चिकित्सको ंको भगवान का दूसरा रूप माना जाता है। परन्तु जैसे ही दिन ढला और अॅधेरे ने जैसे अपना दामन फैलाया और रात को आने की दावत दी वैसे ही जिला अस्पताल में दारू का दौर षुरू हो जाता है। इमरजैन्सी वार्ड के बगल के कमरे में बना वीपीएल वार्ड में दारू के षौकीन चिकित्सक व फोर्मेसिस्ट तथा वार्ड व्याय सभी कमरे में बैठ कर दारू का दौर षुरू कर देते है। इसकी जानकारी इस प्रकार हुई कि षुक्रवार की रात लगभग 9 बजे एक तीमार दार अपने मरीज को दिखाने इमरजेन्सी कक्ष में गया और मरीज को फर्ती कराया। इस समय इमरजेन्सी में अपनी ड्यूटी कर रहे चिकित्सक इमरेजेन्सी वार्ड में नही थे पता करने पर ज्ञात हुआ कि इमरजेन्सी वार्ड के बगल दूसरे कमरे में डाक्टर गये है। मरीज का तीमार दार उस कमरे में डाक्टर को ढूढ़ते- ढूॅढ़ते पहुॅच गया। अन्दर जाने पर उसे षराब की गंध मालूम हुई चिकित्सक ने दूर से ही अन्दर जाने से रोक दिया। सूत्रों द्वारा ज्ञात करने पर पता चला कि यह तो प्रतिदिन का रवैया है। जिला अस्पताल में इमरजेन्सी वार्ड के बगल वीपीएल वार्ड में रात होते ही दारू का दौर ष्षूरू हो जाता है। इमरजेन्सी में आने वाले मरीज को दूसरे भगवान का यह रूप देखने को मिलेगा लोग आपस में चर्चा करते देखे गये। आम नागरिकों ने तथा तीमार दारों ने जिला चिकित्साल में हो रही इस प्रकार की निन्दीय कार्य को रोकने के लिए जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीेक्षक तथा जिलाधिकारी से समाचार पत्र के माध्यम से रोकने की मांग की है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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