समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि केन्द्र की भाजपा सरकार कांग्रेस की राह पर चलते हुए जनता को गुमराह करने और मंहगाई की मार से उसकी कमर तोड़ने पर तुल गई है। अच्छे दिनों के झूठे ख्वाब दिखाकर अब मोदी सरकार मतदाताओं से ही दल कर रही है। कांग्रेस की कुनीतियों से परेशान जनता अब पहले से भी ज्यादा बदहाल है। लगता है कारपोरेट घरानों ने चुनाव में भाजपा की जो मदद की थी उसकी भरपाई के रास्ते खोजे जा रहे हैं। मंहगाई रोेकने की झूठी कवायद करके जनता के भरोसे को तोड़ा जा रहा है। फलस्वरूप केन्द्र के जनविरोधी निर्णयों के खिलाफ जनता का आक्रोश बढ़ता जा रहा है और कई जगह उसका विस्फोट भी हो रहा है। लेकिन जनभावनाओं के प्रति संवेदनशील होने के बजाय मोदी सरकार आरएसएस का तानाशाही चरित्र दिखा रही है। अच्छा हो कि केन्द्र सरकार तत्काल अपने निर्णय वापिस ले।
केन्द्र की भाजपा सरकार ने पहले डीजल के दाम बढ़ाएं और फिर रेलवे किराया और मालभाड़े में क्रमशः 14Û5 प्रतिशत तथा 6Û5 प्रतिशत की वृद्धि कर दी गई। अब केन्द्र सरकार रसोई गैस की कीमत भी बढ़ाना चाहती है। सरकार के ताबड़तोड़ उठाए गए इन कदमों से आम जनता का घरेलू बजट बुरी तरह प्रभावित होगा। आम आदमी इन बढ़ी हुई दरों की वजह से बुरी तरह टूट जाएगा। विडंबना है कि केन्द्र सरकार के कुछ मंत्री उक्त निर्णयों का समर्थन कर रहे हैं और अब अगले छह महीनों में स्थिति में सुधार आने का एक और झूठा भरोसा दे रहे है।
डीजल के दाम बढ़ने और रेलवे के मालभाड़े की दरों में वृद्धि के फलस्वरूप सीमेंट, चीनी, नमक, सब्जी, फल, खाद, खाद्यान्न इन सबकी ढुलाई मंहगी होगी तो आम आदमी की रसोई ही नहीं जिदंगी बोझिल हो जाएगी। केन्द्र के निर्णयों का तत्काल असर भी दिखाई देने लगा है। रेलवे की एमएसटी दोगुनी मंहगी कर दी हैं सीमेंट कम्पनियों ने 20 रूपए प्रति बोरा दाम बढ़ाने का संकेत दिया है। कोयला की ढुलाई की दर बढ़ने का असर बिजली उत्पादन पर भी पड़ेगा। बाजार का माल मंहगा होगा तो व्यापारी उसकी वसूली उपभोक्ता से ही करेगें।
सामान्यतः रेलवे में किराया या मालभाड़ा बढ़ाने की घोषणा रेलवे बजट में की जाती है। मोदी सरकार ने इसके पहले ही ये दरें बढ़ाकर जनता की पीठ में छुरा भोंका है और अपने वायदों का खुद ही मजाक बनाया है। संसद में श्री मुलायम सिंह यादव ने प्रधानमंत्री से पूछा था कि वे मंहगाई रोकने के लिए क्या करने जा रहे हैं और कब तक इस पर नियंत्रण पाएगें? उन्हें इसका जवाब नहीं मिला। पिछली यूपीए सरकार को इसी मुददे पर श्री मुलायम सिंह यादव ने डा0 लोहिया की दाम बांधो नीति के अनुसरण के लिए कहा था। कांग्रेस सरकार ने इस सलाह को नहीं माना और जनता को इसका कुपरिणाम भोगना पड़ा। मोदी सरकार को इससे सबक लेना चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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