उत्तर प्रदेश की संवेदनहीन पुलिस का असली चेहरा एक बार फिर उजागर हो गया जब मोहनलालगंज में विगत दिनों हुए एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार एवं नृशंस हत्याकाण्ड में पुलिस बार-बार अपना बयान बदलने में जुटी हुई है। सत्तारूढ़ दल के दबाव में पुलिस अधिकारियों के बयान पलटने का मुख्य कारण सत्तापक्ष के दबाव में असली मुजरिमों को किसी न किसी तरह बचाव करना रहा है, जिसकी जितनी निन्दा की जाय कम है।
उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी के प्रवक्ता अशोक सिंह ने आज यहां जारी बयान में कहा कि उत्तर प्रदेश की पुलिस द्वारा बार-बार बयान बदलना कहीं न कहीं राज्य सरकार को संदेह के घेरे में खड़ा करता है। इसी प्रकार कई वर्ष पूर्व आरूषि हत्याकाण्ड में भी पुलिस ने तत्परता दिखाई थी और बार-बार अपने बयान बदले थे। चाहे वह आशियाना बलात्कार काण्ड हो, बदायूं में सामूहिक हत्या एवं बलात्कार काण्ड हो, चाहे वह मधुमिता हत्याकाण्ड हो, शीलू बलात्कार काण्ड हो, ऐसे तमाम उदाहरण हैं जिनमें मा0 न्यायालय की फटकार के बाद सरकार ने जांच की दिशा बदली और राजनीतिक दलों के दबाव में आरोपी पुलिस गिरफ्त में आ सके और पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगे थे।
प्रवक्ता ने कहा कि विगत ढाई वर्ष में उ0प्र0 में अपराध में बाढ़ सी आ गयी है और प्रदेश सरकार तमाम संवेदनशील मामलों में छोटे स्तर पर कार्यवाही करके मामले को रफादफा करने में जुटी रही। निश्चित तौर पर सरकार ईमानदारी से कार्य करती तो कानून व्यवस्था की स्थिति आज ऐसी नहीं होती।
श्री सिंह ने कहा कि इतना ही नहीं कानून व्यवस्था संभालने वाली उ0प्र0 की पुलिस तमाम मामलों में कानून तोड़ने की ाटनाओं और बलात्कार जैसे जघन्य मामलों में शामिल पाये गये हैं। कई बार तो थानों में भी पुलिसकर्मी महिलाओं के साथ दुष्कर्म करने में संलिप्त पाये गये हैं। हद तो यह हो गयी है कि आम जनता अब थानों में जाने से घबराने लगी है। उन्होने प्रदेश के मुख्यमंत्री से सवाल किया है कि आखिर यह कैसा उत्तम प्रदेश है?
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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