालय, सामुदायिक स्वास्थ्य एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर ओ0आर0एस0 एवं जिंक की उपलब्धता व वितरण सुनिश्चित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा आम जनता को बेहतर से बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही है। सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ी है। आम लोंगो का विश्वास भी बढ़ा है। उन्होंने कहा कि सभी चिकित्सकों को कम से कम 40 मरीज ओ0पी0डी0 में देखना जरूरी है। इससे कम मरीज देखने वाले चिकित्सकों के वेतन रोकने के निर्देश दिये गये हैं। इस अवसर पर उन्होंने मेडिकों रिफ्रेशर पुस्तक का विमोचन भी किया।
कार्यक्रम में प्रमुख सचिव चिक्त्सिा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण श्री अरविन्द कुमार ने कहा कि डायरिया देखने में साधारण सी बीमारी लगती है, लेकिन थोड़ी सी असावधानी के कारण बहुत से बच्चों की इससे मृत्यु हो जाती है। प्रदेश में 11 प्रतिशत मृत्यु दस्त आने से होती है। यह बीमारी खतरनाक हैं। इसके रोकथाम हेतु घर-घर ओ0आर0एस0 एवं जिंक के वितरण कराने का कार्य किया जायेगा। साथ ही सभी सरकारी अस्पतालों में इसकी उपलब्धता सुनिश्चित की जायेगी। इसके वितरण एवं परामर्श हेतु आशा, ए0एन0एम0, एवं आगनबाड़ी कार्यकत्रियों द्वारा 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के परिवारों में भेजा जायेगा। कुपोषित बच्चों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने हेतु चिकित्सकों की विशेष व्यवस्था भी की जायेगी। उन्होंने कहा कि गर्भवती  महिलाओं एवं एक वर्ष तक के बच्चों को निःशुल्क इलाज एवं उनको घर से अस्पताल ले जाने और उनको घर तक छोड़ने हेतु 102 एम्बुलेंस सेवा उपलब्ध है। इससे मातृ एवं शिशु मृत्युदर में कमी आई है। प्रसव के बाद कम से कम तीन दिन तक मां और बच्चे को अस्पताल में रखा जायेगा।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक श्री अमित कुमार घोष ने बताया कि भारत सरकार के निर्देशानुसार सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा कार्यक्रम का आयोजन प्रदेश में किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य 5 वर्ष तक के बच्चों की मृत्युदर में कमी लाना है। उन्होंने कहा कि 42 प्रतिशत बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। शिशु को जन्म के उपरान्त मां का दूध न मिलने वह से बच्चा कुपोषण का शिकार हो जाता है। उन्होंने बताया कि जन्म से पहले घण्टे में बच्चे को सिर्फ 36 प्रतिशत महिलायें दूध पिलाती है तथा 6 माह तक बच्चों को स्तन पान केवल 20 प्रतिशत महिलायें कराती हैं। उन्होंने कहा कि बच्चे को समय से मां का दूध न मिलने के कारण वह कुपोषित हो जाता है।
श्री घोष ने बताया कि बच्चों को दस्त आने पर सिर्फ 45 प्रतिशत लोग ओ0आर0एस0 एवं 2 प्रतिशत जिंक देते हैं जो बहुत कम है। दस्त आने पर यदि बच्चे को समय से ओ0आर0एस0 एवं जिंक दे दिया जाये तो काफी संख्या में बच्चों की जान बचाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि मां का दूध बच्चे के लिए प्रकृति की ओर से पहला पोषाहार और औषधि है जो उसे डायरिया, पीलिया एवं अन्य रोगों से बचाता है। प्रसव के उपरान्त तीन दिन तक यह खासियत मां के दूध में पायी जाती है। उन्होंने कहा कि 6 माह तक बच्चों को सिर्फ मां का दूध पिलाना चाहिए जिससे बहुत सी बीमारियों से बच्चे को बचाया जा सकता हैं उन्होंने कहा कि बच्चों को समय से ओ0आर0एस0 एवं जिंक उपलब्ध हो सके, इसके लिए निदेशालय स्तर पर जांच टीम भी बनाई जा रही है, जो प्रदेश में भ्रमण करके इसकी उपलब्धता एवं वितरण पर रिपोर्ट शासन को उपलब्ध करायेगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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