उ0प्र0 सरकार ने भूजल संरक्षण एवं संचयन हेतु समग्र नीति को मुख्यमंत्री के विकास एजेण्उे में शामिल किया हैं प्रदेश के समग्र भूजल प्रबन्धन की परियोजना के प्रस्ताव को विश्व बैंक ने मंजूरी दी है। प्रदेश में भू-गर्भ जल के प्रबन्धन एवं रिजार्जिंग के कार्यो के लिए ठोस व्यवस्था की संरचना उ0प्र0 सरकार ने की है। इस समग्र नीति द्वारा प्रदेश में भूगर्भ जल का सही ढंग से प्रबंधन होने के साथ ही जल संकट वाले क्षेत्रों में वर्षा जल संचयन और भूजल रिचार्ज की कार्य योजनाओं को अच्छे ढंग से लागू कराया जा सकेगा। विश्व बैंक द्वारा भूजल प्रबन्धन की परियोजना को मंजूरी मिलने से प्रथम चरण में 85 करोड़ रूपये की धनराशि से भूगर्भ जल क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण अध्ययन किये जायेंगे और भूजल संकट के समाधान हो सकेंगे।
यह जानकारी प्रदेश के लघु सिंचाई एवं भूगर्भ जल मंत्री श्री राजकिशोर सिंह ने आज यहां गन्ना संस्थान के सभागार में आयोजित राज्य स्तरीय भूजल सप्ताह के समापन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित लोगों /विभिन्न विद्यालयों के छात्र /छात्राओं को दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश के 108 विकास खण्डों में भूजल का अत्यधिक दोहन किया गया है जो क्रिटिकल श्रेणी में आ चुके हैं। 630 ब्लाकों में भी भूजल स्तर काफी नीचे चला गया है जिससे जल संकट उत्पन्न होने की आशंका उत्पन्न हो गयी है। इसे गंभीरता से लेते हुए ‘‘भू-जल प्रबन्धन, वर्षाजल संचयन एवं संग्रहण तथा भू-जल का न्यूनतम उपयोग करने की दिशा में शासन/प्रशासन द्वारा जन सहभागिता से रचनात्मक व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है।
लघु सिंचाई मंत्री श्री सिंह ने बताया कि 16 से 22 जूलाई तक पूरे प्रदेश में सघन अभियान चलाकर भूजल संरक्षण, भूजल संचयन तथा वर्षा जल से भूजल रिचार्जिंग के संबंध में प्रदेश के समस्त तालाबों, जलाशयों, पोखरों एवं झीलों में वर्षाजल के संचयन की कारगर व्यवस्था हेतु जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करके भूजल के महत्व के बारे में जन सामान्य को उपयोगी जानकारी दी गयी है।
श्री सिंह ने जनता का आहवान किया है कि वे ग्रामीण, शहरी तथा कस्बों में स्थित तालाबों, पोखरो, झीलों तथा जलाशयों को गहरा करके वर्षा जल को एकत्रित करें। तालाबों /पोखरों का जीर्णोद्धार करें। खुदाई करायें और उनको अतिक्रमण से मुक्त करायें। तालाबों /पोखरों को पाट करके आवासीय कालोनी/मकान आदि का निर्माण न करें । तालाबों /पोखरों को पाटने, उनका स्वरूप बिगाड़ने तथा अतिक्रमण करने पर सर्वोच्च न्यायालय ने प्रभावी रोक लगाने के साथ ही इसे दण्डनीय अपराध घोषित किया है। यदि कोई व्यक्ति तालाबों/पोखरों पर अतिक्रमण करेगा उसे पाटकर उसका अस्तित्व मिटायेगा तो उसके विरूद्ध रिपोर्ट दर्ज होगी और अवैध निर्माण नष्ट करा दिए जायेंगे। ऐसा करने वालों को जेल भी जाना पड़ेगा और सजा एवं जुर्माना से भी दंडित होना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि भूजल विभाग को अत्यधिक सुदृढ़ किया जायेगा और समस्त विभागों से अच्छा समन्वय रखते हुए भूजल संरक्षण हेतु प्रभावी कदम उठाये जायेंगे।
कार्यक्रम में उपस्थित कृषि उत्पादन आयुक्त श्री वी0एन0 गर्ग ने बताया कि भूगर्भ जल के महत्व तथा भूजल के संचयन, संवर्धन एवं संरक्षण हेतु उ0प्र0 शासन अत्यंत गंभीर है। भूजल संसाधनों के समेकित प्रबन्धन, वर्षा जल संचयन एवं भूजल रिचार्ज कार्यक्रमों को एकीकृत ढंग से लागू करने तथा जल उपयोग की कारगर एवं लाभप्रद विधाओं, ड्रिप सिंचाई एवं स्प्रिंकलर माध्यम से भूजल दोहन में प्रभावी कमी लायी गयी हैं। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में भूजल प्रबंधन एवं वर्षाजल संचयन एवं भूजल रिचार्ज की समग्र नीति 2013 को अमली जामा पहनाने की दिशा में प्रभावी दिशा निर्देश समस्त अधिकारियों को दिए गये है।
कृषि उत्पादन आयुक्त श्री वी0एन0 गर्ग ने भूजल विभाग में रिक्त पदों को भरने के सम्बंध में प्रभावी कदम उठाने की बात कही। उन्होंने भूजल संचयन एवं संरक्षण, भूजल में संवर्धन के लिए शासन स्तर से कार्यक्रमों को युद्धस्तर पर शुरू कराने को कहा। शासन के साथ ही सामान्यजनो की सहभागिता से भूजल संरक्षण कार्यों में योगदान करने को कहा। उन्होंने रिक्त पड़ी भूमि, ऊसर, बंजर, ऊबड़, खाबड़, पठारी, खादर, जलोढ़ सभी प्रकार की भूमि, खेत खलिहान, ऊसर, बंजर, नदी, नालों, तालाबों, जलाशयों, पोखरों, झीलों के किनारे की भूमि में वृक्षारोपण करने तथा रोपे गये पौधों का संरक्षण कराने और पर्यावरण को हरा-भरा बनाने का आहवान किया। श्री गर्ग ने कहा कि वृक्ष, जलवायु को संतुलित रखते हैं। वर्षा कराने में सहयोग करते हैं। पर्यावरण को सुन्दर बनाते हैं। गर्मी के प्रकोप से बचाते हैं। जल संरक्षण, भूगर्भ जल रिचार्ज, भू-जल स्तर को संतुलित रखते हैं। जल को शुद्ध करते हैं। उन्होंने भूजल विशेषज्ञों, बैज्ञानिकों डा0 राजेन्द्र सिंह, डा0 जे0एस0 साभरा, भूजल निदेशक श्री रामसिंह के द्वारा भूजल संवर्धन, संचयन संरक्षण के संबंध में दी गयी उपयोगी जानकारी और सुझावों पर अमल करने का आहवान किया।
कार्यक्रम में डा0 जे0एस0 सामरा मुख्य कार्यकारी अधिकारी राष्ट्रीय वर्षा सिंचित क्षेत्र प्राधिकरण, दिल्ली, जल पुरूष एवं रैमन मैगसेसे एवार्ड से सम्मानित डा0 राजेन्द्र सिंह, भूगर्भ जल निदेशक श्री रामसिंह ने भूगर्भ जल संरक्षण, वर्षा जल संचयन, संग्रहण, भू-जल रिचार्ज के संबंध में लाभदायक जानकारी दी। वक्ताओं ने वर्षाजल का संग्रहण, तालाबों, पोखरों, झीलों, नदियों, जलाशयों, कुओं, चैकडेमों, तटबंधों /नदी नालों के बंधों में करके उसका उपयोग करने के बारे में जानकारी दी।
कार्यक्रम में भूगर्भ जल विभाग द्वारा प्रकाशित ‘‘ भू-जल संदेश’’ स्मारिका का भी विमोचन लघु सिंचाई मंत्री श्री राजकिशोर सिंह ने किया। उन्होंने 16 से 21 जुलाई तक आंचलिक विज्ञान केन्द्र लखनऊ में आयोजित भू-जल सप्ताह कार्यक्रम में सम्पन्न भूजल संरक्षण, जल के महत्व, भूजल के संचयन, रिचार्ज आदि के संबंध में जागरूकता उत्पन्न करने हेतु आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं वाद-विवाद, पोस्टर, पेंटिंग, चित्रकला, स्लोगन, क्विज के विजेता छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत एवं सम्मानित भी किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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