सिटी मोन्टेसरी स्कूल, गोमती नगर आॅडिटोरियम में आयोजित ‘विश्व एकता सत्संग’ में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए इंग्लैण्ड से पधारे प्रख्यात वैज्ञानिक व बहाई धर्मानुयायी डा. रोजर डेविड किंगडन ने ‘धर्म व एकता का सम्बन्ध’ विषय पर सारगर्भित विचार व्यक्त किए। डा. किंगडन ने कहा कि बहाई धर्म के संस्थापक बहाउल्लाह ने धार्मिक एकता का प्रचार किया क्योंकि इससे विश्व में शान्ति व सद्भावना फैलती है। बहाउल्लाह के सुपुत्र अब्दुल बहा ने फ्रांस, इग्लैण्ड व अमेरिका की यात्राएं की एवं कहा कि धर्म से मानवता एकता के सूत्र में बंध जानी चाहिए और युद्धों का अंत हो जाना चाहिए। उन्होंने ‘मत’ और ‘धर्म’ में अन्तर बताते हुए कहा कि मत एक व्यक्तिगत भावना है जबकि धर्म सामूहिक विश्वास और एकता पर आधारित है। आज धरती पर इतना लड़ाई-झगड़ा है। हमें इस घायल मानवता के उद्धार के लिए कोई नुस्खा या दवाई चाहिए। धर्म एक दवाई का पर्चा है जो जख्मों को भरकर प्रेम व भाईचारे से मानवता को जोड़ता है, न कि तोड़ता है।
डा. किंगडन ने अनेकता में एकता पर जोर देते हएु आगे कहा कि इसी भावना से मानवता और फलती-फूलती है। उन्होंने प्रख्यात वैज्ञानिक डार्विन के सिद्धान्त की बात करते हुए कहा कि संसार में भिन्न भिन्न प्रकार के फूल होते हैं जो मधुमक्खियों व तितलियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं और इससे ‘पाॅलीनेशन’ द्वारा और पौधे निकलते हैं व धरती की हरियाली कामय रहती है। चिडि़यों को ही ले लीजिए। नर चिडि़या के पंख अधिक रंगीन होते हैं जिससे वह मादा पक्षी को आकर्षित करता है। मादा पक्षी भूरी या कत्थई और साधारण पंख वाली होती है जो अण्डों को सेती है और साँप व अन्य जहरीले जानवरों से बचाती है और धरती में प्रकृति के रंगो में ही मिल जाती है। इस तरह प्रकृति में जीव जंतुओं का जन्म-मरण चलता रहता है।
सी.एम.एस. संस्थापिका-निदेशिका, प्रख्यात शिक्षाविद् व बहाई धर्मानुयायी डा. (श्रीमती) भारती गाँधी ने कहा कि स्त्री-पुरुष चिडि़या के दो पंखों की तरह है, दोनों स्वस्थ होंगे तभी उड़ान अच्छी होगी। हालांकि औरतें अच्छी अध्यापिकाएं, नर्सें व गृहणियां बनती है और आदमी अच्छे काउन्टेन्ट और रक्षाकर्मी बनते हैं, परन्तु इस विभिन्नता में भी एक एकता छिपी रहती है। स्त्री-पुरुष दोनों को धार्मिक व अच्छे आचरण का होना चाहिए और अवतारों के बताये रास्ते पर ईश्वरीय भक्त् िकरते हुए मिलकर आगे बढ़ना चाहिए। तभी परिवार में एकता व शान्ति होती है और इसी से प्रगति होती है। विश्व एकता सत्संग में आज कई जाने-माने विद्वानों व विभिन्न धर्मों के अनुयाइयों ने अपने विचार व्यक्त किए। इसके अलावा सी.एम.एस. के संगीत शिक्षकों ने सुन्दर भजन गाकर सत्संग की शोभा बढ़ाई। अंत में सत्संग की संयोजिका ने सभी को हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सत्संग का समापन किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com